प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय पोलैंड दौरे पर पहुंचे हैं. यहां पीएम का जोरदार स्वागत किया गया. उन्होंने मोंटे कैसीनो युद्ध स्मारक के पास वलीवडे-कोल्हापुर शिविर के स्मारक पट्टिका पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसका उद्घाटन नवंबर 2017 में किया गया था. प्रधानमंत्री मोदी की पोलैंड यात्रा पिछले 45 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा की गई पहली यात्रा है. पोलैंड प्रवास के दौरान पीएम मोदी पॉलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज सेबेस्टियन डूडा से मुलाकात करेंगे. इसके साथ ही वह पॉलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे.
पोलैंड की राजधानी वारसॉ में पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी पोलैंड के अलग-अलग हिस्सों से आए हैं. सबकी अलग-अलग भाषाएं हैं, बोलियां हैं, खानपान हैं. लेकिन सब जुड़े हुए हैं. आपने यहां इतना शानदार स्वागत किया है. मैं आप सभी का, पोलैंड की जनता का इस स्वागत के लिए बहुत आभारी हूं. पिछले 1 हफ्ते से भारत की मीडिया में आप ही लोग छाए हुए हैं. पोलैंड के लोगों की खूब चर्चा हो रही है. और पोलैंड के विषय पर भी बहुत कुछ बताया जा रहा है. मीडिया में बताया जा रहा कि 45 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री पोलैंड आया है. बहुत सारे अच्छे काम मेरे नसीब में ही है.
उन्होंने कहा कि कुछ महीने ही पहले मैं ऑस्ट्रिया गया था. वहां भी चार दशक बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री पहुंचा था. ऐसे कई देश दशकों तक भारत का कोई प्रधानमंत्री पहुंचा नहीं है. लेकिन अब परिस्थितियां दूसरी हैं. दशकों तक, भारत की नीति थी कि सारे देशों से समान दूरी बनाए रखो, जबकि आज के भारत की नीति है, सारे देशों से नजदीकी बनाओ. आज का भारत सबसे जुड़ना चाहता है, आज का भारत सबके विकास की बात करता है, आज का भारत सबके साथ है, सबके हित की सोचता है. हमें गर्व है कि आज दुनिया, भारत को विश्व बंधु के रूप में सम्मान दे रही है.
PM मोदी के भाषण की बड़ी बातें-
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे लिए ये विषय पोलिटिक्स का नहीं है. बल्कि संस्कार का है. जिनको कहीं जगह नहीं मिली, उनको भारत ने अपने दिल और अपने देश में स्थान दिया है. ये हमारी संस्कृति है, जिस पर हर भारतीय गर्व करता है. पौलेंड तो इसका साथी रहा है. World War II के दौरान, जब पोलैंड मुश्किलों से घिरा हुआ था, जब पोलैंड की हजारों महिलाएं और बच्चे शरण के लिए जगह-जगह भटक रहे थे, तक जाम साहब, दिग्विजय सिंह रणजीत सिंह जाडेजा जी आगे आए. उन्होंने महिलाओं और बच्चों के लिए एक विशेष कैंप बनवाया था और उन्होंने कैंप की महिलाओं और बच्चों से कहा था कि जैसे जामनगर के लोग मुझे बापू कहते हैं, वैसे मैं आपका भी बापू हूं.
आज ही मुझे Monte Cassino Memorial पर श्रद्धांजलि देने का अवसर मिला है, ये मेमोरियल हजारों भारतीय सैनिकों के बलिदान को याद दिलाता है. ये इस बात का प्रमाण है कि कैसे विश्व के हर कोने में भारतीयों ने अपना कर्तव्य निभाया है.
21वीं सदी का भारत अपनी विरासत पर गर्व करते हुए विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है. आज दुनिया, भारत को उन खूबियों के कारण जानती है, जिसे भारतीयों ने दुनिया के सामने साबित किया है.
हम भारतीयों की एक पहचान empathy भी है. दुनिया के किसी भी देश में संकट आए, भारत पहला देश होता है, जो मदद के लिए हाथ बढ़ाता है. कोविड आया तो भारत ने कहा- Humanity first. हमने दुनिया के 150 से अधिक देशों को दवाइयां और वैक्सीन भेजी. दुनिया में कहीं भी भूकंप आता है, कोई आपदा आती है, भारत का एक ही मंत्र है- Humanity first. कहीं युद्ध हो, तो भारत कहता है- Humanity first और इसी भाव से भारत, दुनियाभर के नागरिकों की मदद करता है.
भारत Mother of Democracy तो है ही इसके साथ ही भारत Participative और Vibrant Democracy भी है. भारत के लोगों का Democracy पर अटूट भरोसा है. ये भरोसा हमने हाल के चुनावों में भी देखा है. ये इतिहास का सबसे बड़ा चुनाव था.
भारत बुद्ध और शांति में विश्वास करता है. भारत इस क्षेत्र में स्थायी शांति का हिमायती है. हमारा रुख बहुत स्पष्ट है – यह युद्ध में शामिल होने का समय नहीं है. यह उन चुनौतियों के खिलाफ एकजुट होने का समय है जो मानवता के लिए खतरा हैं. इसलिए, भारत कूटनीति और संवाद में विश्वास करता है.
कुछ दिन पहले ही आप लोगों ने यहां आजादी का उत्सव मनाया है. आजादी के आंदोलन के समय हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने समृद्ध भारत का सपना देखा था, आज हर भारतीय उस सपने को साकार करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा है। भारत ने लक्ष्य तय किया है, भारत 2047 तक खुद को विकसित बनाने का संकल्प लेकर चल पड़ा है.
अभी दो दिन बाद, 23 अगस्त को ही National Space Day है. इसी दिन भारत ने चंद्रमा के साउथ पोल पर अपना चंद्रयान उतारा था. जहां कोई देश नहीं पहुंच पाया, वहां भारत पहुंचा है और उस स्थान का नाम है- शिवशक्ति.
पिछले 10 सालों में भारत में 2.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं. यह संख्या ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की कुल आबादी से भी ज़्यादा है. पिछले 10 सालों में गरीबों के लिए 4 करोड़ पक्के घर बनाए गए हैं. इसके अलावा, हम 3 करोड़ घर बनाने जा रहे हैं. हमने वित्तीय समावेशन को अगले स्तर पर पहुँचा दिया है. 50 करोड़ जन धन बैंक खाते खोले गए हैं. यह यूरोपीय संघ की कुल आबादी से भी ज़्यादा है.
मैंने देश की जनता को वादा किया है, मेरे तीसरे टर्म में भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा. NASSCOM का अनुमान है कि भारत अपने Digital Infrastructure के कारण इस दशक के अंत तक एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा.
भारत का विस्डम ग्लोबल है, विजन ग्लोबल है, हमारे पूर्वजों ने हमें वसुधैव कुटुंबकम का मंत्र दिया है. भारत का कल्चर ग्लोबल है, केयर और कम्पैशन ग्लोबल है, हमने पूरी दुनिया को एक परिवार माना है और यही आज के भारत की नीति और निर्णयों में नजर आता है.
इकोनॉमी और इकोलॉजी में बैलेंस आज भारत की प्राथमिकता है. ये भारत ही है, जो developed nation और Net zero nation, ये दोनों संकल्प एक साथ लेकर आगे बढ़ रहा है.