चीन में इस समय रहस्यमयी वायरस फैला हुआ है, जिससे पूरी दुनिया दहशत में है. लोगों को डर सता रहा है कि कहीं कोरोना जैसी महामारी तो नहीं है, जो फिर से कहीं तबाही न मचा दे. दरअसल, बच्चों में फैल रहे इस वायरस को निमोनिया बताया जा रहा है. इस वायरस पर भारत अपनी पैनी नजर बनाए हुए है. साथ ही साथ एडवाइजरी तक जारी की जा चुकी है.
उन्होंने कहा कि चीन को बीमारी छुपाने की आदत है, ऐसे में समय रहते हमें कोशिश करनी होगी. चीन ने डब्लूएचओ को जो जानकारी दी है उसके मुताबिक, यह नए फ्लू स्ट्रेन या महामारी फैलाने में सक्षम अन्य वायरस का उद्भव को आमतौर पर श्वसन संबंधी बीमारी के अज्ञात समूहों को बताया है.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने गुरुवार को एक टेलीकॉन्फ्रेंस के दौरान अनुरोधित डेटा प्रदान किया. इससे अक्टूबर के बाद से जीवाणु संक्रमण, आरएसवी, इन्फ्लूएंजा और सामान्य सर्दी वायरस सहित बीमारियों के कारण बच्चों के अस्पताल में प्रवेश में वृद्धि देखी गई.
पर्याप्त जानकारी नहीं
इन सबके बीच डब्लूएचओ को चीन से जो जानकारी मिली है उसके आधार पर फिलहाल कुछ भी डब्लूएचओ कहने की स्थिति में नहीं है. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बच्चों में सांस की बीमारी के इन रिपोर्ट किए गए मामलों के जोखिम का सही आकलन करने के लिए फिलहाल बहुत कम जानकारी है.
भारत में क्या है स्थिति?
डॉ सुजीत कुमार ने कहा कि हमारे देश में जरूर थोड़ा हमें अनयूजुअल रेस्पिरेटरी केस देखने को इस बार मिल रहे हैं. एक तरफ मामलों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी ओर जिन्हें यह बीमारी हो रही है उनमें थोड़ा लंबे समय तक यह प्रकोप चल रहा है. जैसे खांसी एक बार हो जाती है, तो उसे ठीक होने में थोड़ा ज्यादा समय लेगता है. अमूमन हम इस वक्त इन सभी चीजों से अधिक चिंतित नहीं होते हैं, लेकिन हम चिंतित कहां पर होते हैं जहां पर हमें हॉस्पिटलाइजेशन की नौबत आती है.
क्या डरने की जरूरत है?
डॉ सुजीत कुमार ने कहा कि चीन में पुराने कोविड के हालात क्या हुए थे इससे हम सभी वाकिफ हैं. उन्होंने कहा कि यह कोविड का भी वेरिएंट हो सकता है. चीन में कहा जा रहा है कि ये वेरिएंट एक तेजी से फैल रहा है, जिसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं है.
भारत का कदम सराहनीय है
डॉ सुजीत कुमार ने कहा कि भारत ने समय रहते बहुत सारे कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि राज्यों को एडवाइजरी जारी हो चुकी है. हम पूरी तरह से वैज्ञानिक तौर पर इसका अध्यक्ष कर रहे हैं.
यह संक्रामक ही है!
डॉ सुजीत कुमार ने बताया कि जिस तरह से वुहान में बच्चे अस्पताल में एडमिट हो रहे हैं वह संख्या इस बात को लेकर इशारा करती है कि निश्चित रूप से यह संक्रामक है. उन्होंने कहा कि यह भी देखना होगा कि किस तरह का इंफेक्शन है. क्या ड्रॉप लेट से फैल रहा है अथवा किसी और तरीके से हमारे आपके बीच आ रहा है.
एनसीडीसी कर रहा डेटा एनालिसिस
डॉ सुजीत कुमार ने कहा कि बात यदि चीन की करें तो 7000 एक नंबर है, नंबर को जब तक हम डिनॉमिनेटर के तहत नहीं देखेंगे कि 7000 कितनी बड़ी लोकेलिटी में कितनी पॉपुलेशन में यह एपिडेमियोलॉजिकल एनालाइज करने की जरूरत है. पुराना पैटर्न कहते हैं और एपिडेमियोलॉजी करने की जरूरत है. क्या इनसीडियस रेट बढ़ रहा है, क्या प्रॉब्लम्स रेट बढ़ रहा है या मोर्टालिटी बढ़ रही है या मोरबिडिटी बढ़ रही है. यह सब इंडिकेटर होते हैं जो हमको एनालाइज करने में मदद करते हैं.
दुनिया के लिए जानकारी जरूरी
डॉ सुजीत कुमार ने कहा कि यह डिजीज किस प्रकार से ट्रेंड कर रही है और आगे वह किस प्रकार का रूप ले सकती है, किसी भी बीमारी को या किसी भी लक्षण को या कोई भी इंडिकेटर को छुपाना नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि चीन में हमने पूर्व में जरूर यह देखा है दो-तीन बार किस प्रकार का दृश्य रहा है. जहां बहुत ज्यादा साइंटिफिकली करेक्ट जानकारी नहीं मिली है. फिलहाल डब्ल्यूएचओ उसके टच में है. उन्होंने कहा कि मेरे ख्याल में निश्चित रूप से गवर्नमेंट ऑफ चीन और डब्ल्यूएचओ के बीच में बातचीत चल रहा होगी और डब्लूएचओ बाकी सब देशों को इसको लेकर सचेत करे.