चीन दक्षिण चीन सागर में शांति रहने देने के पक्ष में नहीं दिख रहा है। वहां वह अपना अधिकार समझता है और चाहता है कि दुनिया के सभी देश उसकी आज्ञा के बिना वहां कोई हरकत न करें। लेकिन अब तो हद होती जा रही है। ताइवान के विदेश मंत्री ने इस ओर सबको सावधान किया है तो स्थिति सच में गंभीर ही दिखती है। ताइवान के मंत्री ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर पर चीन के तेवर और उग्र होते जा रहे हैं।
ताइवान के विदेश मंत्री जौशीह जोसेफ वू की यह चिंता एक विदेशी चैनल को दिए साक्षात्कार में सामने आई है। उन्होंने कहा है कि दक्षिण चीन सागर के माध्यम से अपने हितों की चिंता करने वाले दुनिया के सभी देश वहां चीन की सैन्य ताकत के बढ़ते जाने से पैदा हुए गंभीर हालात से निपटने पर ध्यान दें। अपनी तरफ से ताइवान चीन के खतरे को दूर करने के लिए जरूरी मदद करने से पीछे नहीं हटेगा।
विदेश मंत्री जौशीह जोसेफ वू ने अपने इस साक्षात्कार में चीन पर बेबाकी से कई आरोप दर्ज कराए हैं। उनका कहना है कि दक्षिण चीन सागर को देखें तो वहां विस्तारवादी चीन की तरफ से खतरा बहुत बढ़ता जा रहा है। बीजिंग इस इलाके में अपनी फौजी ताकत बढ़ाता जा रहा है। इस क्षेत्र में चीन के जंगी जहाजों और सशस्त्र नौसैनिकों की अच्छी—खासी संख्या हो गई है। वू का कहना है कि चीन की इस चुनौती से निपटना है तो सभी देशों को साथ आना होगा।
उल्लेखनीय है कि चीन दक्षिण चीन सागर को लेकर अमेरिका, जापान को भी कूटनीतिक चैनल से सावधान कर चुका है। इससे आगे बढ़ते हुए, ताइवान के विदेश मंत्री वू का कहना था कि चीन भारत की उत्तरी सीमा पर भारत के लिए खतरे पैदा कर रहा है। इस संदर्भ में उन्होंने यहां तक कहा कि भारत को न सिर्फ चीन की तरफ से सैन्य खतरा है, बल्कि हिंद महासागर की ओर से भी भारत के लिए चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। वू के अनुसार, यही समय है जब दुनिया के लोकतांत्रिक देशों को एक साथ आकर कम्युनिस्ट चीन की सभी को चुभने वाली चुनौतियों का सामना करना होगा।
दक्षिण चीन सागर के साथ ही, चीन ताइवान को ‘अपनी मुख्यभूमि में वापस’ मिलाने के लिए आसमान के रास्ते उस पर दबाव बनाता आ रहा है। आएदिन चीनी लड़ाकू जेट ताइवान के आसमान में घुसपैठ करके धमकाते आ रहे हैं। चीन को जापान और अमेरिका से इसलिए भी चिढ़ है क्योंकि वे ताइवान को एक ‘संप्रभु’ देश का दर्जा देते हैं।