यूनिफॉर्म सिविल कोड पर चर्चा के बीच सऊदी अरब के पूर्व कानून मंत्री भारत में हैं. शेख डॉक्टर मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-इस्सा मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव हैं. कहते हैं कि जो मुसलमान भारत में रहते हैं उन्हें अपने संविधान पर गर्व है. दूसरे धर्म के लोगों के साथ उनका भाईचारे का रिश्ता है. हां, कुछ मतभेद हो सकते हैं लेकिन संविधान के तहत उनके द्वारा साझा किए जाने वाले भाईचारा और प्रेम के ढांचे पर चर्चा होनी चाहिए.
अल-इस्सा ने आतंकी संगठनों की आलोचना की और कहा कि वे (आतंकी) धर्म की छवि खराब करते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लाम और आतंकवाद का एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है. आतंकी संगठन अपने अलावा और किसी का प्रतिनिधित्व नहीं करते. इनका कोई धर्म या देश नहीं है. हम इन विचारों का सामना करते हैं, मुकाबला करते हैं और दुनिया के सामने सच्चाई पेश करते हैं.
Of course, this visit to India is a visit to our friends here in the Republic of India, and I am very delighted about this visit. During this visit, of course, we had very important meetings and I was delighted to meet leadership from the political field, and also religious… pic.twitter.com/sQvE2jD0Xe
— ANI (@ANI) July 14, 2023
‘भारतीय लोकतंत्र को करता हूं सलाम’
एक सवाल कि धर्म गुरुओं का कट्टरवाद से निपटने में क्या रोल हो सकता है, शेख अल-इस्सा ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि धर्म गुरुओं का कट्टरवाद से निपटने में अहम रोल सकता है. उन्हें समुदाय के बीच जागरुकता फैलानी चाहिए. पांच दिनों के भारत दौरे पर आए अल-ईस्सा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और कई बीजेपी नेताओं और धर्म गुरुओं से मुलाकात की. एक संबोधन में उन्होंने भारतीय लोकतंत्र की खूब तारीफ की. उन्होंने कहा “मैं भारतीय लोकतंत्र को सैल्यूट करता हूं जिसने दुनिया को भाईचारा सिखाया.”
‘धार्मिक संघर्ष के खिलाफ खड़ा होना होगा’
मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-इस्सा शेख मोहम्मद बिन सलमान के करीबी हैं. उन्होंने सऊदी अरब में कई बदलाव किए हैं. उन्होंने धर्म गुरुओं धार्मिक मोर्चे पर सलाह भी दी. उन्होंने कहा कि हमें अगली पीढ़ी को बचाने और गाइड करने की जरूरत है. जब दो लोगों के बीच बातचीत कम होती है तो गलतफहमियां पैदा होती है. ऐसे में जरूरत है कि बातचीत का रास्ता खोला जाए. इस सामुदायिक टकराव से बचा जा सकता है. हमें अगली पीढ़ी को उनके बचपन से ही अच्छी गाइडेंस देने की जरूरत है. अल-इस्सा ने कहा कि धार्मिक संघर्ष के खिलाफ खड़ा होना होगा इससे कट्टरवाद नहीं उभर सकता.