आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा पर आधारित रोगों को परिभाषित करने वाली शब्दावली को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के रोग अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण के 11वें संशोधन में शामिल किया गया है। आयुष मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा कि आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा में रोगों को परिभाषित करने वाली शब्दावली को एक कोड के रूप में अनुक्रमित किया गया है।
आयुष मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से आईसीडी-11 श्रृंखला के टीएम-2 मॉड्यूल के अंतर्गत आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी प्रणालियों में उपयोग की जाने वाली बीमारियों का वर्गीकरण तैयार किया है। इस वर्गीकरण के लिए पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन और आयुष मंत्रालय के बीच एक दानकर्त्ता समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए थे। यह प्रयास भारत की स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली, अनुसंधान, आयुष बीमा कवरेज, अनुसंधान एवं विकास, नीति निर्माण प्रणाली को और मजबूत और विस्तारित करेगा। इसके अलावा, इन कोड का उपयोग समाज में विभिन्न बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए भविष्य की रणनीति बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
केंद्रीय आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजापारा महेंद्रभाई ने इंडिया हैबिटेट सेंटर में आईसीडी-11, टीएम मॉड्यूल-2 को जारी करते हुए कहा कि भारत और साथ ही दुनिया भर में आयुष चिकित्सा को वैश्विक मानकों के साथ एकीकृत करके आधुनिकीकरण करने की आवश्यकता है।
सचिव (आयुष) वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुष मंत्रालय भविष्य में आईसीडी-11, मॉड्यूल 2 के आधार पर सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति तैयार करेगा और इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू करेगा। सचिव आयुष ने एक प्रस्तुति के माध्यम से टीएम मॉड्यूल 2 की तैयारी की यात्रा पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।
भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. राडारिको एच. ऑफ्रिन ने कहा कि आईसीडी-11 में पारंपरिक चिकित्सा शब्दावली का समावेश पारंपरिक चिकित्सा और वैश्विक मानकों के बीच एक संबंध बनाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की सहायक महानिदेशक डीडीआई डॉ. समीरा असमा ने कहा कि आईसीडी-11 में पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित रोग शब्दावली को शामिल करना एक एकीकृत वैश्विक परंपरा के निर्माण में एक मील का पत्थर साबित होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वरिष्ठ रणनीतिक सलाहकार डॉ. श्यामा कुरुविला इस कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से सम्मिलित हुईं। उन्होंने कहा कि आईसीडी-11 में पारंपरिक चिकित्सा शब्दावली को शामिल करने से भारत की नियमित स्वास्थ्य प्रणाली और मजबूत होगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्गीकरण और शब्दावली इकाई के प्रमुख डॉ. रॉबर्ट जैकब ने कहा कि आईसीडी-11 में सूचीबद्ध डेटा वैश्विक उपयोग के लिए उपलब्ध होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एकीकृति स्वास्थ्य सेवा के निदेशक डॉ. रूडी एगर्स के अनुसार, आईसीडी-11 में टीएम मॉड्यूल 2 को शामिल करने को पारंपरिक चिकित्सा की वैश्विक मान्यता के साथ-साथ एक आंदोलन के रूप में देखा जा सकता है। इसके लिए रणनीति वर्ष 2014 से 2023 तक के लिए तैयार की गई थी और वर्ष 2025 से 2034 के लिए पारंपरिक चिकित्सा के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की रणनीति का पहला मसौदा तैयार किया गया है।
ब्राजील, बांग्लादेश, मलेशिया, मॉरीशस, श्रीलंका, नेपाल, ईरान और ब्रिटेन सहित विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने देशों में पारंपरिक चिकित्सा की वर्तमान स्थिति के बारे में अपने अनुभव साझा किए। इस कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन और आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया, जिसमें इसके अनुसंधान परिषदों, राष्ट्रीय संस्थानों के वरिष्ठतम अधिकारी, दो आयोगों के अध्यक्ष और संबंधित अध्यक्ष, भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग और होम्योपैथी के लिए राष्ट्रीय आयोग शामिल थे। विचार-विमर्श में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों के प्रतिनिधि और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। स्वागत भाषण आयुष मंत्रालय की संयुक्त सचिव कविता गर्ग ने दिया।