पाकिस्तान में अफगानिस्तान की सीमा के निकट स्थित उत्तरी वजीरिस्तान में जिहादी गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की जड़ें गहरी जमी हुई हैं। सीमा के उस पार वाले अफगानी इलाके में भी इन जिहादियों की तूती बोलती है। पाकिस्तान की सरकार उसे फूटी आंख नहीं सुहाती। वजीरिस्तान में पत्ता भी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की इजाजत से फड़कता है। इस इलाके में अनेक हिन्दू मंदिर हुआ करते थे, लेकिन उनमें से कई जिहादियों की नफरत का शिकार हो चुके हैं। लेकिन अब संभवत: एक आश्चर्यजनक बदलाव हो रहा है। वहां एक मंदिर बनने जा रहा है जिसका बजट भी सरकार ही देने वाली है।
यहां एक इलाका है मीरनशाह जहां फिलहाल 60 हिंदू परिवार रहते हैं। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का यहां सबसे ज्यादा दबदबा है। इस आतंकी संगठन की मानो यहां समानांतर सरकार चलती है। पाकिस्तानी फौज और सरकार के अफसर यहां आने से कतराते हैं। फौज तो खासतौर पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के निशाने पर रही है। उसके कई जवान और अफसर इस आतंकी गुट ने ‘रास्ते से हटाए’ हैं।
करीब 10 साल हो गए वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना और इस आतंकी गुट में छत्तीस का आंकड़ा चलते हुए। पता चला है कि प्रस्तावित मंदिर के निर्माण को लेकर इलाके में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के सरगनाओं को कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा है कि मंदिर बने तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा। इस बात पर भरोसा इसलिए होता है क्योंकि उत्तरी वजीरिस्तान के सांसद हैं मोहसिन दावर। मोहसिन ने भी कहा कि मंदिर बन रहा है और जहां बन रहा है कि वहां उसके लिए जमीन भी देख कर तय कर ली गई है। मंदिर बनाने पर कितना खर्च आएगा, उसका हिसाब लगाया जा रहा है। वह पैसा भी सरकार से मिलेगा।
तालिबान के एक कमांडर ने भी कहा है कि यहां रह रहे हिंदुओं की हिफाजत की जाएगी और उनकी आस्थाओं को पूरा सहेजा जा रहा है। यहां हिन्दुओं को कोई तकलीफ नहीं होने दी जा रही हैं। मीरनशाह पंचायत वालों का भी कहना है कि टीटीपी की तरफ से हिन्दुओं को कोई तकलीफ नहीं दी जाती है। इलाके के हिन्दुओं का कहना है कि पंचायत टीटीपी के लोगों को अपने सामने आ रहीं दिक्कतों की लिखित जानकारी देते हैं और दिक्कतों को दूर करने की कोशिश की जाती है। पाकिस्तान के अन्य राज्यों से उलट, मीरनशाह में हिंदू परिवारों पर मजहबी उन्मादियों के हमलों, मंदिरों पर हमलों देखने में नहीं आते। समाचार पत्र की रिपोर्ट बताती है कि आमतौर पर अन्य जगहों की अपेक्षा इस क्षेत्र हिन्दू खुद को सलामत महसूस करते हैं। वे अपने काम—धंधे भी तसल्ली से करते हैं।
मीरनशाह से उलट, पाकिस्तान के पंजाब तथा सिंध सूबों में अभी पिछले तीन सालों में ही 12 मंदिरों पर हमले हो चुके हैं। रावलपिंडी में 100 साल पुराना मंदिर ध्वस्त किया गया। सिंध में भी नगारपारकर स्थित श्रीराम मंदिर को तोड़ा गया। मीरनशाह के हिन्दू प्रसन्न हैं क्योंकि अब उनकी देहरी पर ही मंदिर बन रहा है। अभी तक यहां कोई बड़ा मंदिर नहीं रहा है। कोई विशेष पूजा—पाठ करने के लिए हिन्दू परिवारों को मीरनशाह से 150 किमी दूर दक्षिण वजीरिस्तान के वाना शहर में जाना पड़ता है। अब यहां मंदिर बन गया तो उनको पूजा के लिए वाना नहीं जाना होगा। वहां के हिन्दू बताते हैं कि बंटवारे में यहां रह गए हम हिन्दुओं की संपत्ति पर कब्जा न किया जाना बड़ी बात है।