आतंकी प्रोपगेंडा का प्रचार-प्रसार करने वाले इस्लामी कट्टरपंथी अंजेम चौधरी को आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर हुई है जिसमें 28 साल कम से कम तो उसे जेल में रहना ही रहना है। यानी 57 साल का अंजेम किसी कीमत पर 85 साल की उम्र से पहले जेल से नहीं छूट सकता। उसके ऊपर आरोप है कि उसने घृणित और विभाजनकारी भाषण देकर आतंकी हमलों को अंजाम देने का काम करवाया।
अंजेम पर आरोप था कि वह लंदन में आतंकी संगठन अल मुहाजिरोन को चलाता था जिसका मकसद हिंसक तरीकों से शरीया कानून को पूरी दुनिया में फैलाना था। वह शुरुआत से ही इस संगठन के प्रमुख सदस्यों में से एक था। उसने 1996 में भी इस संगठन की स्थापना की थी।
बाद में जब इस संगठन पर प्रशासन की नजर रहने लगी तो अंजेम ने अपने एजेंडे पर विराम लगाने की बजाय इसे अलग-अलग नाम से संचालित किया। इन संगठनों में से दो नाम ‘इस्लाम4यूके’ है और दूसरा ‘काफिरों के खिलाफ मुस्लिम’ है।
मीडिया खबरों से पता चलता है कि अंजेम के इस संगठन के आतंकवादी 21 आतंकी साजिशों से जुड़े रहे और बाद में ये सीरिया तक गए जहाँ जाकर इन्होंने आईएस से हाथ मिलाया। इसके अलावा अगर ये बात करें कि अंजेम के विवादित बयानों की तो इसमें 9/11 पर दिया गया बयान कोई नहीं भूल सकता।
उस समय अंजेम ने 9/11 को इतिहास का सबसे बड़ा दिन बताया था और आतंकियों की तारीफ की थी। उसने ये भी कहा था कि वो ब्रिटिश के राजमहस बंकिंघम पैलेस को मस्जिद में बदलना चाहता है। इसके अलावा वो लगातार अपनी तकरीरों में मुस्लिमों को कट्टरपंथ की ओर ले जाने की और जिहाद करने की बात करता था। उसके खिलाफ न केवल ब्रिटेन, बल्कि अमेरिका और कनाडा की पुलिसें भी अलग-अलग जाँच कर रही थीं।
कोर्ट में जज ने उसकी सजा मुकर्रर करते हुए कहा कि अंजेम आतंकी कृत्यों को प्रोत्साहित करने वाले और उनका समर्थन करने वाले संगठन में मुख्य भूमिका में था और वह लोगों को अपनी सोच के अनुरूप ढालने के प्रयास कर रहा था। उसने ऐसे लोगों को प्रोत्साहित किया जो बहुत से लोगों के मृत्यु का कारण बने।
बता दें कि इससे पहले अंजेम को 2016 में सीरिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों की मदद करने के लिए साढ़े पाँच साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उस समय वह आधी सजा काटने के बाद 2018 में रिहा हो गया था। जेल से बाहर निकलने के बाद अंजेम ने व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर लोगों को भड़काता था।