बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा थम नहीं रही है। हिन्दू और उनके मंदिर निशाने पर लिए जा रहे हैं। बीते 4 दिनों के भीतर बांग्लादेश के अलग-अलग इलाकों में 8 मूर्तियाँ तोड़ी गईं। इन हमलों में मात्र एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हो पाई जबकि बाकी हमलावरों का पता तक नहीं लगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश के मैमेनसिंह जिले के हलुआघाट उपजिला में में बुधवार-गुरुवार (19 दिसम्बर, 2024) को दो हिन्दू मंदिर में तीन मूर्तियाँ तोड़ी गईं। यहाँ के बन्दरपुरा में स्थित एक मंदिर में दो मूर्तियाँ तोड़ी गई। मूर्ति तोड़ने वालों का कोई पता नहीं लग पाया है और इस संबंध में पुलिस खाली हाथ है।
वहीं हलुआघाट के ही पोलाशकांडा इलाके में स्थित एक काली मंदिर में भी एक मूर्ति को तोड़ दिया गया। इस मामले में मंदिर समिति ने पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाई है। पुलिस ने दूसरी घटना में अलाल उद्दीन को पकड़ा है। इससे पहले बांग्लादेश के दिनाजपुर में स्थित झरबारी काली मंदिर पर भी हमला हुआ।
इस मंदिर में स्थापित 5 मूर्तियों को तोड़ दिया गया। इस हमले के आरोप इस्लामी कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के युवकों पर लगाया गया है। इस हमले के बाद क्षतिग्रस्त मूर्तियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं। इस मामले में किसी की गिरफ्तारी की सूचना नहीं है।
Last night, Islamists vandalized the idols in a temple in #Bangladesh. They destroyed five idols of deities at the Ghasibari Puja Mandap.
Location: Satgram, Jharbari, Birganj, #Dinajpur, #Rangpur.#SaveBangladeshiHindus #AllEyesOnBangladeshiHindus #SaveHindus@RadharamnDas pic.twitter.com/KaeRCkOC2n
— Sanatan Voice 🇧🇩 (@SanatanVoice_in) December 18, 2024
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और धार्मिक स्थलों पर हमले गंभीर चिंता का विषय हैं। हाल के घटनाक्रम इस बात को रेखांकित करते हैं कि वहां की अंतरिम सरकार अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है।
हालिया घटनाएँ और आँकड़े:
- मूर्ति तोड़फोड़ की घटनाएँ:
- मैमेनसिंह जिला: हलुआघाट उपजिला में दो मंदिरों में तीन मूर्तियाँ तोड़ी गईं।
- दिनाजपुर जिला: झरबारी काली मंदिर में पाँच मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया गया।
- इन घटनाओं में अब तक केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है। अधिकांश हमलावर अब भी फरार हैं।
- 2024 में हिंसा का उछाल:
- विदेश मंत्रालय ने 2024 में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ 2200 घटनाओं की पुष्टि की है, जो पिछले वर्षों की तुलना में 700% वृद्धि दर्शाती है।
- 2023 में ऐसी 300 घटनाएँ हुईं थीं, जबकि 2022 में यह संख्या मात्र 47 थी।
- इस्लामी कट्टरपंथियों का बढ़ता प्रभाव:
- जमात-ए-इस्लामी और अन्य कट्टरपंथी संगठनों पर इन हमलों में शामिल होने का आरोप है।
- हिंदू पुलिसकर्मियों और इस्कॉन जैसे संगठनों पर हमले किए जा रहे हैं।
- राजनीतिक पृष्ठभूमि:
- अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्लामी कट्टरपंथियों के दबाव में इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार हिंसा पर काबू पाने में विफल रही है।
- हिंसा के विरोध में आवाज उठाने वाले हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया गया है, जो बांग्लादेश सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है।
भारत की स्थिति और जवाब:
- राजनयिक प्रयास: भारत सरकार को बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाना चाहिए।
- प्रवासी हिंदुओं का सहयोग: बांग्लादेश से विस्थापित हिंदू समुदायों के लिए भारत में शरण और पुनर्वास की नीतियों पर विचार करना चाहिए।
- सामाजिक समर्थन: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और संगठनों को बांग्लादेश में अल्पसंख्यक अधिकारों के हनन पर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
क्या होना चाहिए:
- अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप:
- संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठनों को बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
- बांग्लादेश सरकार की जिम्मेदारी:
- अंतरिम सरकार को अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाने होंगे।
- कट्टरपंथी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई और दोषियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करनी होगी।
- सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा:
- हिंदू मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा बढ़ाई जानी चाहिए।
- धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून लागू करने की जरूरत है।