आतंकी संगठन हमास (Hamas) ने बीते 7 अक्टूबर को इजरायल (Israel) पर एक साथ 5 हजार से ज्यादा रॉकेट दागे थे और इसके बाद मची अफरातफरी का फायदा उठाकर 1 हजार से ज्यादा आतंकी फेंसिंग तोड़कर इजरायल में घुसे और 100 से ज्यादा लोगों को उठाकर गाजा पट्टी में वापस ले गए. कैद किए गए लोगों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं. खबरें ये भी हैं कि गाजा पट्टी से इजरायल में आए हमास के आतंकियों ने कई इलाकों में नरसंहार भी किया. बच्चों तक को जिंदा जला दिया. कई लोगों को तो उनके परिवार के सामने ही मौत के घाट उतार दिया. लेकिन इसकी क्या वजह है कि आतंकियों ने 100 से ज्यादा लोगों को कैद भी किया? आइए इसका कारण और हमास की रणनीति के बारे में जानते हैं.
हमास ने क्यों कैद किए इजरायली नागरिक?
आप जानकर चौंक जाएंगे लेकिन ये सच है कि आज से 12 साल पहले 2011 में इजरायल ने अपने 1 सैनिक के बदले फिलिस्तीन के 1 हजार से ज्यादा लोगों को छोड़ दिया था. इनमें सैकड़ों लोग ऐसे भी थे जिनको आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी थी. कैदियों के इस अदला-बदली से साफ हो गया था कि इजरायल अपने नागरिकों और सैनिकों को कितनी अहमियत देता है. माना जा रहा है कि अब इसी बात का फायदा हमास उठाना चाहता है.
जब हमास ने इजरायली सैनिक को किया अगवा
बता दें कि साल 2006 में टनल के जरिए जाकर हमास के आतंकियों ने इजरायली सेना की एक आउटपोस्ट पर हमला कर दिया था और वहां से एक इजरायली सैनिक शालित (Shalit) को अगवा कर लिया था. फिर शालित को छुड़ाने के लिए इजरायल ने कई मिलिट्री ऑपरेशन चलाए, जिसमें आतंकियों समेत सैकड़ों लोगों की जान गई लेकिन फौज अगवा हुए सैनिक शालित को छुड़ाने में नाकाम रही.
जब इजरायल ने 1 सैनिक के बदले छोड़े 1000 कैदी
इसके बाद गाजा पर राज करने वाला आतंकी संगठन हमास ने इजरायल के सामने कैदी के बदले कैदियों को लेने-देने की मांग रखी, जिसे पहले इजरायली सरकार ने मना कर दिया. लेकिन फिर हजारों इजरायलियों ने अपनी ही सरकार के ऊपर किसी भी हालत में अगवा फौजी शालित को छुड़ाने का दवाब बनाया. उनको डर था अगर हमास और इजरायल के बीच शालित को लेकर बात नहीं बनी तो उसका हाल रॉन अराद के जैसा किया जा सकता है. इसके बाद इजरायल इस नतीजे पर पहुंचा कि वह फिलिस्तीन के 1027 कैदी छोड़ेगा.
रॉन अराद के साथ हिजबुल्लाह ने क्या किया?
जान लें कि रॉन अराद इजरायली एयरफोर्स का एक नेविगेटर था, जिसे 1986 में लेबनान में कैद कर लिया गया था. दक्षिणी लेबनान में एक ऑपरेशन के दौरान अराद को पकड़ लिया गया था. पहले अराद एक लोकल ग्रुप ने पकड़ा था और बाद में उसे हिजबुल्लाह के हवाले कर दिया गया था. इजरायल ने आतंकियों के कब्जे से अराद को छुड़ाने की बहुत कोशिश की थी लेकिन इजरायल को अपने मिशन में कामयाबी नहीं मिली थी. फिर 2008 में हिजबुल्लाह ने घोषित कर दिया था कि अराद की मौत हो गई है. शालित वाले मामले में इजरायलियों को यही डर था कि कहीं शालित का हाल अराद के जैसा ना हो.