इस वक्त पूरी दुनिया में इजराइल-हमास युद्ध की चर्चा है. इस युद्ध ने पूरी दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया है. कोई इजराइल को सपोर्ट कर रहा है तो कई फिलिस्तीन को. हमास के अटैक में अब तक 1000 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 3000 के करीब घायल बताए जा रहे हैं. इजराइल और फिलिस्तीन की रंजिश वर्षों पुरानी है. दोनों देशों के बीच विवाद का लंबा इतिहास है. फिलिस्तीन के पूर्व राष्ट्रपति यासिर अराफात ने दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने की कोशिश की लेकिन उनकी कोशिशों को नाकाम कर दिया गया.
2004 में फिलिस्तीन के पूर्व राष्ट्रपति अराफात की मौत हो गई लेकिन उनकी मौत एक राज बनकर रह गई. अराफात ने इजराइल के साथ हाथ मिलाकर युद्ध को हमेशा के लिए खत्म करने की ठानी. इसके लिए दोनों देशों के बीच शांति के लिए ओसलो समझौता हुआ. मगर इस समझौते के 30 साल बाद भी शांति नहीं आई और आए दिन दोनों देश एक दूसरे पर हमला करते रहते हैं. इस खबर में हम आपको ओसलो समझौता और अराफात की मौत जो एक राज बनकर रह गई, उसे समझाने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या है ओसलो समझौता?
इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति के लिए 30 साल पहले एक ओसलो समझौता हुआ था. 13 सितंबर 1993 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की मौजूदगी में व्हाइट हाउस में यह समझौता हुआ था. इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री यित्जाक राबिन और यासिर अराफात दोनों ने एक दूसरे से हाथ मिलाए थे. इस समझौते का मकसद था दोनों देशों के बीच के संघर्ष को खत्म करना था. इस समझौते के 30 साल बाद भी इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष जारी है. वहीं, इसके दो साल बाद 1995 में दूसरा ओसलो समझौता हुआ. मगर इसके बाद भी दोनों देशों के बीच कोई समाधान नहीं निकला.
दोनों देशों के बीच जिस जमीन को लेकर विवाद चल रहा है दरअसल वो जमीन इसी इलाके में है. बता दें कि फिलिस्तीन के इलाके में गाजा पट्टी और इजराइल के कब्जे वाला वेस्ट बैंक शामिल हैं. अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, 1995 के ओसलो समझौते में वेस्ट बैंक को तीन झेत्रों में बांटा गया था. इसमें 18 फीसदी इलाका फिलिस्तीन के कब्जे में है. 22 फीसदी हिस्से पर इजराइल और फिलिस्तीन दोनों का कब्जा का है. वहीं, 60 फीसदी हिस्से पर केवल इजराइल का कब्जा है.
कौन थे यासिर अराफात?
बता दें कि यासिर अराफात का जन्म मिस्र में हुआ था. बाद में जाकर वो फिलिस्तीनी के नागरिक बन गए. 1969 से 2004 तक वो फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के चेयरमैन थे. वहीं, 1994 में अराफात फिलिस्तीनी नेशनल ऑथरिटी के राष्ट्रपति बने. 2004 तक वो इस पद पर रहे. ओस्लो समझौते के बाद 1994 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था.
अराफात की मौत क्यों बनकर रह गई राज?
इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति स्थापित करने की बात करने वाले फिलिस्तीन के पूर्व राष्ट्रपति यासिर अराफात की 75 साल की उम्र में 2004 में मौत हो गई. उनकी मौत कैसे हुई, इसके बारे में किसी को सही जानकारी नहीं मिल पाई. अलग-अलग देशों की एजेंसियों ने उनकी मौत को लेकर अलग-अलग दावे किए. पहले बताया कि इजराइल ने उन्हें जहर देकर मार दिया है.
मगर इजराइल ने उनकी मौत से जुड़े किसी भी आरोपों से इनकार दिया. अराफात की मौत को लेकर स्विस के वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया कि उनकी मौत जहर की वजह से हुई है. स्विस साइंटिस्ट ने उनकी शरीर में पोलोनियम-210 के होने की बात कही थी. वहीं, फ्रांस की यासिर अराफात की मौत नेचुरल थी. जांच एजेंसी ने उनकी शरीर में जहर होने की बात को खारिज कर दिया था.