पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग (HEC) ने देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में होली उत्सव मनाने पर रोक वाले विभाजनकारी फैसले की विश्व भर में आलोचना के बाद उसे गुरुवार (22 जून 2023) को रद्द कर दिया। 21 जून को HEC ने यह कहते हुए पाकिस्तान के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में होली समारोह पर प्रतिबंध लगा दिया था कि इससे देश की इस्लामी पहचान में गिरावट आ रही है।
HEC ने अपने नोटिफिकेशन में कहा है, “यह स्पष्ट किया जाता है कि उच्च शिक्षा आयोग (HEC) देश में मनाए जाने वाले सभी धर्मों, आस्थाओं और विश्वासों और उनसे जुड़े त्योहारों एवं उत्सवों का अत्यधिक सम्मान करता है। इस संबंध में दिए गए संदेश का किसी भी तरह से किसी व्यक्ति या समूह की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का इरादा नहीं है।”
बयान में कहा गया है, “यह चित्रित धारणा और प्रसारित अर्थ कि एचईसी ने किसी भी उत्सव पर ‘प्रतिबंध’ लगाया है, संचार की भावना के संदर्भ से बाहर है, क्योंकि एचईसी ने देश में उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईएलएस) में मुख्य कारण पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया है। उनके अस्तित्व का मतलब है, शैक्षणिक उत्कृष्टता, अनुसंधान की गुणवत्ता और राष्ट्र की विचारधारा के अनुसार अनुशासित एवं जिम्मेदार नागरिक के रूप में युवाओं की प्रतिभा का उपयोग करना।”
अपने बयान में पाकिस्तानी उच्च शिक्षा आयोग ने आगे कहा कि विश्वविद्यालयों में होली के उत्सव पर रोक लगाने वाले उसके पूर्व को नोटिस को ‘संदर्भ से बाहर देखा गया’ और वह अधिसूचना को ‘वापस लेते हुए प्रसन्न’ है, क्योंकि इससे अनजाने में उसके इच्छित संदेश की गलत व्याख्या हुई थी।
कायद-ए-आजम विश्वविद्यालय के छात्रों को परिसर में होली मनाते हुए देखे जाने और इस कार्यक्रम के वीडियो वायरल होने के बाद एचईसी ने नोटिस जारी किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के गैर-राजनीतिक सांस्कृतिक संगठन मेहरान स्टूडेंट्स काउंसिल द्वारा आयोजित किया गया था।
HEC ने बुधवार को एक नोटिस जारी कर होली पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। आयोग ने अपनी अधिसूचना में कहा था कि पाकिस्तान के इस्लामी सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों का पालन करने के लिए छात्रों को इस त्योहार को मनाने से रोका गया है।
नोटिफिकेशन के अनुसार, “इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सांस्कृतिक, जातीय और धार्मिक विविधता एक समावेशी और सहिष्णु समाज की ओर ले जाती है, जो सभी धर्मों और पंथों का गहराई से सम्मान करता है। हालाँकि, इसे अतिशयोक्ति किए बिना एक नपे-तुले ढंग से करने की आवश्यकता है। छात्रों को निहित स्वार्थों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है।”
नोटिफिकेशन में आगे कहा गया था कि इन सब बातों को देखते हुए उच्च शिक्षा आयोग सभी शिक्षण संस्थानों और विद्यार्थियों को इन सबसे दूर रहने के लिए का निर्देश देता है। आयोग ने कहा कि इन संस्थानों को विद्यार्थियों की पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। बता दें कि आयोग फैसला उस वक्त आया है, जब कुछ दिन पहले इस्लामाबाद के कायद-ए-आज़म विश्वविद्यालय (QAU) में होली उत्सव की तस्वीरें और वीडियो खूब वायरल हुए थे।
बता दें कि इस साल पाकिस्तान के कई विश्वविद्यालयों में होली मनाने पर हिंदू विद्यार्थियों पर हमला किया गया था। इस साल मार्च में पाकिस्तान के लाहौर स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी में होली खेल रहे हिन्दू छात्रों पर हमले किए गए थे। हमला इस्लामी जमीयत तुलबा (IJT) नाम के एक कट्टरपंथी संगठन ने किया था। इस हमले में 15 छात्रों के घायल हो गए थे।
पीड़ित छात्रों ने दावा किया है कि उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से होली आयोजन की अनुमति ले रखी थी। हालाँकि, यूनिवर्सिटी के गार्डों ने भी हमलावरों का ही पक्ष लिया था। सिंध काउंसिल के महासचिव कासिफ ब्रोही ने भी हिन्दू छात्रों द्वारा कार्यक्रम की अनुमति लेने की पुष्टि की थी।
माना जा रहा है कि इस कट्टरपंथी समूह को यूनिवर्सिटी में हो रहे आयोजन की जानकारी हिन्दू छात्रों द्वारा फेसबुक पर की गई पोस्ट से मिली थी। तब उन्होंने सोशल मीडिया पर ही हिन्दू छात्रों को धमकाया भी था। इस घटना के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। यह बात सामने आई थी कि यूनिवर्सिटी के सुरक्षा गार्ड 4-5 हिन्दू छात्रों को अपने साथ गाड़ी में भर कर ले गए। इसकी वजह से पीड़ित छात्र अपनी शिकायत भी नहीं दर्ज करवा पाए थे।
इतना ही नहीं, पाकिस्तान में हिंदुओं के द्वारा होली मनाने पर सिंध के एक मौलाना ने कहा था कि सिंध की जमीन सूफियों की जमीन है। उसने वहाँ सिर्फ मोहम्मद के दीन का ही जश्न मनाए की नसीहत दी है। भीड़ को संबोधित करते हुए मौलना द्वारा दिए गए भड़काऊ बयान का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।