पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI द्वारा भारत के खिलाफ हनी ट्रैप और साइबर-जासूसी के इस्तेमाल की एक खतरनाक और सुनियोजित रणनीति का ताजा उदाहरण है। हरियाणा के कैथल से पकड़ा गया देवेंद्र सिंह ढिल्लों न सिर्फ खुद जासूसी के जाल में फंसा, बल्कि उसके ज़रिए कई और भारतीय युवाओं को टारगेट करने की कोशिश की गई।
देवेंद्र का कबूलनामा: एक “हनी ट्रैप” मिशन की कहानी
देवेंद्र सिंह ढिल्लों ने कबूल किया कि वह:
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करतारपुर कॉरिडोर के ज़रिए पाकिस्तान गया था।
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वहाँ विक्की नाम के पाकिस्तानी एजेंट से मिला, जिसने उसे लाहौर ले जाकर एक महिला (संभवत: मैडम X) से मिलवाया।
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इस महिला के साथ इंस्टाग्राम पर बातचीत और घूमने-फिरने का सिलसिला चला।
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भारत लौटने के बाद उसी महिला ने उसे ब्लॉक कर दिया, पर विक्की के ज़रिए संपर्क बना रहा।
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फिर विक्की ने QR कोड पर ₹1500 ट्रांसफर करवाए और एक भारतीय सिम कार्ड की मांग की — जो सीधे तौर पर जासूसी नेटवर्क के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट था।
जासूसी का पैटर्न: करतारपुर कॉरिडोर के बहाने साजिश
चरण | विवरण |
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Phase 1 | करतारपुर कॉरिडोर की धार्मिक यात्रा के बहाने भारतीय नागरिकों को टारगेट करना |
Phase 2 | पाकिस्तानी एजेंटों द्वारा स्वागत, घुमाने और विश्वास में लेना |
Phase 3 | महिला एजेंट (मैडम X) से दोस्ती और सोशल मीडिया कनेक्शन |
Phase 4 | ब्लैकमेल, QR कोड पेमेंट, SIM कार्ड की मांग — जासूसी के लिए |
Phase 5 | भारत लौटने के बाद संपर्क बनाए रखना और सूचनाएं भेजवाना |
कौन है ‘मैडम X’?
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एक ISI-प्रशिक्षित महिला एजेंट, जिसे “हनी ट्रैप स्पेशलिस्ट” के तौर पर तैनात किया गया।
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उसका लक्ष्य भारतीय युवाओं, सैनिकों, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और तकनीकी पेशेवरों को फंसाना था।
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इंस्टाग्राम, WhatsApp, और Telegram जैसे प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए भावनात्मक रिश्ता बनाकर व्यक्तिगत और सुरक्षा-संबंधी जानकारियां निकलवाना।
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जांच एजेंसियों के मुताबिक, उसके निशाने पर कई और नौजवान भी थे, जिनकी पहचान की जा रही है।
सोशल मीडिया और QR कोड का दुरुपयोग: साइबर-सुरक्षा को चुनौती
देवेंद्र जैसे मामलों में देखा गया है कि:
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सोशल मीडिया पर झूठे प्रोफाइल बना कर संपर्क किया जाता है।
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इंस्टाग्राम/फेसबुक चैट्स के ज़रिए वीडियो कॉल, इमोशनल कनेक्ट और फिर धमकी या ब्लैकमेल।
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QR कोड या UPI ट्रांसफर से पैसा मंगवाना — जिससे डिजिटल फुटप्रिंट मिटाया जा सके।
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भारतीय सिम कार्ड की मांग — ISI को भारत में कम्युनिकेशन बेस देने के लिए।
देवेंद्र की गिरफ्तारी: कैसे खुला राज?
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11 मई को गुहला थाने में एक सिक्योरिटी एजेंट ने शिकायत दी कि देवेंद्र बिना लाइसेंस हथियारों के साथ फोटो डाल रहा है।
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13 मई को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू हुई।
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मोबाइल डेटा जांचने पर पाकिस्तान से संपर्क और संवेदनशील सूचनाएं भेजने के सबूत मिले।
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पूछताछ में करतारपुर यात्रा, ISI संपर्क और हनी ट्रैप का पूरा खुलासा हुआ।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर और एजेंसियों की कार्रवाई
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सुरक्षा एजेंसियां अब उस भारतीय QR नंबर और सिम कार्ड की जांच कर रही हैं।
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‘मैडम X’ की पहचान और नेटवर्क को ट्रैक करने के लिए इंटरसेप्ट, साइबर-सर्विलांस और कूटनीतिक दबाव के विकल्प इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
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भारत में करतारपुर के ज़रिए आने-जाने वालों की गहन स्क्रीनिंग की प्रक्रिया को भी फिर से सख्त किया जा सकता है।
निष्कर्ष: हनी ट्रैप — ISI का पुराना लेकिन खतरनाक हथियार
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ISI वर्षों से हनी ट्रैप का इस्तेमाल कर रही है — कई बार सैन्यकर्मियों, वैज्ञानिकों और अब आम नागरिकों को भी टारगेट कर रही है।
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सोशल मीडिया पर अनजान प्रोफाइल से बात करना, किसी भी QR कोड पर पैसे भेजना, या अंतरराष्ट्रीय नंबर से बात करना — अब राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मसला बन चुका है।
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यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं — यह एक सिस्टमेटिक साइबर-जासूसी युद्ध का हिस्सा है।