पाकिस्तान में राजनीतिक तल्खी कम होने का नाम नहीं ले रही है। ताजा घटनाक्रम में आम चुनाव की तारीख तय करने के लिए राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा गुरुवार को बुलाई गई बैठक में मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने आने से इंकार कर दिया। निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि बदले कानून के तहत, मतदान की तारीख तय करने में राष्ट्र प्रमुख की कोई भूमिका नहीं है और ऐसे में चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है।
राष्ट्रपति ने बुधवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त सिकंदर सुल्तान रजा को पत्र लिखकर आम चुनावों के लिए उचित तारीख तय करने के लिए आज या कल मिलने के लिए आमंत्रित किया था। राष्ट्रपति अल्वी ने नेशनल असेंबली के विघटन के 90 दिनों में आम चुनाव की तारीख तय करने की संवैधानिक आवश्यकता का हवाला दिया। नेशनल असेंबली को नौ अगस्त को भंग कर दिया गया था, जिससे पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) के लिए 90 दिनों में चुनाव कराना है। ईसीपी हालांकि नई जनगणना के मद्देनजर परिसीमन करने के लिए चुनाव में देरी करने को तैयार है, जो एक संवैधानिक जरूरत है।
रजा ने पाकिस्तान चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ परामर्श के बाद राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उन्हें याद दिलाया कि बदले कानूनों के तहत, चुनाव की तारीख निर्धारित करने में अल्वी की कोई भूमिका नहीं है और बैठक करने का कोई मतलब नहीं है।
अल्वी (74) राष्ट्रपति बनने से पहले पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के वरिष्ठ सदस्य थे। अल्वी ने सोशल मीडिया पर कहा कि उन्होंने ईसीपी प्रमुख के पत्र पर कानून मंत्रालय से सलाह मांगी थी। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ने पाकिस्तान निर्वाचन आयोग के रुख पर सलाह मांगी है कि चुनाव की तारीख तय करने का अधिकार केवल उसके पास है।