कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकियों को प्रश्रय देकर जो आग भड़काई है उसकी लपटें तेज हो रही है। सोमवार (25 सितंबर 2023) को कनाडा के ओटावा, टोरंटो और वैंकूवर में खालिस्तान समर्थकों ने प्रदर्शन किया।
भारतीय हाई कमीशन के बाहर ओटावा में खालिस्तान लिखे पीले झंडे लहराए गए। टोरंटो में तिरंगे को आग के हवाले कर दिया गया। उधर वैंकूवर में भी भारत के वाणिज्यिक दूतावास के बाहर सौ से अधिक खालिस्तानियों ने प्रदर्शन किया।
सोमवार को खालिस्तान समर्थकों के एक समूह ने ओटावा में भारतीय उच्चायोग के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। रिपोर्टों में दावा किया गया है कि लगभग 100 खालिस्तानी समर्थकों ने उच्चायोग के बाहर ‘खालिस्तान’ शब्द लिखे पीले झंडे लहराए।
प्रदर्शनकारी रेशमा सिंग बोलिनास ने जस्टिन ट्रूडो के प्रति आभार जताते हुए कनाडा से इस जघन्य कृत्य के पीछे की सच्चाई को उजागर करने में कोई कसर नहीं छोड़ने और भविष्य में निर्दोष लोगों की हत्या को रोकने के लिए भारत पर दबाव बनाने का आग्रह किया।
वैंकूवर में भारत के वाणिज्यिक दूतावास के बाहर लगभग 200 खालिस्तानी समर्थक इकट्ठा हुए और प्रदर्शन किया। टोरंटो में भी करीब 100 खालिस्तान समर्थकों ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज को जला दिया। उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ भी नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र के कट-आउट को जूते भी मारे।
रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) से जुड़े प्रदर्शनकारियों में से एक ने आरोप लगाया कि भारत ने ‘कनाडा की संप्रभुता से समझौता किया’। भारत विरोधी ये प्रदर्शन SFJ के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा अपने समर्थकों को भड़काने के बाद ही हुए है।
हालाँकि ये प्रदर्शन आतंकी संगठन के अनुमानों के अनुसार नहीं हुए। उस तरह का जमावड़ा देखने को नहीं मिला जिसका पन्नू ने अनुमान लगाया था। लेकिन विरोध-प्रदर्शनों की जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं उनमें देखा जा सकता है तिरंगे और भारतीय प्रधानमंत्री के अपमान के बावजूद कनाडा के पुलिसकर्मी मूकदर्शक बनकर सब कुछ देखते रहे।
यह विरोध-प्रदर्शन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का दोष भारत पर मढ़ने की कोशिश के बाद भड़के हैं। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में खासा तनाव है। ट्रूडो वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ गए हैं। घरेलू मोर्चे पर भी उनका विरोध हो रहा है। लेकिन, इससे कनाडा में पश्रय ले रहे खालिस्तानी तत्वों के मंसूबों को बल मिला है।
गौरतलब है कि निज्जर की जून में ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। भारत ने कनाडा पीएम के आरोपों को ‘बेतुका और प्रेरित’ बताते हुए खारिज कर दिया था। दोनों देशों ने राजनयिकों को भी निष्कासित किया था। कनाडा लगभग 7,70,000 सिखों का घर है, जो पंजाब के बाहर सबसे बड़ी सिख आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। हाल के वर्षों में यहाँ भारत विरोधी गतिविधियों में लगातार तेजी देखी गई है।