अमेरिका और कनाडा में भारतीय हाई कमिशन पर हमले की जांच भी केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सौंपी जा सकती है. एनआईए पहले से ही ब्रिटेन स्थित हाई कमिशन पर हमले की जांच कर रही है. खालिस्तान समर्थकों ने अमृतपाल सिंह पर कार्रवाई के विरोध में ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा समेत कई अन्य देशों में भारतीय हाई कमिशन पर हमला कर दिया था. भारत ने संबंधित देशों के सामने भी यह बात रखी और सुरक्षा देने की अपील की थी.
अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय कांसुलेट और कनाडा के ओटावा में खालिस्तान समर्थकों ने भारतीय हाई कमिशन पर हमला किया था. खालिस्तानी झंडे के साथ आए अमृतपाल के समर्थकों ने यहां खूब उपद्रव मचाया था. यहां तोड़फोड़ की थी. अप्रैल महीने में गृह मंत्रालय ने ब्रिटेन स्थित हाई कमिशन पर हमले की जांच एनआईए को सौंपी थी. बताया जाता है कि हमले के तार पाकिस्तानी आईएसआई से जुड़े हैं. यही वजह है कि एनआईए की टीम को जांच के लिए लंदन जाना पड़ा.
गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को मामले में दर्ज केस को जांच एजेंसी को सौंपने कहा था. दिल्ली पुलिस ने यूएपीए के तहत केस दर्ज किया था. इसके बाद एनआईए ने असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह और उसके 9 साथियों से पूछताछ की थी. बाद में जांच एजेंसी की टीम ब्रिटेन गई और अधिकारियों से मुलाकात की और जरूरी सीसीटीवी फुटेज हासिल किए. अब माना जा रहा है कि गृह मंत्रालय ने एनआईए को एक फ्रेश केस दर्ज करने कहा है और इसबार कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका तक की जांच का निर्देश दिया है.
गृह मंत्रालय ने नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को अपनी शिकायत में कहा है कि केंद्र सरकार को जानकारी मिली है कि दिल्ली पुलिस ने 8 जून को एक एफआईआर दर्ज की है. आईपीसी की कई धाराओं में केस दर्ज किए गए हैं. एक्सप्लोसिव सब्सटांस केस की धारा 4 के तहत भी मामला दर्ज किया गया है. गृह मंत्रालय का कहना है कि कनाडा के ओटावा स्थित हाई कमिशन के बाहर अमरजोत सिंह की अगुवाई में 23 मार्च को भारत-विरोधी नारेबाजी की गई थी. बाउंड्री की दीवार पर खालिस्तानी झंडा लगा दिया था और हाई कमिशन बिल्डिंग के भीतर दो ग्रेनेड भी फेंके गए थे.