प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नौसेना दिवस (4 दिसंबर) पर महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में 4 बजे के बाद शिवाजी प्रतिमा का अनावरण करने वाले हैं। इसके बाद सिंधुदुर्ग में ही होने वाले नौसेना के कार्यक्रम में वो शामिल होंगे। सिंधुदुर्ग और शिवाजी महाराज से नौसेना से नाता है इसी वजह से नौसेना दिवस पर अनावरण के अवसर को और इस जगह को चुना गया।
सिंधुदुर्ग में नौसेना दिवस का समारोह
दरअसल, सिंधुदुर्ग भारतीय नौसेना के लिए आज के समय में बहुत महत्वपूर्व द्वीप है जिसे 1664 से 1667 के बीच में छत्रपति शिवाजी महाराज ने बनवाया था। ये पूरा किला 48 एकड़ में फैला है। यहाँ पदमगढ़ नामक अन्य किला है जो मराठा नौसेना के लिए शिपयार्ड के रूप में काम आता था। इसे सिंधुदुर्ग के सामने एक छोटे से द्वीप पर बनाया गया था। यही वो द्वीप थे जिसे मराठाओं ने अंग्रेजी, डच और पुर्तगाली नौसेना के खिलाफ अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए इस्तेमाल किया।
आज भी इस जगह को छत्रपति शिवाजी महाराज के सैन्य कौशल और दूरदृष्टि के प्रमाण के रूप में देखा जाता है। इस किले को उन्होंने अपनी निगरानी में बनवाया था। निर्माण के वक्त मजबूत डिजाइन और कड़ी सुरक्षा को ध्यान में रखा गया था। बताया जाता है कि किले को पूरा 500 से अधिक राजमिस्त्री, 200 लोहार, 100 पुर्तगाली और 3000 के कार्यबल ने 3 वर्षों तक अथक परिश्रम किया।
भारतीय सेना को मिला नए एनसाइन
पिछले साल ही नौसेना को अपना निशान मिला था उसक कनेक्शन भी छत्रपति शिवाजी महाराज के समय से जुड़ा था। नए एनसाइन, जिसमें भारत के गौरवशाली इतिहास की शौर्य गाथा और उपनिवेशवाद से आजादी का प्रतीक शामिल किया गया था। नए एनसाइन में बाईं ओर ऊपरी में राष्ट्रीय ध्वज, और फ्लाई साइड के केंद्र में एक नेवी ब्लू – गोल्ड अष्टकोण रखा गया।
4 दिसंबर को नौसेना दिवस क्यों मनाया जाता है।
4 दिसंबर को ही नौसेना दिवस क्यों मनाया जाता है ये जानना बेहद दिलचस्प है क्योंकि इसके तार जुड़े हैं पाकिस्तान को करारी शिकस्त देने से।
बात 1971 की है जब भारतीय सेना ने ऑपरेशन त्रिडेंट को अंजाम दिया था। उस समय बांग्लादेश में आजादी की लड़ाई चल रही थी… इसी बीच 3 दिसंबर को पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन चंगेज खान’ के तहत भारत के 11 एयरबेसों पर हमला कर दिया। इस ऑपरेशन का जो भारत ने जवाब दिया उसी को ऑपरेशन त्रिडेंट कहा गया।
ऑपरेशन त्रिडेंट
3 दिसंबर 1971 के हमले के बदले पाकिस्तान के लोंगेवाला में भारतीय नौसेना के तीन मिसाइल बोट कराची भेजी गईं, जिनका नाम INS निपत, INS निर्घाट और INS वीर था। वहीं उन्हें पाकिस्तान का जहाज पीएनएस खैबर मिला। रात में जब पाकिस्तान जहाज को भारतीय सेना के आने का इल्म हुआ तो वो भी अटैक करने आगे आ गया। भारत की मिसाइल बोटों ने फौरन रडार का इस्तेमाल कर उसपर इतना सटीक हमला किया कि खैबर में आग लग गई। भारत ने फिर मिसाइल दागी और खैबर को पूरा समुद्र में डुबा दिया। इसमें 222 पाकिस्तानी सेलर थे।
सके बाद एक और जहाज को भारतीय मिसाइल बोट निपत ने निशाना बनाया। बाद में पता चला कि वो एमवी वीनस चैलेंजर बोट थी जिसमें अमेरिका से पाकिस्तान के लिए गोला-बारूद हथियार भेजे जा रहे थे। फिर, भारत की तीसरी मिसाइल बोट INS VEER ने एक और पाकिस्तान के जंगी जहाज को डुबाया जिसका नाम पीएनएस मुहाफिज था जिसमें 33 पाकिस्तानी नाविक थे।
इन तीनों बोट्स ने कराची के बंदरगाहों को तबाह किया। फिर रडार में किमारी ऑयल टैंक आए तो उसपर भी मिसाइल दागी गईं। बताया जाता है कि कुल 90 मिनट में भारतीय नौसेना ने 6 मिसाइलें दागीं, जिससे पाकिस्तान के 4 जहाज डूब गए।
भारतीय नौसेना ने अपने इस मिशन में पाकिस्तान के कराची बंदरगाह को बमबारी करके पूरा तबाह कर दिया था और सैंकड़ों पाकिस्तानी फौजियों को मौत के घाट उतार दिया था। कहा जाता है कि इस बमबारी के बाद पाकिस्तान के जो हालात हुए थे वहाँ 7 दिन तक सूरज की किरण साफ नहीं दिखी थी। पाकिस्तान का एक गाजी पनडुब्बी युद्ध से पहले ही आईएनएस विक्रांत द्वारा डुबाया जा चुका था चुका था।
भारतीय नौसेना की इसी जांबाजी को देखते हुए 4 दिसंबर को नौसेना दिवस घोषित किया गया। इसके बाद से हर साल भारतीय नौसेना इस दिवस को मनाने लगी। इस दिन को भारत की उपलब्धि के तौर पर भी मनाया जाता है।