चीन में अचानक से बढ़ी निमोनिया और सांस लेने में तकलीफ पर भारत सरकार सचेत हो गई है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इसे सरकार चीन में बच्चों में H9N2 के प्रकोप पर बारीकी से नजर रख रहा है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि जिस तरह के केस वुहान में देखने को मिले हैं, उसका कोई भी केस भारत में फिलहाल नहीं है. दावा यह भी किया गया है कि पुराने कोविड से मिलता जुलता यह वायरस है.
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार चीन से रिपोर्ट किए गए एवियन इन्फ्लूएंजा मामले के साथ-साथ श्वसन संबंधी बीमारी के समूहों से भारत को कम खतरा है. हालांकि ये चिंता की बात इसलिए है, क्योंकि इस मौसम में भारत में भी बच्चों में इस तरह के लक्षण पाए जाते हैं. बावजूद इसके वुहान में इतनी बड़ी संख्या में ये बीमारी बच्चों को क्यों शिकार बना रही है, ये देखने वाली बात है.
WHO ने भी जारी किया बयान
वर्तमान में उपलब्ध जानकारी के आधार पर, पिछले कुछ हफ्तों में चीन में श्वसन संबंधी बीमारियों की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है. बच्चों में इसके सामान्य कारणों का पता लगाया गया है और किसी असामान्य रोगजनक या किसी अप्रत्याशित नैदानिक अभिव्यक्ति की कोई पहचान नहीं की गई है.
कुछ मीडिया रिपोर्टों ने उत्तरी चीन में बच्चों में सांस की बीमारी के मामलों के बढ़ने का संकेत दिया है. इसके अलावा अक्टूबर 2023 में H9N2 (एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस) का एक मामला भी सामने आया था. इसके बाद डीजीएचएस की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसकी रिपोर्ट WHO को दी गई थी. दरसल कोविड के दौरान जिस वायरस की बात की जा रही थी वह कहीं और से नहीं बल्किे वुहान लैब से ही निकला था जिसका दावा अलग अलग अन्तराष्ट्रीय मंचों से कई बार किया गया. एक बार फिर इस तरह का ही मामला खासकर बच्चों में वुहान में देखा गया है, जिसे लेकर पूरी दुनिया में हलचल है.
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार भारत किसी भी प्रकार की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति के लिए तैयार है. भारत ऐसे सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिए एक समग्र और एकीकृत रोडमैप अपनाने के लिए वन हेल्थ दृष्टिकोण पर काम कर रहा है. विशेष रूप से कोविड महामारी के बाद से स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में भी महत्वपूर्ण मजबूती आई है.