शेख हसीना, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की प्रमुख, ने न्यूयॉर्क में एक वर्चुअल संबोधन के दौरान देश के अंतरिम नेता और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने यूनुस पर अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं, के उत्पीड़न को रोकने में विफल रहने और उन्हें संरक्षण देने में असफल होने का आरोप लगाया। हसीना ने यूनुस को सत्ता का भूखा बताया और कहा कि उनकी नीतियों और नेतृत्व की वजह से धार्मिक स्थलों पर हमले हो रहे हैं।
प्रमुख आरोप और दावे
- नरसंहार का आरोप:
- हसीना ने यूनुस पर अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा को रोकने में असफल होने का आरोप लगाया।
- उन्होंने इसे “नरसंहार” करार दिया और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में यूनुस की भूमिका पर सवाल उठाया।
- हत्या की साजिश:
- हसीना ने दावा किया कि 5 अगस्त को उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई थी।
- उन्होंने इस साजिश को 1975 की घटना से जोड़ा, जब उनके पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब-उर-रहमान की हत्या कर दी गई थी।
- यूनुस पर हमला:
- शेख हसीना ने कहा कि यूनुस सत्ता के भूखे हैं और उनके नेतृत्व में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदुओं, के धार्मिक स्थलों पर हमले हो रहे हैं।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
- शेख हसीना और मुहम्मद यूनुस के बीच लंबे समय से राजनीतिक तनाव रहा है। यूनुस, जो अपनी ग्रामीण बैंकिंग पहल और नोबेल पुरस्कार के लिए प्रसिद्ध हैं, शेख हसीना की सरकार के आलोचक रहे हैं।
- बांग्लादेश में आगामी चुनावों से पहले यह विवाद राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, जहां धर्म, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, और लोकतंत्र प्रमुख मुद्दे बन गए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
- शेख हसीना का यह बयान न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम में आया, जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक संदेश देने का प्रयास भी हो सकता है।
- बांग्लादेश में अल्पसंख्यक अधिकारों की स्थिति और राजनीतिक तनाव अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की निगरानी में है।
संभावित प्रभाव
- हसीना के आरोप यूनुस और उनकी अंतरिम सरकार के खिलाफ विपक्षी गुटों की आलोचना को और बढ़ावा दे सकते हैं।
- यह बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता को गहराने और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी छवि को प्रभावित करने का कारण बन सकता है।
यह घटना आगामी चुनावों और बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति के लिए महत्वपूर्ण संकेत देती है, जहां सत्ता और धर्म की राजनीति का गहरा प्रभाव देखा जा सकता है।
नरसंहार के मास्टरमाइंड हैं यूनुस- हसीना
अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण इस्तीफा देने के बाद भारत में शरण लेने के बाद हसीना का यह पहला सार्वजनिक संबोधन था. उन्होंने बांग्लादेश 5 अगस्त को ढाका में अपने आधिकारिक आवास पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा, “हथियारबंद प्रदर्शनकारियों को गणभवन की ओर भेजा गया. अगर सुरक्षा गार्डों ने गोली चलाई होती, तो कई लोगों की जान जा सकती थी. यह 25-30 मिनट का मामला था, और मुझे वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. मैंने उनसे (गार्डों से)कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, गोली न चलाएं.”
हसीना ने कहा, “आज, मुझ पर नरसंहार का आरोप लगाया जा रहा है. वास्तव में, यूनुस ने बहुत ही सोच-समझकर नरसंहार किया है. इस नरसंहार के पीछे मास्टरमाइंड – स्टूडेंट कॉर्डिनेटर और यूनुस हैं. हिंदू, बौद्ध, ईसाई – किसी को भी नहीं बख्शा जा रहा है. ग्यारह चर्चों को तोड़ दिया गया है, मंदिरों और बौद्ध तीर्थस्थलों को तोड़ दिया गया है. जब हिंदुओं ने विरोध किया, तो इस्कॉन नेता को गिरफ्तार कर लिया गया.”
मैंने हिंसा रोकने के उद्देश्य से छोड़ा बांग्लादेश
उन्होंने इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का हवाला देते हुए कहा, “अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों हो रहा है? उन्हें बेरहमी से क्यों सताया जा रहा है और उन पर हमला क्यों किया जा रहा है? लोगों को अब न्याय का अधिकार नहीं है… मुझे इस्तीफा देने का भी समय नहीं मिला.” हसीना ने कहा कि उन्होंने अगस्त में हिंसा को रोकने के उद्देश्य से बांग्लादेश छोड़ा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जुलाई और अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश छोड़ने के बाद से हसीना भारत में ही रह रही हैं. बांग्लादेश के ‘विजय दिवस’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने भाषण में अवामी लीग नेता हसीना ने यह भी आरोप लगाया कि उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है. उन्होंने कहा, “जब लोगों की बेहरमी से हत्या की जा रही थी, तो मैंने फैसला किया कि मुझे देश छोड़ देना चाहिए.”
अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों पर भारत ने जताई चिंता
दरअसल यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. भारत वहां पर अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमलों को लेकर लगातार चिंता जता रहा है. भारत ने पिछले सप्ताह कहा था कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. विदेश मंत्रालय ने यह भी उम्मीद जताई कि देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार दास से संबंधित मामले को न्यायपूर्ण, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाया जाएगा. प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को अपने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “इस मामले पर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है कि अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए.” उन्होंने कहा, “हम चरमपंथी बयानबाजी में वृद्धि, हिंसा और उकसावे की बढ़ती घटनाओं से चिंतित हैं. इन घटनाक्रमों को केवल मीडिया द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने के रूप में खारिज नहीं किया जा सकता. हम एक बार फिर बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाने का आह्वान करते हैं.”