केरल की भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के मामले ने अंतरराष्ट्रीय और मानवीय ध्यान आकर्षित किया है। यह घटना न केवल एक व्यक्ति की मौत की सजा से जुड़ी है, बल्कि इसमें इस्लामी शरिया कानून, ब्लड मनी का प्रावधान, और भारत की कूटनीतिक चुनौतियाँ भी शामिल हैं।
मुख्य बिंदु:
1. घटना और पृष्ठभूमि:
- निमिषा प्रिया पर आरोप है कि उन्होंने 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी को ड्रग्स का ओवरडोज दिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
- निमिषा ने दावा किया कि उनका उद्देश्य हत्या नहीं था; वह केवल अपने पासपोर्ट को वापस पाना चाहती थीं।
- 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, जिसे 2018 में यमनी राष्ट्रपति ने मंजूरी दी।
2. इस्लामी शरिया कानून और ब्लड मनी:
- शरिया कानून में दो विकल्प हैं: किसास (जान के बदले जान) और दिया (ब्लड मनी)।
- ब्लड मनी का प्रावधान माफी और सुलह का एक अवसर देता है।
- कुरान में ब्लड मनी को दया और न्याय का माध्यम बताया गया है (सूरह अल-बकरा, आयत 178)।
- यमन के गृहयुद्ध और आर्थिक संकट को देखते हुए ब्लड मनी की राशि $300,000–$400,000 (2.57 करोड़ रुपये से 3.40 करोड़ रुपये) तक हो सकती है।
3. ब्लड मनी के प्रयास:
- सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल और अन्य संगठन क्राउडफंडिंग के माध्यम से धन जुटा रहे हैं।
- अब तक $40,000 की राशि दो किश्तों में भेजी गई है, लेकिन यमनी परिवार तक यह धन नहीं पहुँच पाया है।
- समय पर भुगतान न होने के कारण माफी के प्रयास विफल हो रहे हैं।
4. भारत का कूटनीतिक प्रयास:
- भारत सरकार ने परिवार को समर्थन का आश्वासन दिया है।
- ईरान ने भी मध्यस्थता की इच्छा जताई है, लेकिन यमन की अनिश्चितता स्थिति को और जटिल बना रही है।
5. यमनी राष्ट्रपति का फैसला और चुनौती:
- यमनी राष्ट्रपति राशद अल-अलीमी ने मौत की सजा पर अपनी स्वीकृति दे दी है।
- यह निर्णय ब्लड मनी के प्रयासों और कूटनीतिक बातचीत पर दबाव बढ़ा रहा है।
क्या किया जा सकता है?
1. कूटनीतिक पहल:
- भारतीय सरकार को यमनी सरकार और जनजातीय नेताओं के साथ तीव्र और उच्चस्तरीय वार्ता करनी चाहिए।
- ईरान की मध्यस्थता का समर्थन लेना और इसे एक मानवीय मुद्दा बनाकर अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना आवश्यक है।
2. धन संग्रह और पारदर्शिता:
- ब्लड मनी के लिए क्राउडफंडिंग प्रयासों को संगठित और पारदर्शी बनाना होगा।
- समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मदद ली जा सकती है।
3. जन जागरूकता और समर्थन:
- निमिषा के लिए वैश्विक जन समर्थन जुटाने के लिए मीडिया और मानवाधिकार संगठनों का सहयोग लिया जा सकता है।
ब्लड मनी क्या है और कैसे तय की जाती है?
इस्लामिक कानून के मुताबिक, हत्या के मामलों में सजा के 2 विकल्प है किसास और दूसरा दिया। किसास का मतलब ‘जान के बदले जान’ और दिया यानी ब्लड मनी। इस्लामिक कानून में ‘दिया’ यानी ब्लड मनी ऐसा प्रावधान है जो सुलह का अवसर प्रदान करता है। शरिया कानून के अनुसार, हत्या के मामलों में पीड़ित परिवार को यह तय करने का अधिकार होता है कि वे हत्यारे को माफ करेंगे या सजा दिलाएँगे। कुरान के अनुसार, माफी और ब्लड मनी को न्याय और दया का माध्यम बताया गया है।
कुरान की सूरह अल-बकरा, आयत 178 में उल्लेख है: “मगर यदि हत्यारे को पीड़ित के संरक्षक द्वारा क्षमा कर दिया जाए, तो ब्लड मनी को न्यायपूर्वक तय किया जाए और सम्मानपूर्वक भुगतान किया जाए। यह तुम्हारे पालनहार की ओर से एक दया और सुविधा है।”
यमन और कई अन्य इस्लामी देशों में ब्लड मनी का भुगतान परिवारों के बीच आपसी सहमति से तय होता है। हालाँकि यमन जैसे देश, जहाँ गृहयुद्ध और आर्थिक संकट हैं, वहाँ इतनी बड़ी रकम जुटाना एक चुनौती है।
क्या था पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, निमिषा प्रिया पर आरोप लगे थे कि उन्होंने साल 2017 में एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी को ड्रग्स का ओवरडोज दे दिया था, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। वहीं, निमिषा ने अपने बचाव में कहा था कि मृतक ने उनका पासपोर्ट छीन लिया था, जिसे वो वापस पाना चाहती थी। निमिषा ने दावा किया था कि उन्होंने महदी को बेहोशी की दवा दी थी। उसकी हत्या करने का इरादा नहीं था।
निमिषा प्रिया शादीशुदा हैं। केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा अपने पति और बेटी के साथ पिछले लगभग एक दशक से यमन में काम कर रही थीं। इस बीच यमन में गृहयुद्ध शुरु हो गया तो उनका परिवार भारत आ गया था। हालाँकि, यमनी नागरिक द्वारा पासपोर्ट ले लेने के कारण निमिषा वापस नहीं लौट पाईं और ये घटनाएँ घट गईं। इस मामले में उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई।
अब, ब्लड मनी के माध्यम से हो सकता है कि निमिषा मौत की सजा पाने से बच जाएँ। हालाँकि क्या समय रहते यह प्रयास सफल हो पाएगा? यह देखना बाकी है।