अक्टूबर 2023 में हमास ने इजरायल पर हमला किया था, तो किसी ने नहीं सोचा कि अगले सवा साल के भीतर पूरे मिडिल-ईस्ट में इतना बड़ा बदलाव आ जाएगा। इजरायल ने न सिर्फ हमास को तकरीबन खोखला कर दिया, बल्कि लेबनान में मौजूद अपने सबसे बड़े दुश्मन हिजबुल्लाह को बुरी तरह से खत्म कर दिया। इस बीच, सीरिया में सत्ता परिवर्तन हो गया, तो ईरान में घुसकर उसने बड़े दुश्मनों को समाप्त कर दिया और ईरान में भी मिसाइल से हमला किया। इस पूरे ऑपरेशन को इजरायल ने जिस तरीके से संभाला, उसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया, क्योंकि इस पूरे ऑपरेशन में न सिर्फ इजरायली सेना, बल्कि मोसाद ने भी अहम भूमिकाएँ निभाई। अब जब इजरायल इस पूरी लड़ाई में विजेता बनकर उभरा है, तब ये बात सामने आ रही है कि इजरायल इन युद्धों की तैयारी कई सालों से कर रहा था। इस बात को इसी से समझ सकते हैं कि इजरायल ने हिजबुल्लाह के नेताओं की छोटी-छोटी कमजोरियों को भी अपनी ताकत बनाया।
ऐसे ही एक मामले में इजरायल ने एक बेहद जटिल और लंबे समय तक चलने वाले ऑपरेशन के बाद हिजबुल्लाह के को-फाउंडर और सीनियर मेंबर फुआद शुक्र को ट्रैक किया। यह ऑपरेशन लगभग दो दशकों तक चला, जिसमें मोसाद ने हर छोटे से छोटे सुराग का पीछा किया और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए शुक्र तक पहुँचा।
फुआद शुक्र हिजबुल्लाह के सैन्य विंग का एक महत्वपूर्ण सदस्य था। वह दक्षिण लेबनान में संगठन के कई ऑपरेशनों का संचालन करता था और इजरायल के खिलाफ कई आतंकी हमलों में शामिल रहा था। शुक्र को ट्रैक करने के लिए मोसाद ने उसकी निजी जिंदगी पर भी ध्यान केंद्रित किया।
मोसाद ने शुक्र की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए उसकी चार रखैलों और उनसे निकाहों का इस्तेमाल किया। शुक्र अपनी चारों रखैलों से संबंधों को लेकर असहज महसूस कर रहा था और उसने हिजबुल्लाह के उच्च मजहबी नेता हाशिम सफीउद्दीन से संपर्क किया। रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2024 में हवाई हमले में मारे गए सफीउद्दीन ने शुक्र को सलाह दी थी कि वह अपनी चारों रखैलों से फोन पर ही निकाह कर ले, ताकि अवैध संबंधों और रखैलों को लेकर वो किसी विवाद में वो न फँसे। इसके बाद चार अलग-अलग फोन कॉल पर फुआद शुक्र के निकाह समारोह आयोजित किए गए। यह जानकारी मोसाद लगातार ट्रैक कर रहा था।
हालाँकि, शुक्र ने अपनी लोकेशन को छुपाने के लिए अत्यधिक सावधानी बरती थी। वह केवल पेजर और वॉकी-टॉकी का उपयोग करता था और हिजबुल्लाह के लीडर हसन नसरल्लाह के सीधे संपर्क में था। उसकी इतनी सावधानियों के बावजूद मोसाद ने उसकी कमजोरियों को भुना लिया। मोसाद ने शुक्र की चार बीवियों और उनके फोन कॉल्स के माध्यम से उसके लोकेशन की जानकारी धीरे-धीरे हासिल की गई।
इसके बाद इजरायल ने शुक्र को हवाई हमले में मार गिराया। फुआद शुक्र को मारने के बाद इजरायल और हिजबुल्लाह में तनाव तेजी से बढ़ा, ऐसा ही इजरायल भी चाहता था। इसके बाद इजरायल ने हिजबुल्लाह के संपूर्ण सफाए के लिए अपना सबसे बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया, जिसमें हिजबुल्लाह के पेजरों में धमाके किए गए और फिर विस्फोटकों से लैस वॉकी-टॉकी में धमाके कर हिजबुल्लाह के पैर उखाड़ दिए। क्योंकि शुक्र को मारने के साथ ही इजरायली सेना ने जमीनी ऑपरेशन लॉन्च किया और करीब 2000 हवाई हमलों में हिजबुल्लाह की पूरी लीडरशिप ही खत्म कर दी। चूँकि हिजबुल्लाह के ऑपरेटिव्स को लेकर इजरायल 2 दशक से जासूसी कर रहा था। शुरुआत में उसने हाई प्रोफाइल 200 हिजबुल्लाह नेताओं को निशाना बनाने की तैयारी की थी, लेकिन पेजर और वॉकी-टॉकी हमले के साथ ही उसने हजारों हिजबुल्लाह लड़ाकों को एक साथ निशाना बना डाला।
इजरायल के लिए शुक्र को पकड़ना महत्वपूर्ण था क्योंकि वह कई आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड था। इसमें वह हमला भी शामिल है जिसमें अमेरिकी मरीन बैरकों को 1983 में निशाना बनाया गया था, जिसमें 241 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। इसी वजह से अमेरिका भी लंबे समय से शुक्र पर नजर रखे हुए था। अमेरिकी खुफिया एजेंसियाँ भी इस ऑपरेशन में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रहीं।
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने हिजबुल्लाह के सीनियर मेंबर फुआद शुक्र को मार गिराने के साथ न केवल एक बड़ी कामयाबी हासिल की, बल्कि हिजबुल्लाह के मुखिया हसन नसरल्लाह के उस अनुमान को भी गलत साबित कर दिया कि इजरायल अपनी पूरी ताकत से हिजबुल्लाह पर हमला नहीं करेगा। नसरल्लाह को भरोसा था कि हमास के साथ चल रही लड़ाई में उलझा इजरायल, लेबनान में किसी बड़े ऑपरेशन को अंजाम देने में सक्षम नहीं होगा। लेकिन इजरायल ने हसन नसरुल्लाह समेत हिजबुल्लाह की पूरी ताकत को ही खत्म कर दिया। इस पूरे ऑपरेशन से साफ होता है कि मोसाद की गुप्त रणनीतियों और इजरायली सेना की सुनियोजित कार्रवाई ने यह साबित कर दिया कि इजरायल एक साथ कई मोर्चों पर लड़ाई करने में सक्षम साबित हुआ और उसने अपने दुश्मनों को चुन-चुन का निशाना बनाया।