अभी तीन दिन पहले पाकिस्तान में 150 वर्ष पुराने एक मंदिर को मजहबी उन्मादियों द्वारा रॉकेट लांचर से उड़ा देने के समाचार से सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के हिन्दुओं में आक्रोश देखने में आया था। सोशल मीडिया पर यह मुद्दा छाया रहा था और उस इस्लामी देश में मंदिरों की सुरक्षा की मांग बहुत तेजी से उठी थी। अब ताजा समाचार यह है कि सिंध के मंदिरों की सुरक्षा का जिम्मा 400 सुरक्षाकर्मियों को सौंपा गया है। ये पुलिसकर्मी फिलहाल दो महीने के लिए तैनात किए जाने हैं।
पड़ोसी देश पाकिस्तान के सिंध सूबे में हिंदू मंदिरों पर उन्मादियों के हमलों में लगातार बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए स्थानीय पुलिस ने 400 पुलिसकर्मियों को विशेष रूप से मंदिरों की सुरक्षा करने को कहा है। सूबे के मंदिरों में सुरक्षा को सुरक्षा को देखते हुए हाई अलर्ट में रहने का फरमान जारी किया गया है। पता चला है कि गत दिनों प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करने का घृणित कार्य एक जिहादी गुट की तरफ से किया गया था। हालांकि मीडिया के एक वर्ग में यह खबर चलाई गई थी कि उन्मादी सीमा हैदर के भारत जाने से बौखलाकर ऐसे कृत्य कर रहे हैं।
मंदिरों की सुरक्षा में लगाए गए पुलिसकर्मियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने को कहा गया है। इस बारे में सिंध के आरक्षी महानिरीक्षक ने हिंदुओं से अनुरोध किया है कि मंदिरों की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों के साथ सहयोग करें। कहने की आवश्यकता नहीं कि हिन्दू विरोधी इन कृत्यों से पाकिस्तान में बसे हिन्दू समाज में जबरदस्त आक्रोश देखने में आया है। भारत में भी अनेक लोगों ने इस घटना पर रोष व्यक्त किया है। उधर पाकिस्तान के ही मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में सिंध के काशमोर तथा घोटकी जिलों में कानून व्यवस्था की लगतार बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई गई है। बताया गया है कि इन जिलों में लगभग 30 हिंदुओं को बंधक बनाया गया है जिनमें महिलाएं और बच्चे भी हैं। इस रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए सिंध के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री जियानचंद इस्सरानी ने लोगों से अपील की है, कि शांतिप्रिय लोगों को किसी तरह का नुकसान न पहुंचाएं। साथ ही, एमक्यूएम-पी के नेता और विधायक मंगल शर्मा का कहना है कि रॉकेट दागकर से मंदिर को ध्वस्त किया जाना बहुत दुखद है।