चीन में एक सर्वे के मुताबिक अगस्त महीने में बेरोजगारी दर 46 फीसदी के पार पहुंच गया है. पीकिंग यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने अपने एक रिसर्च लेख में इसे प्रकाशित किया है. यूनिवर्सिटी के आँकड़े आने के बाद चीन की सरकार ने आदेश दिया है कि फिलहाल बेरोजगारी से जुड़े कोई भी आँकड़े प्रकाशित नहीं किये जाएंगे.
इससे पहले जुलाई महीने में चीन ने सरकारी आँकड़ो मे बेरोजगारी दर 21.3 फीसदी घोषित किया था. पीकिंग यूनिवर्सिटी के आँकड़ो के मुताबिक चीन में 16 से 24 साल के युवाओं की संख्या 96 करोड़ है. इसमें केवल 33 करोड़ लोगों ने रोजगार केंद्रों में रजिस्टर्ड करवाया है जबकि 26 करोड़ लोग नौकरी कर रहे है. चीन ने इस आयु सीमा के 48 करोड़ बच्चों को स्कूल में रजिस्टर्ड बताया है जबकि 16 करोड़ प्रोफेशनल्स के रूप में रजिस्टर्ड बताये गये है.
अनचाहे काम के लिए मजबूर चायनीज लोग
इसके अलावे लोगों की एक भारी संख्या ऐसी है जो मजबूरी में अपनी योग्यता से परे कामों को कर रहे है. ग्रेजुएट लड़के-लड़कियों ने लाखों की संख्या में डिलिवरी मैन या टैक्सी ड्राइवर्स की नौकरी के लिए खुद को रजिस्टर्ड करवाया है. दो साल में आँनलाइन ड्राइवर के लाइसेंस की संख्य में 112.4% की बढ़ोतरी हुई है. अपने सपनों को पूरा नहीं होते देख चीनी युवाओं में हताशा में भी भारी वृद्धि हुई है. कटौती के नाम पर चीनी कंपनियां बढ़ते उम्र वाले स्टाफ को नौकरी से निकाल रहे हैं ताकि नये लोगों को उनकी जगह कम वेतन पर रखा जा सके.
चीनी सोशल मीडिया पर बेरोजगारी ट्रेंड
बेरोजगारी से जुड़े आँकड़ों पर पाबंदी लगने के बाद अब चीन के लोग वहां की सोशल मीडिया पर सरकार के फैसले पर तरह-तरह से सवाल उठा रहे है. चायनीज सोशल मीडिया- WEIBO पर बेरोजगारी दर ट्रेंड कर रहा है. वीबो पर यूजर्स चुटकी भी ले रहे है. एक यूजर ने लिखा है कि मुंह छिपाने से समस्यायें खत्म नहीं हो जाएंगी. दूसरे ने लिखा है कि जब तक चीन की सरकार घोषणा नहीं करती तब तक कोई बेरोजगार नहीं माना जाएगा. एक और यूजर लिखते हैं कि एक घंटे का भी काम मिला है तो आप बेरोजगार नहीं माने जाएंगे. संभावना है कि सरकार कुछ घंटों के भीतर ही चायनीज सोशल मीडिया पर मौजूद बेरोजगारी से जुड़े सभी तरह की प्रतिक्रियाओं को जबरन हटवा देगी.