प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की आधिकारिक राजकीय यात्रा के दौरान एक बड़ी डील हुई है. जीई एयरोस्पेस और एचएएल के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इसके तहत जीई भारत में फाइटर जेट इंजन बनाएगी. भारत में अत्याधुनिक एफ 414 इंजन बनाए जाएंगे.
इस सिलसिले में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा, ” हम साथ मिलकर दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए रास्ता खोल रहे हैं. जीई एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने भारत में एफ 414 लड़ाकू जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर लिए हैं. ये सौदा बहुत ही अहम है.’
President Biden and Prime Minister Modi hailed the landmark signing of an MoU between General Electric and Hindustan Aeronautics Limited for the manufacture of GE F-414 jet engines in India, for the Hindustan Aeronautics Limited Light Combat Aircraft Mk 2. This trailblazing…
— ANI (@ANI) June 22, 2023
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में नई दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के बीच सैन्य सौदे पर बातचीत भी हुई थी. इसी सिलसिले में फरवरी में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन के साथ बैठक की थी. यूएस-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (आईसीईटी) का संचालन इसी बातचीत के बाद किया गया था.
अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे कुछ ही देशों ने लड़ाकू विमानों में इस तरह के इंजन के इस्तेमाल में महारत हासिल की है. भारत हमेशा क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन सहित कई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के निर्माण में आत्मनिर्भरता पर जोर देता आया है, लेकिन अभी तक देश के फाइटर जेट में इस तरह के इंजन लगाए नहीं गए थे.
इस डील के बाद भारत की जनरल इलेक्ट्रिक HAL में न केवल सिंगल-क्रिस्टल टर्बाइन ब्लेड बनाने के लिए जरूरी निर्माण प्रक्रियाएं शुरू होगी, साथ ही दहन के लिए लेजर ड्रिलिंग, पाउडर मेटलर्जी विज्ञान की मशीनिंग और कई प्रमुख काम भारत में ही होंगे. साथ ही कंप्रेशन डिस्क और ब्लेड का निर्माण भी भारत में होगा.
डील के बाद भारतीय वायु सेना (IAF) के पास विश्वसनीय और लंबे समय तक चलने वाले जेट इंजन होंगे. इन जेट इंजनों को कई हजार घंटे तक ओवरहाल किया जा सकता है. भारत अभी रूस से जो जेट या इंजन लेता है उन्हें अक्सर कुछ सौ घंटों में ओवरहाल की जरूरत होती थी. विशेषज्ञों का कहना है कि जीई इंजन हल्के, अधिक शक्तिशाली, अधिक ईंधन कुशल हैं और भविष्य में इस्तेमाल के लिए उन्नत किए जाने की क्षमता रखते हैं.
यह सौदा दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों में सुधार की तरफ उठाया गया एक और कदम है. खासकर ऐसे समय में जब चीन भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा और दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य ताकत दिखा रहा है.
यह एकमात्र बड़ा रक्षा सौदा नहीं है जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्हाइट हाउस यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए जाने की संभावना थी. अरबों डॉलर का MQ-9B SeaGuardian ड्रोन सौदे पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे.
रॉयटर्स में छपी खबर के मुताबिक भारत के रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका निर्मित सशस्त्र एमक्यू -9 बी सी गार्डियन ड्रोन की खरीद को मंजूरी दे दी है. भारत जनरल एटॉमिक्स द्वारा बनाए गए 31 ड्रोन खरीदेगा, जिनकी कीमत तीन अरब डॉलर से थोड़ी ज्यादा है. खरीद के लिए रक्षा मंत्रालय की प्रारंभिक मंजूरी मिल चुकी है. अंतिम मंजूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की राजकीय यात्रा पर रवाना होने से कुछ दिन पहले आई थी.