बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक नेताओं के खिलाफ बढ़ते हमलों और हालिया घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कूटनीति में चिंता बढ़ा दी है।
घटनाक्रम का विवरण:
- इस्कॉन संत चिन्मय कृष्ण दास पर FIR:
- चटगांव में इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास और उनके सैकड़ों अनुयायियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई।
- FIR में 164 पहचाने गए व्यक्तियों के अलावा, 400-500 अज्ञात लोगों को आरोपित बनाया गया है।
- यह मामला चटगांव कोर्ट परिसर में पुलिस और संत के अनुयायियों के बीच हुई झड़प के बाद दर्ज किया गया।
- आरोप लगाने वाले:
- शिकायतकर्ता इनामुल हक, जो हिफाजत-ए-इस्लाम के कार्यकर्ता हैं, ने अदालत में शिकायत दर्ज कराई।
- उनका आरोप है कि 26 नवंबर को कोर्ट से लौटते समय उन्हें “पंजाबी और टोपी” पहनने के कारण निशाना बनाया गया।
- उन्होंने सिर और हाथ में चोटें लगने की बात कही और इसे धार्मिक दुश्मनी से प्रेरित बताया।
भारत की प्रतिक्रिया और विदेश सचिव विक्रम मिसरी का दौरा:
- भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी का यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले और दमन बढ़ते जा रहे हैं।
- मिसरी ने अपनी यात्रा के दौरान हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों, धार्मिक स्थलों पर हमलों, और कट्टरपंथी हिंसा के बढ़ते मामलों पर भारत की गंभीर चिंता व्यक्त की।
- भारत ने बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की अपील की है।
पृष्ठभूमि और स्थिति:
- हिंदू अल्पसंख्यकों पर दबाव:
- हाल के वर्षों में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं बढ़ी हैं।
- मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर हमले, घरों को जलाने और झूठे आरोप लगाकर गिरफ्तारियां आम होती जा रही हैं।
- कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव:
- कट्टरपंथी संगठनों, जैसे हिफाजत-ए-इस्लाम, का प्रभाव तेजी से बढ़ा है।
- ये संगठन धार्मिक भेदभाव और हिंसा को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
भारत और बांग्लादेश के संबंधों पर प्रभाव:
- बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले और इस प्रकार की घटनाएं भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बढ़ा सकती हैं।
- भारत, जो बांग्लादेश का सबसे बड़ा साझेदार है, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर कड़े संदेश भेज रहा है।
- इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी आकर्षित हो रहा है।
आगे की राह:
- भारतीय प्रयास:
- भारत को बांग्लादेश पर दबाव बनाना होगा कि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी यह मुद्दा उठाया जा सकता है।
- बांग्लादेश की जिम्मेदारी:
- अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना और कट्टरपंथी ताकतों पर कार्रवाई करना बांग्लादेश सरकार के लिए अनिवार्य है।
- इस तरह की घटनाओं से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है और उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंच सकता है।
विक्रम मिसरी का दौरा और बांग्लादेश पर भारत का दबाव
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी का यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है। वह ढाका पहुँच चुके हैं और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के मुद्दे पर भारत की चिंताओं को उठा सकते हैं। उनके दौरे के दौरान बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश मंत्री मोहम्मद तौहीद हुसैन और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत करने की संभावना है। इसके अलावा, उनके दौरे के दौरान बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस से भी मुलाकात हो सकती है।
बांग्लादेश में हिंसा और कट्टरपंथ के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत का यह दौरा एक संकेत है कि भारत किसी भी प्रकार की हिंसा और धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की घटनाओं पर गंभीर है। वहीं, विक्रम मिसरी का यह दौरा बांग्लादेश सरकार को एक मौका देगा कि वह इन गंभीर मुद्दों पर कार्रवाई करें और हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करें।