कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा और इसके पीछे के कारण राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हैं। 2015 में सत्ता में आने के बाद, ट्रूडो ने एक करिश्माई नेता के रूप में शुरुआत की, लेकिन उनके कार्यकाल के अंतिम वर्षों में उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट आई।
इस्तीफे के पीछे के मुख्य कारण:
- लोकप्रियता में गिरावट:
- 2015-16 में उनकी लोकप्रियता लगभग 65% थी, जो 2025 तक गिरकर मात्र 22% समर्थन तक पहुँच गई।
- जनता में असंतोष के प्रमुख कारणों में महंगाई, आवास की कमी, बढ़ती बेरोजगारी, और कट्टरपंथ से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।
- सरकारी विफलताएँ:
- कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक संकट और उससे निपटने में ट्रूडो सरकार की विफलता।
- गृह नीतियों में कमजोर प्रदर्शन और सुरक्षा चिंताओं को ठीक से संबोधित न कर पाना।
- राजनीतिक दबाव:
- जगमीत सिंह की NDP (New Democratic Party) द्वारा समर्थन वापस लेना।
- लिबरल पार्टी के भीतर से ही असंतोष की आवाजें उठना और कुछ सांसदों का ट्रूडो को हटाने का प्रयास।
- भारत के साथ विवाद:
- खालिस्तानी आतंकवाद के मुद्दे पर भारत से रिश्तों में खटास।
- भारतीय एजेंसियों पर आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाना, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि और खराब हुई।
- खालिस्तान समर्थकों को संतुष्ट करने की नीति ने कनाडा में भारतीय समुदाय और लिबरल पार्टी के परंपरागत समर्थन को प्रभावित किया।
नए नेता के संभावित दावेदार:
- अनीता आनंद (भारतवंशी):
- पूर्व रक्षा मंत्री और ट्रूडो कैबिनेट में प्रभावशाली नेता।
- भारतवंशी पृष्ठभूमि के कारण उन्हें एक महत्वपूर्ण उम्मीदवार माना जा रहा है, विशेषकर भारतीय समुदाय के समर्थन को फिर से हासिल करने के लिए।
- क्रिश्टिया फ्रीलैंड:
- पूर्व वित्त मंत्री और उप-प्रधानमंत्री। ट्रूडो के इस्तीफे की माँग करने वाले पहले बड़े नेताओं में से थीं।
- मार्क कारने:
- बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के पूर्व गवर्नर। अंतरराष्ट्रीय अनुभव उनके पक्ष में हो सकता है।
- डोमिनिक लीब्लांक:
- वर्तमान वित्त मंत्री और ट्रूडो के करीबी सहयोगी, लेकिन उनके प्रदर्शन पर सवाल उठे हैं।
- मेलानी जोली:
- पूर्व विदेश मंत्री, जिनका नाम पार्टी के उदारवादी और प्रगतिशील गुट में चर्चा में है।
- जोनाथन विलकिंसन और करीना गौल्ड:
- अपेक्षाकृत युवा चेहरे, जो पार्टी में नई ऊर्जा ला सकते हैं।
भविष्य के संकेत:
ट्रूडो का इस्तीफा कनाडा की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत कर सकता है। लिबरल पार्टी के लिए यह एक मौका है कि वह नई नेतृत्व टीम के माध्यम से अपनी खोई हुई लोकप्रियता वापस पा सके।
अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण:
- यदि अनीता आनंद जैसी भारतवंशी नेता को प्रधानमंत्री चुना जाता है, तो यह भारत-कनाडा संबंधों में सुधार का संकेत हो सकता है।
- नए प्रधानमंत्री के चयन और उनकी प्राथमिकताओं पर ही कनाडा की भविष्य की राजनीति और वैश्विक संबंध निर्भर करेंगे।
अनीता आनंद कौन हैं?
ट्रूडो की जगह कनाडा के प्रधानमंत्री पद के लिए अनीता आनंद का भी नाम चल रहा है। अनीता आनंद 2019 में पहली बार सरकार में शामिल हुई थीं। ट्रूडो ने उन्हें 2019 में एक कम चमकधमक वाला मंत्रालय थमाया था। वह कनाडा की पहली हिन्दू कैबिनेट मंत्री थीं। उनको प्रोक्योरमेंट मंत्रालय मिला था, जो कनाडा के लिए बाकी जगह से आपूर्ति जुटाने का काम करता है। इस मंत्रालय का महत्व 2020 में तब और बढ़ गया जब पूरी दुनिया से वैक्सीन जुटानी थीं। इसके चलते अनीता आनंद को काफी प्रसिद्धि मिली।
इसी के चलते 2021 में उन्हें कनाडा का रक्षा मंत्री बना दिया गया। वह यूक्रेन-रूस संघर्ष के मौके पर रक्षा मंत्री रहीं। उन्हें कुछ दिनों के लिए कैबिनेट से हटा दिया गया था। इसके बाद उन्हें दिसम्बर, 2024 में दोबारा कैबिनेट में शामिल करके परिवहन और व्यापार मामलों का मंत्री बना दिया गया। अनीता आनंद भारतवंशी है और उनके माता-पिता नाइजीरिया से कनाडा पहुँचे थे। वह कनाडा में ही जन्मी थीं। वकालत की पढ़ाई पढ़ने वाली अनीता आनंद 2013 से ही सांसद हैं। वह ट्रूडो के करीबियों में से एक मानी जाती हैं।
भारत से रिश्तों पर क्या असर?
जस्टिन ट्रूडो के जाने की खबर भारत से रिश्तों के संबंध में बहुत मायने रखती है। भारत पर वह खुले तौर पर दखलअंदाजी और कनाडाई नागरिकों की हत्या के हवा-हवाई आरोप जड़ चुके हैं। भारत भी उन पर राजनीतिक फायदे के लिए राजनयिक रिश्तों की बलि चढ़ाने का आरोप लगाता आया है। हाल ही में दोनों ने एक-दूसरे ने शीर्ष राजनयिकों को भी वापस बुला लिया था। ट्रूडो के जाने के बाद भारत से रिश्तों में कोई बड़ा बदलाव आने की कोई ख़ास उम्मीद नहीं है, लेकिन हाँ नया प्रधानमंत्री कौन होगा, इस आधार पर थोड़े परिवर्तन हो सकते हैं।