विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन ने मोहर्रम के अवसर पर मुस्लिम समाज के एक वर्ग द्वारा देशभर में की गई हिंसा की निंदा करते हुए कहा है कि यह हिंसक वृत्ति संपूर्ण सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय है। कहीं पर कावड़ियों पर हमले किए गए तो कहीं पर मंदिर के ऊपर मोहर्रम का झंडा लगाने से रोकने पर हमले किए गए। दिल्ली की नांगलोई में तो केवल पुलिस पर ही नहीं, वहां से निकल रहे बसों, कारों स्कूटर व मोटरसाइकिलो पर हमले किए गए तथा हिंदुओं को लाठियों और पत्थरों से पीटा गया। इसके कारण वहां वाहनों का तो नुकसान हुआ ही, दसियों हिंदू व पुलिस वाले भी घायल हो गए। विहिप इस अमानवीय हिंसा की कठोरतम शब्दों मे निंदा करती है।
चाहे ईद हो या मोहर्रम और रमजान, चाहे मुस्लिम त्यौहार हो या हिंदू त्योहार, इस प्रकार की हिंदू विरोधी आक्रामकता पिछले कई वर्षों में तेजी से बढ़ रही है।
इन हमलों में एक विशेष रणनीति दिखाई दे रही है। हमलावरों में अवयस्क बच्चों को आगे किया जाता है जिससे अगर वे पकडे भी जाएं तो मामूली सजा पाकर जेल से छूट जाए। यह स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है कि यह एक योजनाबद्ध षड्यंत्र के अंतर्गत हो रहा है। पहले मुस्लिम समाज के कुछ नेता और मौलवी किसी ना किसी बहाने से हिंसा के लिए भड़काते हैं और फिर पकड़े जाने पर बड़े वकीलों की फौज खड़ी हो जाती हैं।
डॉ. जैन ने कहा कि इन षडयंत्रों से हिंदुओं और देश का तो नुकसान हो ही रहा है, स्वयं मुस्लिम समाज के लिए भी आत्मघाती है। वे अपनी युवा पीढ़ी को विकास नहीं, विनाश की ओर ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यह समझना होगा कि हिंदू भी कब तक मार खाता रहेगा। पुलिस प्रशासन को भी अपनी भूमिका पर पुनर्विचार करना होगा।
हिंदू त्यौहार व शोभायात्राओं में मुस्लिम बहुल इलाकों को संवेदनशील घोषित कर वहां से यात्रा का मार्ग बदल दिया जाता है तो मुस्लिम त्योहारों और जलूसों में भी यही मापदंड अपनाना चाहिए।
उन्होंने पूछा की क्या हिंदुओं को शांति से अपने त्यौहार मनाने का भी अधिकार नहीं है? क्या वह मुस्लिम त्योहारों पर भी अपने ऊपर संभावित हमलों की आशंका के कारण तनाव में ही रहेगा? यह यक्ष प्रश्न उन राजनेताओं के लिए भी महत्वपूर्ण है जो वोट बैंक के लिए किसी भी बहाने से उनको भड़काने का प्रयास करते रहते हैं।
विश्व हिंदू परिषद इन सेकुलरवादी राजनेताओं और मुस्लिम नेताओं से यह अपील करती है कि उन्हें अपनी भूमिका पर पुनर्विचार करना चाहिए। वे किस प्रकार के समाज का निर्माण करना चाहते हैं? त्योहारों के अवसर पर समाज बंटना नहीं चाहिए अपितु उनको मिलकर मनाना चाहिए। यह अलगाववादी मानसिकता समाज के सभी वर्गों के लिए घातक है। सबको मिलकर इस मानसिकता को रोकना चाहिए न कि अपने स्वार्थों के लिए ये स्वार्थी नेता और मौलवी इसको प्रोत्साहन दें।