बेंगलुरु में एनआईए की विशेष अदालत द्वारा बांग्लादेशी नागरिक और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के ‘अमीर’ जाहिदुल इस्लाम उर्फ कौसर को सात साल के कठोर कारावास की सजा और 57,000 रुपये के जुर्माने का निर्णय आतंकवाद विरोधी अभियानों में एक महत्वपूर्ण सफलता है। यह घटना भारत में सीमा पार आतंकवादी संगठनों की गहरी पैठ और उनके नेटवर्क को उजागर करती है।
मामले की प्रमुख बातें:
- जाहिदुल का बैकग्राउंड और भारत में प्रवेश:
- 2014 में भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने से पहले, जाहिदुल बांग्लादेश में 2005 के सीरियल बम धमाकों में शामिल था।
- पुलिस की हिरासत से भागने के बाद वह जेएमबी के प्रमुख सलाउद्दीन सालेहिन के साथ भारत में सक्रिय हो गया।
- भारत में आतंकी गतिविधियां:
- 2014 में पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के खागरागढ़ में बम धमाके की साजिश रची, जिसमें दो लोगों की मौत हुई।
- बोधगया विस्फोट (2018) जैसे अन्य हमलों में भी उसकी भूमिका सामने आई।
- कट्टरपंथ और धन जुटाने की गतिविधियां:
- पश्चिम बंगाल और असम में मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर जेएमबी की गतिविधियों में शामिल किया।
- बेंगलुरु में चार डकैतियों से जुटाए गए धन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों, प्रशिक्षण, और गोला-बारूद की खरीद में किया।
- एनआईए की कार्रवाई:
- एनआईए ने 2019 में इस मामले की जांच शुरू की और जाहिदुल के ठिकानों से हथगोले, टाइमर डिवाइस, इलेक्ट्रिक सर्किट और आईईडी निर्माण सामग्री बरामद की।
- 11 आरोपितों को दोषी ठहराया गया, जिनमें से जाहिदुल पर साजिश, डकैती, धन उगाही और हथियार खरीदने के गंभीर आरोप सिद्ध हुए।
- भारत में जेएमबी की गतिविधियां:
- जेएमबी का उद्देश्य भारत में आतंकी नेटवर्क फैलाना और स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर आतंकी हमलों को अंजाम देना था।
- यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि भारत को सीमा पार आतंकवाद के साथ-साथ घरेलू आतंकी नेटवर्क से सतर्क रहने की आवश्यकता है।
महत्वपूर्ण चुनौतियां:
- फरार आतंकियों की तलाश:
- जेएमबी प्रमुख सलाउद्दीन सालेहिन जैसे फरार आतंकियों को पकड़ना अब भी चुनौती बना हुआ है।
- युवाओं का कट्टरपंथी बनना:
- आतंकी संगठन भोले-भाले युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और अपने मंसूबों के लिए इस्तेमाल करने में सफल हो रहे हैं।
- सीमा सुरक्षा:
- बांग्लादेश से भारत में अवैध घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत करने की जरूरत है।
एनआईए और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका:
एनआईए की इस सफलता ने साबित किया है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठाने में सक्षम हैं। जाहिदुल इस्लाम को सजा मिलने से आतंकवादी संगठनों को यह संदेश मिलेगा कि भारत आतंकवादी गतिविधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति अपनाए हुए है।
यह घटना भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीतियों और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता को दर्शाती है। हालांकि, युवाओं को कट्टरपंथी बनने से रोकने, सीमा पर निगरानी मजबूत करने और आतंकवादी नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। साथ ही, इस सजा के बाद जेएमबी और अन्य आतंकी संगठनों के भारत में विस्तार को रोकने के लिए सतर्कता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भी जरूरी हो जाता है।