कंगाल पाकिस्तान की बदहाली में मामूली तिनके का सहारा देते हुए एक इस्लामी देश में आखिरकार दूसरे इस्लामी देश के भीख के कटोरे में दो अरब डालर का चंदा डाल ही दिया। पड़ोसी इस्लामी देश के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, उनके सेनाध्यक्ष और कई मंत्री कई दिनों से खाड़ी देश के आगे हाथ पसारे हुए थे कि ‘हुजूर कुछ तो दे दो’! और उनके इस्लामी ‘आका’ ने रहम खाते हुए उसे पैसा दे दिया।
सऊदी अरब के इस कदम के बाद, शायद पाकिस्तान का दीवालिया घोषित होना कुछ दिन के लिए टल जाए। अभी उसे आईएमएफ से भी कुछ चंदा मिलने की उम्मीद बंधी हुई है। तब तक के लिए शायद, अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान की मेहरबानी उसे कुछ सहारा दे। पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने कल अपनी पीठ थपथपाते हुए सऊदी अरब की इस मेहरबानी की मुनादी की। उन्होंने बताया कि उनके देश के खाते में दो अरब डॉलर जमा हो गए हैं।
इधर पाकिस्तान पूरी कोशिश में है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष यानी आईएमएफ के साथ आज होने वाली बैठक में कर्जा मिलने पर रजामंदी हो जाए। पता चला है कि पाकिस्तान को वहां से तीन अरब डॉलर का कर्ज मिल सकता है। दोनों पक्षों के बीच 29 जून को आपात ऋण समझौता तो हो ही चुका है।
इतना ही नहीं, इस ‘उपलब्धि’ के बारे में मंत्री डार ने अपने ट्विटर खाते पर भी बताया। उन्होंने उसमें लिखा कि ‘पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक एसबीपी को सऊदी अरब से दो अरब डॉलर जमा हुआ है। इसने विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा दिया है।’ यहां बता दें कि कंगाली की हालत झेल रहे पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा के नाम पर सिर्फ 4.4 अरब डॉलर ही बचे हैं।
इस मेहरबानी पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी सऊदी अरब का झुक—झुककर आभार जता रहे हैं। उन्होंने खासतौर पर शहजादे मोहम्मद बिन सलमान का शुक्रिया अदा किया। इतना ही नहीं, अरब की जनता तक को धन्यवाद दिया।
वैसे सऊदी अरब पाकिस्तान से यह पैसा देने का वादा पहले ही कर चुका था। उसे यह देखने का इंतजार था कि आईएमएफ किस करवट बैठता है, उससे कर्जे का समझौता होता है कि नहीं। इधर मुद्राकोष पाकिस्तान को पैसे देने से पहले उसके विदेशी मुद्रा भंडार को टटोल रहा था कि वह इस्लामी देश पैसा वापस चुकाने की हालत में है भी कि नहीं।
शहजादे सलमान को जब पता चला कि आईएमएफ ने पाकिस्तान को राहत देने का मन बनाया है, तीन अरब डॉलर देने का समझौता कर लिया है, तो उन्होंने फौरन इस्लामी देश के बैंक खाते में दो अरब डालर जमा करा दिए। अब उम्मीद है पाकिस्तान की हुकूमत अपनी ‘आदत’ और ‘मजबूरी’ के मोह में न फंसते हुए, इस पैसे को जिहादी तत्वों और जमातों के हाथों में न देकर लोगों के लिए आटे की व्यवस्था करेगी।