महंत स्वामी महाराज ने भव्य कार्यक्रम के साथ 30 सितंबर (शनिवार) को अमेरिका के न्यू जर्सी के रॉबिंसविले में बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम के उद्घाटन समारोह की सीरीज का शुभारंभ किया. इस कार्यक्रम में भगवान स्वामीनारायण के बचपन के नाम श्री नीलकंठ वर्णी की अभिषेक मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का जश्न मनाया गया, जो उनकी शुरुआती दिनों की यात्रा की याद दिलाती है. ‘सेलिब्रेटिंग सनातन धर्म’ में 400 हिंदू संगठन शामिल हुए.
उनकी इस यात्रा ने दुनिया भर में लोगों को सामान्य और असाधारण दोनों ही परिस्थितियों में बिना शर्त आपसी प्यार, सहानुभूति और सादगी जैसी सार्वभौमिक अवधारणाओं को अपनाने को लेकर प्रेरित किया है. महंत स्वामी महाराज के आने पर वरिष्ठ स्वामियों ने वैदिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना कीं जिन्हें प्रसाद प्रवेश समारोह (Prasad Pravesh Ceremony) कहा जाता है.
सामान्य तौर पर प्रसाद प्रवेश समारोह का आयोजन पहली बार किसी नए परिसर या भवन में प्रवेश करने पर किया जाता है. इस पावन अवसर के लिए दुनिया भर के कई देशों के साथ-साथ भारत के कई हिस्सों के 555 धार्मिक स्थानों से पवित्र मिट्टी और जल एकत्र किया गया. अक्षरधाम में इन चीजों को शामिल किए जाने के पीछे मकसद यह है कि यहां आने वालों को भारत के पवित्र स्थलों की पवित्रता और निर्मलता का एहसास होगा
महंत स्वामी महाराज ने हिंदू धर्म के प्रति आस्था के कई देवताओं का सम्मान करने के लिए 13 आंतरिक कक्ष (Sanctums) की यात्रा की, जिन्हें गर्भ गृह कहा जाता है. अक्षरधाम के भूतल पर नीलकंठ वर्णी की पवित्र प्रतिमा स्थापित की जाएगी. महंत स्वामी महाराज की ओर से नीलकंठ वर्णी अभिषेक मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई. मूर्ति प्रतिष्ठा समारोह महज एक कार्यक्रम नहीं था बल्कि आध्यात्मिक यात्रा से जुड़ा यह एक सुखद एहसास था. फिर शाम को, प्रेरणादायी कार्यक्रम, “सेलिब्रेटिंग सनातन धर्म” का भी आयोजन किया गया, जो इसी समारोह का हिस्सा था.
देश-विदेश से जुड़ीं कई दिग्गज हस्तियां
उत्तरी अमेरिका में सनातन धर्म की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने और विचारों के आदान-प्रदान के लिए हिंदू मंदिरों के सैकड़ों सदस्यों और ट्रस्टी के साथ-साथ नेता तथा आयोजक एक साथ शामिल हुए. बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम के 10 दिवसीय भव्य समर्पण समारोह का समापन 8 अक्टूबर को होगा.
कार्यक्रम में हिंदू समुदाय के कई प्रतिष्ठित वक्ताओं, विद्वानों और विचारकों ने अपने विचार रखे, जिनमें स्वामी गोविंददेव गिरि जी, स्वामी मुकुंदानंद जी, जेफरी आर्मस्ट्रांग (कवींद्र ऋषि), हिंदू यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका के अध्यक्ष वेद नंदा, अमेरिका के विश्व हिंदू परिषद के शिक्षा उपाध्यक्ष डॉ. जय बंसल और इंटरनेशनल ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन के प्रमुख डॉ. टोनी नादर भी शामिल हुए. वक्ताओं ने इस दौरान सनातन धर्म से जुड़े कई पहलुओं पर अपनी बात रखी.
मुख्य अतिथि के रूप में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष पूज्य स्वामी गोविंददेव गिरि ने कहा, “मैंने बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम में कई दिन गुजारे हैं, और मेरा खुद यह मानना है कि इन जगहों पर आकर कोई भी हिंदू संस्कृति की व्यापक समझ विकसित कर सकता है. मंदिर में हर पवित्र तस्वीर के जरिए भारत और हिंदू धर्म को लेकर अलग ही दृष्टिकोण का पता चलता है.”
‘मंदिर निर्माण का कार्य हमारे सनातन धर्म का विस्तार’
जगद्गुरु कृपालुजी योग के संस्थापक पूज्य स्वामी मुकुंदानंद ने कहा, “हमें इस बात की अपार खुशी है कि हमारे सनातन धर्म से जुड़े 400 संगठन हमारे एक संगठन, बीएपीएस स्वामीनारायण संप्रदाय की उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए यहां एकत्र हुए हैं. हम उनकी हृदय की भक्ति का जोरदार तरीक से सम्मान करते हैं. हम उनकी गुरुभक्ति से प्रेरणा भी लेते हैं.”
इस दौरान महंत स्वामी महाराज ने कहा, “मंदिर निर्माण का कार्य हमारे सनातन धर्म का विस्तार है, खासकर जब इसे त्याग के साथ जोड़ा जाता है. इसी भावना के साथ, प्रमुख स्वामी महाराज अक्सर कहा करते थे कि सनातन धर्म के शिखर दिव्य संत, मंदिर और प्राचीन ग्रंथ हैं. महाराज की दिव्य दृष्टि भविष्य की पीढ़ियों के खातिर सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए स्वामीनारायण अक्षरधाम का निर्माण करने की थी, जबकि वे अपने जीवन के आदर्श वाक्य ‘दूसरों की खुशी में अपना सुख’ (In the Joy of Others Lies Our Own) को जीते थे.” उन्होंने कहा कि सभी उपस्थित लोग हमारे सनातन धर्म के सिद्धांतों पर खड़े होकर समाज की सेवा कर सकते हैं और यह याद दिलाता है कि अक्षरधाम सभी के लिए है.
8 अक्टूबर तक चलने वाले 10 दिवसीय उद्घाटन समारोह के दौरान, अक्षरधाम महोत्सव महामंदिर के कई अहम पहलुओं और उन सार्वभौमिक मूल्यों का जश्न मनाएगा जिनके आधार पर इसका निर्माण किया गया था.