दुनिया के इकलौते आत्ममुग्ध और वंशवादी तानाशाही से पिस रहे देश उत्तर कोरिया में पतन की नित नई इबारतें गढ़ी जा रही हैं। अब वहां लोग बदहाल जिंदगी से इतने परेशान आ गए हैं कि पिछले कुछ सालों से खुदकुशी का रास्ता अपनाने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है। इस साल तो मानो हद ही हो गई है। पिछले साल के मुकाबले इस साल आत्महत्या करने वालों की दर में 40 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। यह चलन इतना हैरान करने वाला है कि खुद तानाशाह किम जोंग उन बिफरे हुए हैं। उन्होंने अपनी भड़ास प्रशासनिक अधिकारियों पर निकालनी शुरू कर दी है। फरमान जारी किया है कि किसी आदमी के आत्महत्या करने के पीछे जवाबदेही अधिकारी की होगी, उसे वजह बतानी होगी। इतना ही नहीं, आम लोगों को यह कदम उठाने से रोकने की गरज से इसे ‘समाजवाद के विरुद्ध देशद्रोह’ का अपराध घोषित कर दिया है।
किम जोंग उन दुनिया भर में अपने दादा और पिता की तरह ही सनकी तानाशाह माने जाते हैं। उत्तर कोरिया देश से बढ़कर उनकी पारिवारिक संपदा जैसा है। वहां जो होता है वह, किम के द्वारा, किम के लिए होता है। ऐसे राज में अगर यह बात फैले कि सत्ता की लापरवाही से त्रस्त जनता खुदकुशी कर रही है, तो किम की नाक कटती है। लिहाजा उसने इस अत्यंत पीड़ाजनक कदम उठाने वाले को ही अब ‘अपराधी’ घोषित करने का फरमान सुनाकर अपनी छवि बेदाग बनाने की कोशिश की है।
तानाशाह किम ने देश में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं पर काबू पाने के लिए इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। समाजवाद के विरुद्ध देशद्रोह ठहराने से उन्हें लगता है कि ‘देशद्रोह’ शब्द लोगों को यह कदम उठाने से दूर कर देगा, क्योंकि उनका ऐसा खौफ है कि उनके ‘समाजवाद’ को कोई बट्टा लगाने की धृष्टता करने की सोच भी नहीं सकेगा। किम के इस गुप्त आदेश की पूरे प्योंगयोंग में दबी जबान चर्चा है।
किम के गुप्त आदेश में साफ कहा गया है कि आत्महत्याओं को रोकने की जिम्मेदारी अधिकारियों की होगी। अगर कहीं किसी ने आत्महत्या की होगी तो उस इलाके के सरकारी अधिकारियों पर ठीकरा फोड़ा जाएगा। बताते हैं, ऐसा सख्त आदेश जारी करने से पहले तानाशाह ने अपने वफादार अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक करके पूरे मामले पर मंत्रणा की थी। पता चला है कि किम ने ये बैठक प्रांतीय पार्टी कमेटी के दफ्तर में ली थी। किम और प्रशासनिक अधिकारियों के अलवा इस बैठक में कई बड़े नेता भी शामिल हुए थे। बैठक में किम का स्पष्ट आदेश था कि आत्महत्याएं रुकनी चाहिए। रिपोर्ट है कि सिर्फ दो काउंटी में ही इस साल 35 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है।
जैसा पहले बताया, उत्तर कोरिया में एक बड़ी आबादी भुखमरी झेल रही है। इससे भी अनेक जानें गई हैं, लेकिन उस देश से सही आंकड़ा पता करना टेढ़ी खीर है। किम की सरकार सभी आंकड़ों को गोपनीय रखती है। दक्षिण कोरिया के गुप्तचर विभाग का अंदाजा है कि, उत्तर कोरिया में आत्महत्या के मामलों में गत वर्ष की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है।
बैठक में किम जोंग को आत्महत्या करने वालों की छोड़ी चिट्ठियां पढ़कर सुनाई गईं तो तानाशाह की त्योरियां चढ़ गई थीं । उसमें लोगों ने सामाजिक दुर्दशा का रोना रोया था। पता चला है कि ज्यादातर लोगों ने बेहद गरीबी तथा भुखमरी से त्रस्त होकर आत्महत्या का कदम उठाया था।
उत्तर कोरिया की जनता भुखमरी से परेशान है। देश की आबादी के एक बड़े हिस्से के पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। रोजगार नहीं हैं, अर्थतंत्र डावांडेाल ही रहता है। दुनिया के अन्य देशों के साथ संबंध नहीं हैं। किसी को बाहरी दुनिया की झलक लेने की इजाजत नहीं है। नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं आम उत्तर कोरियाई।
उस देश के पास खाना खाने को पैसे भले न हों लेकिन आएदिन मिसाइलों के परीक्षण करके किम अपनी सनक का प्रदर्शन करना नहीं भूलते। उनका व्यवहार है तो बस एक अन्य कम्युनिस्ट तानाशाह तंत्र चीन से। उसी उत्तर कोरिया के तानाशाह का अपने देश में होने वाली आत्महत्याओं से बेहद परेशान होना दिखाता है कि पानी कहां तक चढ़ चुका है।