कनाडा के ब्रैम्पटन प्रांत में मुँह बाँधे कुछ फिलिस्तीनी उपद्रवियों ने महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति पर तोड़फोड़ करने की कोशिश की। उन्होंने महाराजा की प्रतिमा पर फिलिस्तीन का झंडा तक लगा दिया। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो को कनाडा के एक पत्रकार ने शेयर किया है। पत्रकार ने उपद्रवियों को जिहादी कहकर संबोधित किया है।
वायरल हो रहा यह वीडियो करीब 37 सेकेंड का है। इसमें महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा के प्लेटफॉर्म पर चढ़कर 2 आरोपित उनके घोड़े पर फिलिस्तीन का झंडा लगाते दिख रहे हैं। दोनों उपद्रवियों ने चेहरे पर नकाब बाँध रखा है। वहीं, नीचे कई व्यक्ति खड़े हैं। वीडियो में एक व्यक्ति महाराजा रणजीत सिंह के घोड़े पर कपड़ा बाँधता हुआ नजर आ रहा है।
इस घटना का कई लोगों ने वीडियो बनाया है। इस मामले में पुलिस से शिकायत की जा चुकी है। मामले की कनाडा पुलिस जाँच कर रही है। फिलिस्तीन के समर्थन के लिए निकाले गए विरोध प्रदर्शन के दौरान फिलिस्तीन समर्थकों ने इस घटना को अंजाम दिया। बताया जा रहा है कि प्रतिमा को खंडित करने वाले उपद्रवी का नाम होशाम हमदान है।
Hosaam Hamdan AKA IG @Masked4Palestine is the individual running the notorious account known for outlandish Anti-Semitic & Pro-Hamas statements both on his IG account and in-person at protests across Toronto.
He normally wears militant styled gear including body armor-looking… pic.twitter.com/Sa7B5zScAr
— Leviathan (@l3v1at4an) June 13, 2024
कनाडा का ब्रैम्पटन वही शहर है, जहाँ खालिस्तान समर्थक पर भी बड़ी संख्या में रहते हैं और भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं। कई मौकों पर उन्होंने इसका प्रदर्शन किया है। हालाँकि, फिलिस्तीनी द्वारा महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा को अपवित्र करने के बावजूद अभी तक उनकी तरफ से कोई बयान नहीं आया है।
कौन थे महाराजा रणजीत सिंह?
बता दें कि महाराजा रणजीत सिंह भारतीय इतिहास के प्रभावशाली राजाओं में से एक थे। वे सिख धर्म के एक महान राजा थे। उनका जन्म 13 नवंबर 1780 को पंजाब के गुजरांवाला में (अब पाकिस्तान में) हुआ था। सिर्फ 10 साल की उम्र में उन्होंने अपने जीवन का पहला युद्ध लड़ा था। मात्र 12 साल की उम्र में उन्होंने राजगद्दी सँभाली और 18 साल की उम्र में लाहौर को जीत लिया था।
महाराजा रणजीत सिंह ने 40 वर्षों के अपने शासनकाल में कई मुस्लिम शासन को खत्म किया। वहीं, अंग्रेजों को वे अपने साम्राज्य के आसपास भी फटकने भी नहीं दिया। महाराजा रणजीत सिंह जब 12 साल के थे, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। 12 साल की उम्र में उन्होंने गद्दी संभाली, लेकिन पंजाब के महाराजा के रूप में उनकी तापोशी 20 साल होने के बाद 12 अप्रैल 1801 को की गई।
ताजपोशी के बाद 1802 में उन्होंने अमृतसर को अपने साम्राज्य में मिला लिया और 1807 में अफगानी शासक कुतुबुद्दीन को हराकर कसूर पर कब्जा कर लिया। उन्होंने सन 1818 में मुल्तान और 1819 में कश्मीर पर अधिकार कर लिया। उन्होंने शक्तिशाली अफगानों को भी हरा दिया था। उन्हें प्रशासन में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और यूरोपीय भी शामिल थे।
बचपन में चेचक के कारण वे एक आँख से देख नहीं पाते थे। वे एक महान शासक, योद्धा और रणनीतिकार थे। उनकी उदारता की कई कहानियाँ भी प्रचलित हैं। उन्होंने सिख साम्राज्य की स्थापना की थी। इस कारण उन्हें ‘पंजाब का शेर’ कहा जाता था। महाराजा रणजीत सिंह की 27 जून 1839 को निधन हो गया था।