आर्थिक विकास दर के मामले में चीन से आगे चल रहा भारत कच्चे तेल की मांग में भी उससे आगे निकलने वाला है। जो स्थिति बन रही है उसके मुताबिक अगले 20 से 30 वर्षो के दौरान दुनिया में कच्चे तेल की अतिरिक्त मांग बनेंगी उसका 25 फीसदी सिर्फ भारत से आएगा। भारत सरकार जिस तरह से आर्थिक विकास दर की रफ्तार लगातार बढ़ाने की कोशिश में है उससे यहां पेट्रोलियम उत्पादों की मांग और बढ़ सकती है।
बुधवार को इंडिया एनर्जी वीक में इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की तरफ से जारी रिपोर्ट में यह बात कही गई है।रिपोर्ट के अनुसार भारत में कच्चे तेल की मांग वर्ष 2023 में 54.8 लाख बैरल प्रतिदिन था जो वर्ष 2030 तक 66.4 लाख बैरल प्रतिदिन हो जाएगा। भारत तेल खपत के मामले में अभी चीन के बाद दूसरे स्थान पर है लेकिन चीन पीछे छूट जाएगा। संभवत: इसका एक बड़ा कारण यह है कि चीन में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाया जा रहा है।
तेल मांग को बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण भारत
रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी से लेकर 2030 तक वैश्विक तेल मांग को बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण भारत होगा। अमेरिका समेत विकसित देशों और चीन में तेल की मांग सुस्त होने लगी है जो आगे चलकर घटने लगेगी। जबकि औद्योगिक विकास में तेजी आने से डीजल की मांग तेज होने जा रही है। विमानन सेवाओं का विस्तार होने से एटीएफ की मांग भी तेज होगी।
पेट्रोल की मांग की रफ्तार बहुत तेज नहीं रहेगा क्योंकि भारत में भी इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रचलन बढ़ रहा है। फिर भी सालाना पेट्रोल की मांग 0.7 फीसद की रफ्तार से बढ़ेगी। हालांकि यह रफ्तार भी दुनिया के अधिकांश विकसित देशों के मुकाबले ज्यादा ही होगी। इस रिपोर्ट का यह मतलब यह भी है कि अगर भारत घरेलू उत्पादन नहीं बढ़ाता है तो कच्चे तेल के लिए बाहरी देशों पर उसकी निर्भरता और बढ़ेगी। भारत अभी अपनी जरूरत का 86 फीसद बाहर से आयात करता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार
पिछले एक दशक में जैसे जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है वैसे वैसे क्रूड को लेकर आयात पर निर्भरता भी बढ़ी है। बॉक्स: स्वच्छ ईंधन को लेकर निश्चित हो वैश्विक नीति: पुरीजागरण ब्यूरो, बेतुल (गोवा) जिस तरह से जीवाश्म ईंधन के मामले में कच्चे तेल व कोयला उत्पादक देशों ने मनमाने तरीके से कीमतों को तय किया है वह स्वच्छ ईंधन के मामले में नहीं होना चाहिए। भारत ने इस बारे में वैश्विक समुदाय को इस बारे में आगाह किया है कि अगर स्वच्छ ईंधन की कीमतों को तय करने को लेकर निश्चित नीति नहीं बनी तो इसका उल्टा असर होगा।
इंडिया एनर्जी वीक के एक सत्र में पेट्रोलियम मंत्री ने यह बात कही और क्रूड खरीदने को लेकर भारत पर दबाव बनाने वाले देशों को भी आगाह किया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए जहां से भी जरूरत होगी वहां से तेल खरीदेगा। रूस से भारत पहले से ही काफी ज्यादा क्रूड खरीद रहा है और अब इसकी नजर वेनेजुएला के कच्चे तेल कार्गो पर भी है।
भारतीय कंपनियों ने इस देश से किया संपर्क
वेनेजुएला पर अमेरिकी प्रतिबंध समाप्त होने की संभावना को देखते हुए भारतीय कंपनियों ने वहां की तेल उत्पादक कंपनियों से संपर्क भी साध लिया है। पेट्रोलियम मंत्री पुरी ने कहा कि ग्रीन ईंधन की तरफ से सभी को जाना है लेकिन इसकी रफ्तार किस तरह से होगी यह इस बात से तय होगा कि इसकी कीमतों को लेकर बाजार में कितनी निश्चितता रहती है। इसके लिए अभी से आपूर्तिकर्ता और खरीददार देशों के बीच बेहतर सामंजस्य होना चाहिए।