खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा के भारत पर आरोप लगाए जाने के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई है। भारत और कनाडा के बीच तनाव थमने का नाम नहीं ले रहा है।
हालांकि, इस बीच कनाडा के उप सेना प्रमुख मेजर जनरल पीटर स्कॉट ने मंगलवार को कहा कि भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद का मौजूदा द्विपक्षीय सैन्य संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।
30 से ज्यादा देशों के सैन्य अधिकारी शामिल
दरअसल, स्कॉट यहां इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ्स कॉन्फ्रेंस (आईपीएसीसी) में एक कनाडाई प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें 30 से अधिक देशों के सैन्य प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए हैं। उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, “इस समय जहां तक मेरी जानकारी है, इसका हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। हम प्रयास करने और समाधान के लिए मामले को राजनीतिक स्तर पर छोड़ देते हैं।”
मेजर जनरल स्कॉट ने कहा, “हम यहां आकर खुश हैं और हमें बिल्कुल भी नहीं लगता कि इस मुद्दे पर मामला बिगड़ेगा।”
ट्रूडो के आरोपों को बताया बेतुका
मालूम हो कि जून में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संलिप्तता के कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध गंभीर तनाव में आ गए। हालांकि, भारत ने आरोपों को बेतुका कहकर खारिज कर दिया है और इस मामले पर ओटावा में एक भारतीय अधिकारी को निष्कासित करने के बदले में एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया है।
भारत से मांगा सहयोग
कनाडाई सेना के अधिकारी ने कहा, “यह हमारे दोनों देशों के बीच राजनीतिक स्तर का एक मुद्दा है और निश्चित रूप से हमारे प्रधानमंत्री हाउस ऑफ कॉमन्स में उठे और इस समय चल रही स्वतंत्र जांच पर भारत के सहयोग का अनुरोध करते हुए एक बयान दिया।”
उन्होंने कहा, “हमारी दोनों सेनाओं के बीच, इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। मैंने कल रात सेना के आपके कमांडर (सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे) से बात की। हम दोनों इस बात पर सहमत हुए कि यह एक राजनीतिक मुद्दा है और इसका हमारे संबंधों पर कोई हस्तक्षेप नहीं है।”
मेजर जनरल स्कॉट ने कहा, “दो सेनाओं के रूप में हम अन्य 30 देशों के बीच अवसरों की तलाश कर रहे हैं, जो वर्तमान में इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं, ताकि हम ऐसे क्षेत्रों को ढूंढ सकें जहां हम सहयोग कर सकें, एक साथ प्रशिक्षण कर सकें, अभ्यास और संचालन कर सकें ताकि हम सभी क्षेत्र के भीतर शांति, स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान दे सकें।”
उन्होंने कहा, “अभी हम सहयोग करना और चर्चा करना जारी रखेंगे, जहां हम विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं और कई इंडो-पैसिफिक देशों के सामने आने वाली कठिनाइयों का समाधान ढूंढ सकते हैं।”