2015 में आतंकी संगठन ISIS में शामिल होने गईं ब्रिटिश नागरिक शमीमा बेगम दोबारा नागरिकता हासिल करने का केस हार गईं। ब्रिटेन की एक अदालत ने बुधवार को कहा कि शमीमा की ब्रिटिश सिटीजनशिप छीनने का होम डिपार्टमेंट का फैसला सही था, इस पर रोक नहीं लगाई जाएगी।
शमीमा 2015 में दो सहेलियों के साथ लंदन से सीरिया गई थी। वहां ISIS आतंकी से शादी की। दो बच्चे हुए। ISIS के पतन के बाद से शमीमा सीरिया के रिफ्यूजी कैंप में रह रही है। उसने कई बार ब्रिटेन सरकार से माफी मांगी, नागरिकता बहाली की मांग की। ये हर बार खारिज कर दी गई। ताजा फैसले में उनके किसी भी रूप में ब्रिटेन आने पर रोक के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
वेस्टर्न मीडिया उन्हें ISIS ब्राइड या जिहादी दुल्हन कहता है। इसकी वजह ये है कि उन्होंने आतंकी से निकाह किया था।
नवंबर में हुई थी सुनवाई, फैसला अब आया
- 19 फरवरी 2019 को ब्रिटेन के तब के होम मिनिस्टर साजिद जावेद ने शमीमा की नागरिकता रद्द की थी। इसके बाद दो बार शमीमा ने इसे बहाल करने के लिए ब्रिटिश कोर्ट्स में अपील दायर की। अपील के वक्त वो खुद सीरिया के रिफ्यूजी कैम्प में थीं। वकील ने कोर्ट में शमीमा की तरफ से दलील पेश की।
- नवंबर 2022 में दूसरी अपील पर सुनवाई लगातार पांच दिन चली। शमीमा के वकील ने कहा था- फैसला तो इस बात पर होना है कि वो ह्यूमन ट्रैफिकिंग (मानव तस्करी) का शिकार हुईं या नहीं। सच्चाई ये है कि शमीमा तो विक्टिम हैं। फिर उनकी नागरिकता कैसे छीनी जा सकती है। ये गैरकानूनी होगा।
- 2019 में शमीमा ने जब पहली बार नागरिकता बहाली के लिए अपील दायर की थी, तब वो प्रेग्नेंट थीं। बाद में उन्होंने रिफ्यूजी कैम्प में ही बच्चे को जन्म दिया। पहले दो बच्चों की सीरिया में मौत हो चुकी थी।
फैसले पर वकील का रिएक्शन
बुधवार को आए कोर्ट के फैसले पर शमीमा के वकील ने कहा- यह दुखी करने वाला है। कोर्ट के पास एक मौका था कि वो पहले की गई गलती को सुधार सकता था। यह नाइंसाफी जारी है। इसका मतलब ये हुआ कि अगर किसी ब्रिटिश बच्चे को मानव तस्करी के जरिए देश से बाहर ले जाया गया तो हमारे होम सेक्रेटरी की नजर में उसे देश वापस लाना नेशनल सिक्योरिटी के लिए खतरा हो जाएगा।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी कोर्ट के फैसले को गलत बताया। कहा- हम इससे बेहद मायूस हैं। इस तरह से नागरिकता दुनिया में कहीं नहीं छीनी जाती। खास तौर पर तब जबकि विक्टिम को बचपन में बहला-फुसलाकर गलत काम में धकेला गया हो। शमीमा उन हजारों महिलाओं और बच्चों में शामिल हैं, जो एक खतरनाक साजिश का शिकार हुईं और फिर रिफ्यूजी कैम्प में पहुंच गईं।
बहरहाल, शमीमा की नागरिकता छीनने का फैसला देने वाले तब के होम सेक्रेटरी साजिद जावेद ने कोर्ट के फैसले को सही बताया। कहा- इससे साबित होता है कि मैंने शमीमा की नागरिकता रद्द करने का जो फैसला किया था, वो सही था। वो हमारी नेशनल सिक्योरिटी के लिए खतरा हैं।
एक उम्मीद, जो बाकी है
ब्रिटिश कोर्ट ने बुधवार को जो फैसला सुनाया है, उसमें दो बातें गौर करने लायक हैं। पहली- शमीमा को अब ब्रिटेन की नागरिकता दोबारा नहीं मिल सकेगी। दूसरी- फैसले में ये साफ नहीं है कि उनके ब्रिटेन आने पर भी रोक रहेगी। मतलब ये कि वो भले ही अब ब्रिटिश नागरिक न रहें, लेकिन अगर किसी और तरह से या कोई दूसरा वीजा लेकर ब्रिटेन आ सकती हैं या नहीं? यह साफ नहीं है। आने वाले दिनों में मुमकिन है कि वो इसी पेंच को आधार बनाकर एक और अपील दायर कर टेम्परेरी या टूरिस्ट वीजा लेकर ब्रिटेन आ जाएं।
गलती मानने को तैयार
पिछले साल दिए एक इंटरव्यू में शमीमा ने कहा था- ब्रिटिश सरकार ने मेरी नागरिकता छीन ली है। मैं अब कहीं नहीं जा सकती। 15 साल की उम्र में जब मैंने ब्रिटेन छोड़ा तब कुछ दोस्तों ने मुझे बहका दिया था। इन लोगों से मेरी ऑनलाइन मुलाकात हुई थी। इस बात को अब 7 साल बीत चुके हैं। अब मैं बस ब्रिटेन लौटना चाहती हूं, फिर चाहे पूरी जिंदगी जेल में ही क्यों न बितानी पड़े। मैंने सिर्फ एक गुनाह किया कि मैं सीरिया गई और आईएस के दहशतगर्द से शादी की। इसके अलावा मैंने कोई गलत काम नहीं किया। किसी टेरर एक्टिविटी में शामिल नहीं रही।
कौन हैं शमीमा बेगम
- बांग्लादेश मूल की ब्रिटिश नागरिक हैं। 2015 में अन्य दो लड़कियों के साथ आईएस में शामिल होने के लिए सीरिया गईं। बाकी दो लड़कियों का कोई पता नहीं चल सका। शमीमा 2019 में सीरिया के एक रिफ्यूजी कैम्प में मिलीं। तब वे 9 माह की गर्भवती थीं। बच्चा हुआ तो उसकी निमोनिया से मौत हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शमीमा के पहले भी दो बच्चे हुए थे, पर दोनों की मौत हो गई थी। शमीमा पर आरोप है कि वो फिदायीन हमलावरों के लिए जैकेट बनाने में माहिर हैं, हालांकि वो इससे इनकार करती हैं।
- कहा जाता है कि शमीमा ग्लासगो की 20 वर्षीय महिला अक्सा महमूद के संपर्क में थी। अक्सा 2013 में ISIS में शामिल होने वाली पहली ब्रिटिश महिलाओं में से एक थी। वह ISIS की अल-खानसा ब्रिगेड की मेंबर थी, जिसका काम युवतियों को आतंकी समूह से जोड़ना था। वह सोशल मीडिया पर युवतियों का ब्रेनवॉश कर उन्हें ISIS से जुड़ने के लिए मजबूर करती थी। शमीमा ने सीरिया जाने से कुछ महीने पहले अक्सा महमूद से ट्विटर पर मैसेज करने के लिए कहा था। यहीं से दोनों के बीच बातचीत होने के संकेत मिले थे।