अजरबैजान की राजधानी बाकू में संयुक्त राष्ट्र के 29वें वार्षिक जलवायु सम्मेलन में शिरकत करने के लिए मंगलवार को विश्वभर के नेताओं का जमावड़ा लगने लगा है। हालांकि, इस सम्मेलन में प्रमुख विश्व नेता और शक्तिशाली देश नदारद हैं। जबकि पिछली जलवायु वार्ताओं में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति दर्ज की गई थी। इस साल की वार्षिक जलवायु वार्ता शतरंज की बिसात जैसी होने की उम्मीद है. जिसमें भले ही चर्चित हस्तियां नहीं हों… लेकिन विभिन्न मुद्दों पर विकसित और विकासशील देशों के बीच शह और मात का खेलने देखने को मिल सकता है।
दुनिया के 13 सबसे बड़े कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जक देशों के राज्याध्यक्ष या शासनाध्यक्ष इस जलवायु सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं, जो वैश्विक जलवायु संकट के संदर्भ में एक गंभीर चिंता का विषय है। ये देश पिछले साल ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 70 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं, और उनके शीर्ष नेता सम्मेलन में नहीं आ रहे हैं, जबकि उनकी भूमिका जलवायु परिवर्तन से निपटने में केंद्रीय है।
चीन और अमेरिका के अनुपस्थिति: चीन और अमेरिका, जो सबसे बड़े प्रदूषक देशों के रूप में सामने आते हैं, अपने शीर्ष प्रतिनिधियों को इस सम्मेलन में नहीं भेज रहे हैं। यह वैश्विक पर्यावरणीय नीति और जलवायु कार्यवाही में एक बड़ा झटका है, क्योंकि ये दोनों देश न केवल बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, बल्कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: जलवायु वैज्ञानिक और ‘क्लाइमेट एनालिटिक्स’ के सीईओ बिल हेयर ने इस स्थिति को ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी’ के रूप में देखा है। उनका कहना है कि इस तरह की अनुपस्थिति से यह प्रतीत होता है कि जलवायु संकट को गंभीरता से लेने की तात्कालिकता नहीं है, और इसके परिणामस्वरूप दुनिया एक “घोर अव्यवस्था” में फंसी हुई है।
यह स्थिति इस बात का संकेत देती है कि वैश्विक जलवायु संकट से निपटने के लिए देशों के बीच सही तरीके से सहयोग और तत्काल कार्रवाई की कमी हो रही है, जो जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए आवश्यक है।
50 देशों के नेता देंगे संबोधन
इस सम्मेलन में मंगलवार को अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर और तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन सहित लगभग 50 नेता संबोधित करेंगे। बहरहाल, दुनिया के कुछ सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील देशों के नेताओं द्वारा मजबूती से अपनी बात रखने की उम्मीद की जा रही है। कई छोटे द्वीपीय देशों के राष्ट्रपति और अफ्रीका के कई देशों के एक दर्जन से अधिक नेता सीओपी29 सम्मेलन में दो दिवसीय शिखर सम्मेलन को संबोधित करने वाले हैं।
अजरबैजान पर आरोप
संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता (सीओपी29) की मेजबानी कर रहे अजरबैजान पर मानवाधिकार संगठनों ने राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और उनके प्रशासन पर जलवायु शिखर सम्मेलन से पहले अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सख्ती से दमन करने का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि प्रशासन ने जलवायु कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को निशाना बनाया है। अलीयेव के पिता हैदर ने 1993 से लेकर 2003 में अपनी मृत्यु तक अजरबैजान पर शासन किया और उनके बाद इल्हाम ने सत्ता संभाली। दोनों पर असहमति की आवाज दबाने का आरोप लगता रहा है। कैस्पियन सागर के किनारे बसे इस देश की आबादी लगभग एक करोड़ है और यह तेल और प्राकृतिक गैस भंडार की वजह से समृद्ध है।