26 नवंबर 2008. इस तारीख को शायद ही कोई इंडियन भूल पाएगा. मुंबई की सड़कों पर आतंक का खौफनाक खेल खेला गया. 160 निर्दोष लोगों की जान चली गई. हमले को अंजाम देने वाले कसाब समेत कई आतंकी ऊपर पहुंच चुके हैं, लेकिन इस साजिश के कई मास्टरमाइंड अभी भी गिरफ्त से दूर हैं. डेविड कोलमैन हेडली अमेरिका की जेल में सड़ रहा है, तो उसका जिगरी दोस्त तहुव्वर हुसैन राणा को अब भारत लाया जाएगा. इन दोनों ने मिलकर मुंबई के बाद डेनमार्क को भी दहलाने की साजिश रची थी.
इस प्रोजेक्ट का नाम था ‘मिकी माउस प्रोजेक्ट’. हेडली, तहुव्वर राणा और इलियास कश्मीरी की यह खौफनाक साजिश अगर अंजाम तक पहुंचती तो डेनमार्क को भी वैसा ही दर्द झेलना पड़ता, जैसा कि हम भारतीयों ने झेला है. आतंकियों ने ठीक मुंबई की तर्ज पर इस साजिश को रचा था.
साल 2005 में डेनमार्क के एक अखबार जायलैंड्स-पोस्टन (Jyllands-Posten) ने पैगंबर मुहम्मद के विवादित कार्टून प्रकाशित किए थे. इस वजह से मुस्लिम समुदाय में काफी नाराजगी थी. अलकायदा, हेडली और राणा बस इसी का फायदा उठाना चाहते थे. मुंबई आतंकी हमले से पहले अक्टूबर 2008 में इन्होंने अखबार के दफ्तर पर हमला करने की खतरनाक साजिश रचना शुरू कर दिया था. नाम दिया गया ‘मिकी माउस प्रोजेक्ट’. इससे पहले कार्टून बनाने वाले कार्टूनिस्ट और संपादकीय स्टाफ पर हमला करने की कोशिशें भी की गईं.
डेनमार्क की खुफिया एजेंसी के चीफ जैकब श्रॉफ ने बताया था कि कोपेनहेगन में अखबार के दफ्तर पर जिस तरह की साजिश रची गई थी, वैसी ही साजिश बाद में 2008 में मुंबई हमले के लिए रची गई. हेडली ने तहुव्वर राणा ने संस्था ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन’ की आड़ में डेनमार्क के इस अखबार के अलग-अलग दफ्तरों की रेकी करना शुरू कर दिया. उसने कहा कि वह यहां अपना ऑफिस खोलना चाहता है और इसके लिए विज्ञापन देना चाहता है. हेडली और राणा के बीच ईमेल पर कोडवर्ड के जरिए बातचीत होने लगी.
#WATCH | “The order of the American court extraditing Tahawwur Rana (26/11 Mumbai terror attack accused) is a great victory for India. It is for the first time according to my knowledge, American govt has heavily relied upon Indian investigation agency’s evidence…”: Ujjwal… pic.twitter.com/R8SEvxZoO7
— ANI (@ANI) May 18, 2023
एफबीआई के मुताबिक डेनमार्क में यह हमला रोक दिया गया क्योंकि आतंकी भारत पर एक और हमला करना चाहते थे. 2008 में मुंबई हमले के बाद हेडली समेत तमाम आतंकियों के हौसले कुछ ज्यादा ही बढ़ गए थे. हेडली ने अल कायदा, इलियास कश्मीरी और पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के साथ मिलकर हिंदुस्तान पर एक और हमले की साजिश रची. यह हमला जुलाई-अगस्त 2009 के आसपास होना था. मगर इसी बीच कश्मीरी के मारे जाने की खबरें आईं और बाद में जिंदा होने की जानकारी के बावजूद उससे संपर्क कट गया.
भारत में आतंकी हमले का ख्वाब पूरा ना होते देख हेडली ने डेनमार्क में हमला करने की साजिश की कमान अपने हाथ में ले ली. वह एक साथ कई दफ्तरों पर हमला करना चाहता था. वह बार-बार पाकिस्तान और डेनमार्क के चक्कर काट रहा था. जुलाई 2009 में हेडली कोपेनहेगन और यूरोप की अन्य जगहों पर भी गया. हेडली ने राणा से कोड वर्ड में बात करते हुए कहा, ‘अगर डॉक्टर (इलियास कश्मीरी) और उसके साथी मदद नहीं करेंगे तो वह खुद ही ऑपरेशन को अंजाम देगा.’
मगर खुफिया एजेंसियों को उसके बार-बार पाकिस्तान जाने की वजह से शक हो गया था. अगस्त 2009 में जॉर्जिया में उससे पूछताछ की गई. दो महीने बाद 9 अक्टूबर को उसे शिकागो एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया. वो पाकिस्तान जाने की फिराक में था. उसके पास से डेनमार्क में अखबार के दफ्तर पर हमला करने की साजिश से जुड़े ढेर सारे दस्तावेज मिले.