इजराइल और हमास के बीच 7 अक्टूबर से युद्ध जारी है. इस बीच गाजा पट्टी स्थित एक अस्पताल पर बीते मंगलवार को हमला किया गया. इसमें 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. इस हमले ने पूरी जंग की चर्चा बदल दी है. हमास और फिलिस्तीन की तरफ इस हमले के लिए इजराइल को जिम्मेदार बताया जा रहा है जबकि इजराइल ने गाजा के एक संगठन फिलिस्तीन इस्लामिक जिहाद पर इस अटैक का आरोप लगाया है. दूसरी तरफ अस्पताल पर अटैक की घटना के बाद इस्लामिक देश भड़के हुए हैं. यहां तक कि वो देश भी सवाल उठाने लगे हैं हमास से जंग में इजराइल के साथ हैं. इस बीच युद्ध के नियमों की भी चर्चा होने लगी है. क्योंकि युद्ध में इस तरह से किए गए हमले अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आते हैं. ऐसे में क्या हमास और इजराइल के एक-दूसरे पर किए जा रहे हमले अगर वॉर क्राइम माने जाते हैं तो क्या उन्हें इसकी कोई सजा मिल पाएगी? दोनों देशों की जंग के मद्देनजर आइए जानते हैं कि अगर दो देशों के बीच युद्ध हो रहा हो, तो उसके नियम क्या हैं.
हमास और इजराइल दोनों पर युद्ध के दौरान अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने का आरोप लगाया गया है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वह दोनों देशों की ओर से युद्ध नियमों के तोड़ने के सबूत एकत्र कर रहा है. इजराइल और फिलिस्तीन हमास के बीच 7 अक्टूबर से ही युद्ध जारी है. इजराइल की ओर से लगातार हमास के गढ़ में बमबारी की जा रही है.
क्या है युद्ध का नियम ?
सशस्त्र संघर्ष के नियम संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कानूनों और प्रस्तावों के एक समूह द्वारा शासित होते हैं, जो आक्रामक युद्धों को प्रतिबंधित करता है, लेकिन देशों को आत्मरक्षा का अधिकार देता है. युद्ध क्षेत्र में जिनेवा कन्वेंशन सहित अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून हैं, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तैयार किए गए और लगभग हर देश द्वारा सहमत हुए.
युद्ध के दौरान ये तय किए गए थे नियम
1949 में जिन चार सम्मेलनों पर सहमति बनी, उनमें यह तय किया गया कि युद्ध के दौरान नागरिकों, घायलों और कैदियों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाना चाहिए. वे हत्या, यातना, बंधक बनाने और अपमानजनक पर प्रतिबंध लगाते हैं. साथ ही दूसरे पक्ष के बीमारों और घायलों का इलाज करने के लिए सेनानियों की आवश्यकता होती है. नियम राष्ट्रों के बीच युद्ध और संघर्ष दोनों पर लागू होते हैं. यह इजराइल और हमास पर भी लागू है. युद्ध के कुछ और भी नियम तय किए गए हैं, जिनमें रासायनिक या जैविक युद्ध सामग्री पर प्रतिबंध भी शामिल हैं.
क्या हमास ने तोड़ा है युद्ध का नियम ?
हमास ने इजरायली कस्बों और शहरों पर हजारों रॉकेट दागे हैं और 7 अक्टूबर को गाजा से सीमा पार सैकड़ों बंदूकधारी भेजे हैं. उन्होंने बच्चों और बुजुर्गों सहित नागरिकों पर उनके घरों और पड़ोस में हमला किया और हत्या कर दी. इजराइल का कहना है कि कम से कम 1400 लोग मारे गए और 199 का अपहरण कर लिया गया. वहीं यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून के जानकार हैम अब्राहम ने कहा कि हमास ने नागरिकों का उनके घरों में नरसंहार किया और उन्हें बंधक बना लिया. ये सभी चीजें स्पष्ट रूप से युद्ध अपराध हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल फ्रांस के अंतर्राष्ट्रीय न्याय आयोग के वकील जीन सुल्जर ने कहा कि जिनेवा कन्वेंशन में कहा गया है कि नागरिकों को कभी भी बंधक नहीं बनाया जाना चाहिए. इसे युद्ध अपराध के रूप में वर्णित किया जा सकता है.
क्या इजराइल ने तोड़े युद्ध के नियम?
ह्यूमन राइट्स वॉच ने इजराइल पर सफेद फास्फोरस युक्त युद्ध सामग्री का उपयोग करने का आरोप लगाया है. आग लगाने वाले पदार्थ पर प्रतिबंध नहीं है, लेकिन घनी आबादी वाले इलाकों में इसके इस्तेमाल की व्यापक रूप से निंदा की गई है. वहीं इजरायली रक्षा बल ने गाजा में सफेद फास्फोरस को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से इनकार किया है.
क्या है आईसीसी के पास शक्ति ?
नीदरलैंड स्थित आईसीसी के पास युद्ध नियमों के उल्लंघन के लिए राष्ट्रों के अधिकारियों पर मुकदमा चलाने और पीड़ितों के लिए मुआवजे का आदेश देने की शक्ति है. लेकिन कुछ देश हैं, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और इजराइल शामिल हैं. ये देश अदालत के क्षेत्राधिकार को मान्यता नहीं देते हैं. वहीं आईसीसी के पास गिरफ्तारी वारंट निष्पादित करने के लिए पुलिस बल नहीं है. इसका मतलब ये हुआ कि जो कोर्ट युद्ध नियम तोड़ने पर सजा देने की ताकत रखती है, इजराइल उसका सदस्य ही नहीं है. यानी चाहकर भी आईसीसी इजराइल का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है.
हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय अदालतें युद्ध नियम उल्लंघन से संबंधित मामलों की सुनवाई कर सकती हैं. इसके अलावा नियम तोड़ने वाले देशों पर प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं. जैसे रूस यूक्रेन युद्ध में अमेरिका ने रूस पर कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं.