लोगों के अजीबो-गरीब नाम आपने जरूर सुने होंगे लेकिन जापान में ऐसे नाम अब एक बड़ी परेशानी बन गए हैं. समस्या इतनी गंभीर है कि सरकार अब इस प्रथा पर लगाम लगाने की दिशा में आगे बढ़ रही है, हालांकि उसका यह भी दावा है कि वह माता-पिता के लिए क्रिएटिव होने की गुंजाइश को बंद नहीं कर रही है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक खबर के मुताबिक अगले दो वर्षों के भीतर, उन सभी महत्वपूर्ण पारिवारिक रजिस्ट्री प्रमाणपत्रों को नियंत्रित करने वाले कानून में बदलाव लागू होंगे जो प्रत्येक जापानी नागरिक के पास होने चाहिए. यह संशोधन माता-पिता को अपने बच्चों को अजीब किस्म के अपरंपरागत नाम रखने से रोक देग.
दरअसल इस समस्या के मूल में जापानी भाषा की एक असामान्य विशेषता है. जापान में, अधिकांश पारंपरिक नामों में अक्षर होते हैं, जिन्हें कांजी के नाम से जाना जाता है, जिनके अर्थ दर्शाते हैं कि माता-पिता आशा करते हैं कि उनका बच्चा बड़ा होकर क्या बनेगा.
उदाहरण के लिए, हिकारी, (एक लड़की का नाम), एक अक्षर के साथ लिखा जाता है जिसका अर्थ है ‘प्रकाश’. आम तौर पर प्रत्येक अक्षर – (माता-पिता कानून के तहत 2,999 में से चुन सकते हैं) – के साथ एक उच्चारण जुड़ा होता है, और ध्वनियाँ मिलकर नाम का उच्चारण बनती हैं.
यहां एक समस्या है: अधिकांश कांजी के अतिरिक्त संभावित उच्चारण होते हैं. यह विशेषता 1,500 साल पहले जापान द्वारा चीनी लेखन प्रणाली को अपनाने से आई है और यह माता-पिता को असामान्य उच्चारण वाले नाम रखने को मौका दे देती है.
अपरंपरागत नामों को रखने का चलन बढ़ा
आओयामा गाकुइन यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर युजी ओगिहारा के शोध के अनुसार, पिछले चार दशकों में अपरंपरागत रीडिंग के साथ जापानी नामों का उपयोग बढ़ गया है.
नेशनल ब्रॉडकास्टर एनएचके के एक सर्वे के अनुसार, हर साल 4,000 लोग शादी के अलावा अन्य कारणों से अपना नाम बदलते हैं. जापान में, लोग 15 साल की उम्र से माता-पिता की अनुमति के बिना कानूनी रूप से अपना नाम बदल सकते हैं.
कानूनी परामर्श साइट Bengo4.com द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 80 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना था कि नाम रखना कानून द्वारा सीमित होना चाहिए. कई देश ऐसे नामों पर प्रतिबंध लगाते हैं जो भ्रम पैदा कर सकते हैं या बच्चे के सर्वोत्तम हित के विरुद्ध जा सकते हैं.
कानूनी संशोधन से क्या बदलेगा?
परिवार रजिस्टर कानून में बदलाव से बच्चों के नाम में कांजी के अर्थ को ‘आम तौर पर समाज द्वारा पहचाने जाने योग्य’ तक सीमित कर दिया जाएगा.
पारिवारिक रजिस्टर, या कोसेकी, जो स्थानीय टाउन हॉल में रखे जाते हैं और इसमें किसी व्यक्ति की पहचान और पारिवारिक संबंधों जैसे महत्वपूर्ण रिकॉर्ड शामिल होते हैं.
इनमें अब ये भी संकेत शामिल होंगे कि नामों को कैसे पढ़ा जाना चाहिए.
कानून की जांच करने वाली विधायी उपसमिति का नेतृत्व करने वाले अत्सुमी कुबोटा ने कहा, ‘हमारे नाम दैनिक जीवन में दृष्टि से नहीं, ध्वनि के माध्यम से दर्ज किए जाते हैं और कानून ने कभी भी इस पर ध्यान नहीं दिया है.’
कुबोटा के मुताबिक संशोधन अभी भी नए आइडिया के लिए जगह छोड़ेंगे, और वे वास्तव में उन असामान्य नामों की समझ में सुधार करेंगे जिन्हें आगे भी अनुमति दी जाएगी.