एक बड़ी दिलचस्प रिपोर्ट प्रस्तुत की है वर्ल्ड बैंक ने, जिसके अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाला देश पाकिस्तान है। वैसे भी वह ‘कंगाल’ और ‘असफल’ इस्लामी देश के नाते विश्व में पहले ही कुख्यात है। वहां के नेताओं को कोई देश अपने यहां बुलाने को तैयार नहीं है क्योंकि वे जाते हैं तो बस भीख का कटोरा लेकर। यहां तक कि इस्लामी देशों के अगुआ माने जाने वाले सउदी अरब तक को पाकिस्तान के नेताओं से चिढ़ हो चली है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान ने सिर्फ 2023 में उससे अब तक 2.3 अरब डॉलर कर्ज के रूप में लिए है। वर्ल्ड बैंक की यह वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि यह कर्ज पाकिस्तान ने इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन से लिया है जो अन्य किसी भी देश के मुकाबले सबसे ज्यादा है। यह एसोसिएशन विभिन्न देशों को बहुत कम ब्याज पर कर्ज देती है ताकि कर्ज लेने वाले देश में आर्थिक विकास सुविधाजनक हो, गरीबी कम हो और गरीबों का जीवनस्तर बेहतर बने।
पाकिस्तान ने भी वर्ल्ड बैंक से उपरोक्त उद्देश्यों के लिए कर्ज लिया है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में आई जबरदस्त बाढ़ आगे कभी ऐसी तबाही न मचाए, इसके लिए प्रस्तावित पांच परियोजनाओं के नाम पर उसने लगभग 1.7 अरब डॉलर लिए हैं। इनमें बाढ़ से बर्बाद हुए घरों को बनाना, खेती को नुकसान से उबारना, बच्चों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना तथा सामाजिक सुरक्षा जैसे काम शामिल हैं।
‘विश्व बैंक वार्षिक रिपोर्ट 2023-विकास में एक नया युग’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि वित्तीय वर्ष 2023 के दौरान दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए कुल 10.1 अरब डॉलर का कर्ज मंजूर किया गया है। वर्ल्ड बैंक ने 8 देशों में 61 सलाहकार सेवाओं तथा कुछ उत्पादों को भी समर्थन दिया है, जैसे कर्ज का प्रबंधन, शासन, रोजगार निर्माण, सामाजिक संरक्षण, वायु प्रदूषण तथा जलवायु सहित कुछ अन्य मुद्दों पर तकनीकी परामर्श उपलब्ध कराया गया है।
इस वैश्विक संस्था की इस रिपोर्ट में आकलन प्रस्तुत किया गया है कि 2023 में दक्षिण एशिया का सकल घरेलू उत्पाद 5.6 प्रतिशत तथा 2024 में 5.9 प्रतिशत की गति से बढ़ सकता है। उल्लेखनीय है कि दक्षिण एशिया में सकल घरेलू उत्पाद की गति कठोर वित्त हालातों, सीमित राजकोष तथा भंडार के घटने के कारण मद्धम पड़ी है।
यही रिपोर्ट दक्षिण एशिया में प्राकृतिक आपदाओं तथा जलवायु में बदलाव के गंभीर असर पर भी प्रकाश डालती है। यह बताती है कि भविष्य में इस क्षेत्र में गरीबी कम होने की संभावना दिखती है। इसका कारण यह है कि 2019 की तुलना में 3.20 डॉलर रोजाना कमाने वाले लोगों की संख्या कम हुई है।