जाने-माने कवि, गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर कहा है कि UCC बेहद आवश्यक है और यह लाया जाना चाहिए।
UCC का विरोध करने वाले एक वर्ग को लेकर जावेद अख्तर ने तल्ख टिप्पणी की है। उनका कहना है कि भारत में समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले लोग अपने बच्चों को अमेरिका, यूनाइटेड जैसे देशों में भेजने के मरे जा रहे हैं, जहाँ UCC पहले से लागू है, वे वहाँ के लिए ग्रीन कार्ड चाह रहे हैं।
Javed Akhtar- People opposing Uniform Civil Code in India are dying to send their kids to USA, UK where there is UCC, want green card for them.
"They can accept UCC in USA, UK but not in India?" pic.twitter.com/9a7R2nEhEo
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) July 30, 2023
UCC पर इस वर्ग के दोहरे रवैये को लेकर जावेद अख्तर कहते हैं कि वे अमेरिका, ब्रिटेन में UCC स्वीकार कर सकते हैं लेकिन भारत में नहीं?
एक इन्टरव्यू में जावेद अख्तर ने कहा, व्यक्तिगत रूप से उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी लड़की या महिला के लिए किसी भी तरह के भेदभाव के बिना सभी तरह की लैंगिक समानताएं सुनिश्चित करना है।
समान नागरिक संहिता को लाने के समयावधि को लेकर जावेद अख्तर कहते हैं कि अब भारत इस आधार पर UCC लाने में देरी नहीं कर सकता है कि यह सही समय नहीं है।
अख्तर का कहना है कि UCC का विरोध करने वाले लोग हमेशा रहेंगे इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि यह सही समय नहीं है। उन्होंने आगे कहा, सभी को समझाने का प्रयास किया जाना चाहिए लेकिन हम किसी भी समुदाय के चरमपंथियों को वीटो नहीं दे सकते हैं।
निजी जीवन UCC के अनुरूप जिया: जावेद अख्तर
अपने निजी जीवन के बारे में बात करते हुए जावेद अख्तर ने कहा है कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अपना जीवन ऐसे जिया है मानो उन पर समान नागरिक संहिता लागू हो।
उन्होंने कहा कि एक मुस्लिम के रूप में, उन्हें अपनी पहली पत्नी को केवल चार महीने के लिए गुजारा भत्ता देना होता है, लेकिन उन्होंने जानबूझकर तब तक गुजारा भत्ता देने का फैसला किया है, जब तक वे चाहती थीं।
जावेद अख्तर ने अपने व्यवहार और विरासत के सन्दर्भ में बताया कि उन्होंने अपने बेटे और बेटी के साथ बिल्कुल समान व्यवहार किया है और यह सुनिश्चित किया है कि जो कुछ वे अपने पीछे (संपत्ति) छोड़ गए हैं, उनमें से प्रत्येक को 50 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा।
AIMPLB रिग्रेसिव है: जावेद अख्तर
जावेद अख्तर UCC को लेकर पहले भी कई बार अपने विचार जाहिर कर चुके हैं। इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को इतनी तवज्जो देने की कोई आवश्यकता नहीं है।
AIMPLB जिद्दी है, वो रिग्रेसिव है। वह ट्रिपल तलाक का भी विरोध कर रहा था जबकि यह अधिकांश मुस्लिम देशों में बैन है। जावेद अख्तर कहते हैं कि वे सम्पूर्ण मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।