टेक्सास कोर्ट ने बाइडेन सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसके तहत क्रेडिट कार्ड विलंब शुल्क को रेगुलेट करने की योजना थी. नया नियम बैंकिंग कंपनियों को उपभोक्ता से क्रेडिट कार्ड बिल का देरी से भुगतान करने पर 8 डॉलर से ज्यादा चार्ज करने पर रोक लगाती थी. वर्तमान में बैंकिंग कंपनियां क्रेडिट कार्ड का बिल देरी से भुगतान करने पर लगभग 32 डॉलर वसूलती है.
बैंकिंग कंपनियों के वसूली को रोकने के लिए बाइडेन सरकार द्वारा लाए गए इस नियम को जंक फीस पर कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा था. इस नियम को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का पूर्ण समर्थन प्राप्त है. मार्च में इस नियम को अंतिम रूप दिए जाने के बाद यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स के नेतृत्व में बैंकिंग संगठनों ने उपभोक्ता वित्तीय संरक्षण ब्यूरो पर मुकदमा दायर किया था. कंपनियों का कहना था कि नया नियम कई संघीय कानूनों का उल्लंघन करता है. यह नियम मंगलवार से लागू होने वाला था. इस नियम के लागू होने के बाद उपभोक्ताओं को प्रति वर्ष लगभग $10 बिलियन की बचत होने की संभावना थी.
व्हाइट हाउस ने फैसले पर नाराजगी जताई
कोर्ट के इस फैसले के बाद व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जेरेमी एडवर्ड्स ने बयान जारी करते हुए इसे निराशाजनक बताया है. उन्होंने कहा है कि यह नियम अमेरिकी परिवारों के अरबों डॉलर की जंक फीस बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है. नए नियम के तहत बैंकिंग कंपनियों को उन 10 लाख क्रेडिट कार्ड धारकों से 8 डॉलर से अधिक चार्ज करने से रोक लग जाती. कंपनियां इससे ज्यादा चार्ज तब तक नहीं कर सकती है जब तक कि वे यह साबित नहीं कर दे कि उनकी लागत को कवर करने के लिए उच्च शुल्क वसूलना जरूरी है.
अमेरिकी उपभोक्ता वित्तीय संरक्षण ब्यूरो यानी सीएफपीबी के अनुसार, साल 2022 में बैंकिंग कंपनियों ने जुर्माने के तौर पर औसतन 32 डॉलर की फीस की मदद से लगभग 14 बिलियन डॉलर की कमाई की.
कोर्ट के फैसले पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं
यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स लिटिगेशन सेंटर की वकील मारिया का कहना है कि कोर्ट का यह फैसला “जिम्मेदार उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी जीत है जो समय पर अपने क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान करते हैं . वहीं, गैर-लाभकारी उपभोक्ता रिपोर्ट के वकालत निर्देशक चक बेल का कहना है कि यह निराशाजनक है कि अदालत ने क्रेडिट कार्ड विलबंब शुल्क पर अगले सपत्ताह तक लगा दी है. क्रेडिट कार्ड कंपनियां लंबे समय से भारी-भरकम विलंब शुल्क के रूप में उपभोक्ताओं से अरबों डॉलर वसूलते हैं.