ऑपरेशन सिंदूर: भारत की सैन्य आक्रामकता का असर
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भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के आतंकी लॉन्च पैड्स और सामरिक ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक्स ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि भारत अब ‘पहले हमला, पहले सुरक्षा’ की नीति पर चल रहा है।
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ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को आंतरिक, सैन्य और कूटनीतिक दबाव में ला दिया है। विदेशी मीडिया भी मान रहा है कि भारत के टारगेटेड हमलों ने पाकिस्तान की सैन्य और आतंकी बुनियाद को हिलाकर रख दिया।
सीजफायर की अस्थायी सहमतियाँ: पाकिस्तान की घुटने टेकने की रणनीति
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार का संसद में दिया गया बयान दर्शाता है कि:
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10 मई को DGMO स्तर पर 12 मई तक सीजफायर की सहमति बनी।
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12 मई को सहमति को 14 मई तक बढ़ाया गया।
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14 मई को बातचीत के बाद सीजफायर 18 मई तक बढ़ा।
यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पाकिस्तान अब टकराव टालना चाहता है, जबकि भारत अभी भी रणनीतिक बढ़त बनाए हुए है।
सिंधु जल संधि का स्थगन: पाकिस्तान की जल-आधारित चिंता
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भारत द्वारा 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा दबाव बन चुका है।
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गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत के कारण पाकिस्तान में जन आक्रोश और बिजली संकट गहराने का डर है।
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भारत ने यह साफ कर दिया है कि:
“जब तक पाकिस्तान भारत की शर्तें नहीं मानता, तब तक सिंधु का जल उसे नसीब नहीं होगा।”
पाकिस्तान की वार्ता की पेशकश: मजबूरी या रणनीति?
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15 मई 2025 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से शांति वार्ता की पेशकश की।
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उन्होंने कहा कि वार्ता में कश्मीर मुद्दा शामिल होगा।
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लेकिन भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि:
वार्ता सिर्फ “पीओके” और “आतंकवाद” पर ही होगी, कश्मीर पर नहीं।
🔺 प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर दोनों ने यह दोहराया है कि:
“आतंक को मिटाना, आतंकियों को सौंपना और पीओके पर हल निकालना – यही बातचीत के विषय होंगे।”
भारत की शर्तें: बिना इनके कोई बातचीत नहीं
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आतंकियों की सूची पर कार्रवाई – भारत ने पाकिस्तान को सौंपी लिस्ट में नामित आतंकियों को सौंपने की मांग की।
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आतंकी शिविरों का खात्मा – पाकिस्तान को अपने क्षेत्र से आतंकवाद का सफाया करना होगा।
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सिंधु जल समझौता बहाल तभी होगा – जब पाकिस्तान ठोस कार्रवाई करेगा।
निष्कर्ष:
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पाकिस्तान की मौजूदा “शांति वार्ता” की पहल राजनीतिक मजबूरी और आंतरिक दबाव से प्रेरित है।
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भारत ने साफ किया है कि “नो टॉक्स विद टेरर” नीति पर कोई समझौता नहीं होगा।
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अगर पाकिस्तान वास्तव में संबंध सुधारना चाहता है तो उसे कार्यवाही के ठोस सबूत देने होंगे, केवल बयानबाज़ी से कुछ नहीं होगा।