प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई को संसद के नए भवन का लोकार्पण किया है। जहां विश्व के सभी विकसित और विकासशील देशों ने इसे लेकर मोदी की दूरदृष्टि और नई संसद के वास्तुशिल्प की तारीफें की हैं वहीं, नेपाल के बाद अब पाकिस्तान के इस्लामवादी नेता भड़के हुए हैं। कारण है नई संसद में ‘अखंड भारत’ का खाका लगाया जाना।
भारत की संसद की इस नई इमरात में अन्य कलाकृतियों के साथ ही एक कलाकृति में संसद के संकल्प को भी साकार रूप में दर्शाया गया है। यहां एक स्थान पर ‘अखंड भारत’ का म्यूरल प्रदर्शित किया गया है। ‘विभाजित भारत’ की ताकत से ही बेचैन चले आ रहे पाकिस्तान की इस ‘अखंड भारत’ को देखकर नींद उड़ गई है। नेपाल और पाकिस्तान इन दो देशों में राजनीतिक खलबली मची है। ‘चिंता’ में डूबे पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने तो एक बयान जारी करके अपनी ‘परेशानी’ जाहिर की है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के इस बयान में कहा गया है-‘हम बहुत चिंता हो गई है। भारतीय संसद की नई बिल्डिंग में लगाए कथित ‘अखंड भारत’ के नक्शे में पाकिस्तान के साथ ही कुछ दूसरे पड़ोसी देशों को अपने देश के अंदर दिखाया गया है। यह दिखाता है कि नीयत साफ नहीं है। यह भारत की विस्तारवादी सोच को दर्शाता है।’
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच का कहना है कि ‘भारत की नई संसद में लगे अखंड भारत की कलाकृति उस इस्लामी देश की पेशानी पर बल डाले हुए है। उस नक्शे से चिंता पैदा हो गई है जिसे ‘अखंड भारत’ बताया जा रहा है।’
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय आगे कहता है, ”अखंड भारत का ये दावा भारत की विस्तारवादी सोच को उजागर करता है, यह न सिर्फ भारत के पड़ोसी देशों, बल्कि मजहबी अल्पसंख्यकों की सोच और संस्कृति को दबाने की इच्छा रखती है।’ विस्तारवादी चीन के फैंके पैसे पर पल रहे कंगाल पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता बलोच कहती हैं, ‘हमारी अपील है कि भारत इस विस्तारवादी सोच से दूर रहते हुए शांतिपूर्ण तरीके से पड़ोसी देशों के साथ विवादों को निपटाने के लिए आगे बढ़े।’
उल्लेखनीय है कि नई संसद में लगी ‘अखंड भारत’ की कलाकृति पर भारतीय राज्यों के नामों का उल्लेख है। इस कलाकृति में खासतौर पर आज के अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश तथा भारत को एक साथ दिखाया गया है। भारत के उत्तर के भाग में मानसहरी तक्षशिला से शुरू करके उत्तर पश्चिम में पुरुषपुर तथा कामरूप तक का क्षेत्र दिखता है।
दरअसल यह कलाकृति भारत के असली स्वरूप को दर्शाती है जो विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण से पूर्व था। भारत की संसद देश को फिर से अखंड बनाने का प्रस्ताव पारित कर चुकी है। वर्तमान सरकार की दृष्टि भी समग्र भारत को सशक्त और एकजुट बनाने की है। इसे देखते हुए कलाकृति कहीं से अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं है। अभी एक हजार साल पहले ही तो षड्यंत्रपूर्वक भारत से काटकर ही पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार तथा अफगानिस्तान जैसे वर्तमान देश बनाए गए हैं।
पाकिस्तान के बिलबिलाने से पहले नेपाल के कुछ नेताओं ने भी ‘अखंड भारत’ की संकल्पना से बेचैनी व्यक्त की थी। कभी विश्व के इकलौत हिन्दू राष्ट्र रहे नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई ने एतराज जताते हुए कहा कि भारत बताए कि आखिर वह चाहता क्या है। नेपाल के एक अन्य पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भी इस कलाकृति को देख भड़के हुए हैं। ओली का कहना है कि ‘भारत जहां स्वयं को एक प्राचीन तथा स्थापित देश के रूप में देखता है, पर वहीं लोकतंत्र के एक मॉडल के तौर पर नेपाल के इलाकों को अपने नक्शे में दिखाता है। यह उचित नहीं कहा जा सकता। ओली ने तो भारत आए अपने पीएम प्रचंड से इस विषय पर भारत से बात करने की अपील की।