प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 122वीं जयंती पर गुरुवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आदर्श व सिद्धांत हर पीढ़ी को प्रेरणा देते रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘महान राष्ट्रवादी चिंतक, शिक्षाविद और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। एक सशक्त भारतवर्ष के निर्माण के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके आदर्श और सिद्धांत देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे।’
गृह मंत्री अमित शाह ने भी दी श्रद्धांजलि
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि एकता और अखंडता के लिए उन्होंने जो योगदान दिया, उसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा। शाह ने एक ट्वीट में कहा, ‘श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने अपने जीवन से सिखाया कि राष्ट्रहित से बढ़कर कुछ नहीं होता। चाहे कश्मीर हो या फिर बंगाल, डॉ. मुखर्जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए जो विराट योगदान दिया, उसके हम सदैव ऋणी रहेंगे। मुखर्जी ने पहली औद्योगिक नीति की नींव रख भारत की प्रगति के मार्ग प्रशस्त किये। डॉ. मुखर्जी का राष्ट्र-समर्पण और दूरदर्शिता हमें सदैव मार्गदर्शन देगी। देश के ऐसे महान सपूत की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।’
महान राष्ट्रवादी चिंतक, शिक्षाविद् और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन। एक सशक्त भारतवर्ष के निर्माण के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके आदर्श और सिद्धांत देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे।
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2023
1951 में मुखर्जी ने की थी जनसंघ की स्थापना
बता दें कि वर्ष 1901 में तत्कालीन कलकत्ता (कोलकाता) में पैदा हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्वतंत्र भारत के पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाया था। उन्होंने ही कश्मीर को लेकर ‘नहीं चलेगा एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान’ का नारा भी दिया था। लगातार दूसरी बार केंद्र में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया। मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी।
श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने अपने जीवन से सिखाया कि राष्ट्रहित से बढ़कर कुछ नहीं होता। चाहे कश्मीर हो या फिर बंगाल, डॉ. मुखर्जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए जो विराट योगदान दिया, उसके हम सदैव ऋणी रहेंगे। उन्होंने पहली औद्योगिक नीति की नींव रख भारत की प्रगति के… pic.twitter.com/QQzCUmR8hT
— Amit Shah (@AmitShah) July 6, 2023
1953 में कश्मीर में हुआ था मुखर्जी का निधन
जरूरी परमिट के बिना जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने को लेकर गिरफ्तार किए जाने के बाद 1953 में कश्मीर में नजरबंदी के दौरान श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु हो गई थी। वह कश्मीर में प्रवेश करने के लिए परमिट की जरूरत का भी विरोध करते थे। बता दें कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।