ईरान में हुए कई हमलों में इस संगठन का हाथ माना जाता है। बीते साल दिसंबर में सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में एक पुलिस स्टेशन पर हमला हुआ था। उस हमले में 11 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। इस हमले के पीछे भी जैश अल अदल का हाथ बताया गया था।
ईरान ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर एक बार फिर से हमला किया है। इस बार ईरान ने जमीनी हमला किया है और आतंकी संगठन जैश अल अदल के शीर्ष कमांडर को ढेर कर दिया है। गौरतलब है कि बीते दिनों ही ईरान ने पाकिस्तान की सीमा में हवाई हमला किया था, जिसके बाद पाकिस्तान ने भी ईरान के खिलाफ जवाबी हमला किया था। इससे दोनों देशों में तनाव बढ़ गया था।
जैश अल अदल के शीर्ष कमांडर को किया ढेर
ईरानी सेना ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सुनियोजित तरीके से आतंकी संगठन जैश अल अदल के शीर्ष कमांडर इस्माइल शाह बख्श और उसके कई अन्य सहयोगियों को ढेर कर दिया। जैश अल अदल का गठन साल 2012 में हुआ था, यह एक सुन्नी संगठन है, जो ईरान के दक्षिण पूर्वी प्रांत सिस्तान-बलूचिस्तान से संचालित होता है। इस संगठन को ईरान की सरकार आतंकी संगठन मानती है। ईरान में हुए कई हमलों में इस संगठन का हाथ माना जाता है। बीते साल दिसंबर में सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में एक पुलिस स्टेशन पर हमला हुआ था। उस हमले में 11 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। इस हमले के पीछे भी जैश अल अदल का हाथ बताया गया था।
कौन हैं जैश अल -अदल के आतंकी
रिपोर्ट के अनुसार, 2012 में गठित, जैश अल-अदल, जिसे ईरान द्वारा “आतंकवादी” संगठन के रूप में नामित किया गया है, एक सुन्नी आतंकवादी समूह है जो ईरान के दक्षिणपूर्वी प्रांत सिस्तान-बलूचिस्तान में संचालित होता है। पिछले कुछ वर्षों में जैश अल-अदल ने ईरानी सुरक्षा बलों पर कई हमले किए हैं। अल अरबिया न्यूज के मुताबिक, दिसंबर में जैश अल-अदल ने सिस्तान-बलूचिस्तान में एक पुलिस स्टेशन पर हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें कम से कम 11 पुलिस कर्मियों की जान चली गई थी।
ईरान में कई हमलों के आरोप जैश अल अदल पर
ईरान की सेना इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स द्वारा सीरिया में किए जा रहे हमलों और सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में ईरान की सेना द्वारा सुन्नियों पर की जा रही कथित प्रताड़ना के खिलाफ जैश अल अदल का गठन किया गया है। जैश अल अदल ईरान में सुन्नियों के लिए सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत को आजाद कराना चाहता है, ताकि वहां बलोच लोगों को ज्यादा अधिकार मिल सकें।
ईरान और पाकिस्तान ने किया था समझौता
पिछले महीने, एक-दूसरे के क्षेत्रों में “आतंकवादी इकाइयों” के खिलाफ मिसाइल हमले करने के कुछ हफ्तों बाद, पाकिस्तान और ईरान ने पारस्परिक रूप से सुरक्षा सहयोग का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की थी। समझौते की घोषणा पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी और उनके ईरानी समकक्ष होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन द्वारा पाकिस्तान विदेश कार्यालय में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान की गई।
जिलानी ने कहा कि ईरान और पाकिस्तान दोनों “गलतफहमी” को काफी जल्दी सुलझा सकते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश अपने-अपने क्षेत्रों में आतंकवाद से लड़ने और एक-दूसरे की चिंताओं को दूर करने पर भी सहमत हुए थे लेकिन उसके बाद ही ईरान ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मारा।
ईरान और पाकिस्तान के बीच बढ़ गया था तनाव
गौरतलब है कि तेहरान और इस्लामाबाद द्वारा ‘आतंकवादी इकाइयों’ को निशाना बनाकर एक-दूसरे पर मिसाइल हमले करने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। ईरान ने 16 जनवरी की देर रात को जैश अल-अदल के दो “महत्वपूर्ण मुख्यालयों” को नष्ट करने के लिए पाकिस्तान में मिसाइल और ड्रोन हमले किए थे। अल अरबिया ने हवाला देते हुए बताया कि इस्लामाबाद ने आरोप लगाया कि हमलों में दो बच्चों की मौत हो गई और तीन लड़कियां घायल हो गईं।
इसके बाद ही पाकिस्तान ने 17 जनवरी को ईरान से अपने राजदूत को वापस बुला लिया और घोषणा की कि वह अपनी संप्रभुता के “घोर उल्लंघन” के विरोध में उस समय अपने गृह देश का दौरा करने वाले ईरानी दूत को वापस लौटने की अनुमति नहीं देगा। इसके अगले दिन, 18 जनवरी को, पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में ईरान के अंदर हमले किए। इस्लामाबाद ने कहा कि उसने ‘आतंकवादी आतंकवादी संगठनों’, अर्थात् बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ठिकानों को निशाना बनाया।