फ्रांस ने इंडो-पैसिफिक पर चीन के दबदबा बनाने की कोशिश की हवा निकालते हुए वहां अपनी फौज बढ़ाने की घोषणा की है। फ्रांस के राष्ट्रपति के इस ताजा ऐलान से चीन की नींद उड़नी स्वाभाविक है, क्योंकि चीन इस क्षेत्र के ज्यादा से ज्यादा देशों को अपने दबदबे में लेने की कोशिश में जुटा है। लेकिन यहां अमेरिका और फ्रांस उसके पैर न जमने देने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। नाटो सदस्य फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों आजकल एशियाई देशों की यात्रा पर हैं। उन्होंने जहां यह घोषणा की है वह स्थान उस सोलोमन द्वीप के बिल्कुल पास है जहां चीन ने अपनी फौजी चौकी बनाई हुई है। वहां अपने दौरे में मैक्रों ने स्पष्ट कहा है कि उनका देशा इंडो-पैसिफिक में अपने फौजी बढ़ाने के लिए तैयार है। फ्रांस अपने और ज्यादा सैनिकों को इंडो-पैसिफिक में तैनात करने वाला है। मैक्रों प्रशांत महासागर के किनारे बसे देश वानुआतु में वक्तव्य दे रहे थे जिसमें उन्होंने यह घोषणा की है।
वानुआतु उस सोलोमन द्वीप समूह से सटा हुआ है, जहां चीन ने अपने सैन्य संबंध मजबूत किए हुए हैं। अभी हाल में चीन और सोलोमन द्वीप समूह के बीच एक पुलिस समझौता हुआ है। इस करार के माध्यम से चीन की पुलिस सोलोमन द्वीप समूह में स्थायी चौकियां खोलने जा रही है जहां उसके पुलिस वाले तैनात किए जाएंगे। लेकिन इस क्षेत्र को चीन अपने शिकंजे में ले इससे पहले पश्चिमी देश उसकी मुश्कें कसने की तैयारी कर रहे हैं।
वानुआतु पहुंचे मैक्रों ने यह भी कहा है कि इंडो-पैसिफिक का इलाका उनकी रणनीति और सैन्य जुड़ावों में महत्वपूर्ण है। वहां और सैनिकों को भेजकर सुरक्षा को और मजबूत बनाया जाएगा। इसके लिए फ्रांस की सेना को 163 मिलियन डॉलर दिए जाएंगे। वानुआतु पहुंचने से पहले, मैक्रों तीन दिन के लिए फ्रांस के विदेशी क्षेत्र न्यू कैलेडोनिया भी गए थे। वे पापुआ न्यू गिनी भी जाने वाले हैं। मैक्रों के अनुसार, फ्रांस ने न्यू कैलेडोनिया में मिलिट्री प्रोग्रामिंग बिल के अंतर्गत सैन्य उपकरणों तथा सैन्य ताकत में निवेश करने की योजना बनाई है। अगले पांच साल में इस इलाके के विकास के लिए 200 मिलियन यूरो दिए जाने वाले हैं।
उल्लेखनीय है कि इस साल फ्रांस का सालाना रक्षा बजट 45 अरब यूरो से अधिक हो सकता है। आगे साल 2027 तक हर साल करीब 3 अरब यूरो होगा। साल 2028 से यह हर साल 4.3 अरब यूरो बढ़ता जाने वाला है। फ्रांस परमाणु निरोध, साइबर सुरक्षा तथा अंतरिक्ष सुरक्षा के साथ ही अपनी सेना की ताकत में भी बढ़ोतरी करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।