देश दुनिया के इतिहास में 3 अगस्त की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस दिन कई ऐसी महत्वपूर्ण घटनाएं घटी जिनके चलते आज का दिन को ऐतिहासिक बनाया है। हिंदी साहित्य में आज का दिन बेहद अहम है। आज ही के दिन एक ऐसे किव का जन्म हुआ था। जिसने हिंदी साहित्य को उसकी बुलंदियों तक पहुंचे में अपना योगदान दिया था। उनकी रचनाओं ने न केवल हिंदी काव्य की परिभाषा बदल दी, बल्कि लोगों में साहित्य के प्रति रूचि को भी बढ़ाया। जीहां हम बात कर रहे हैं कवि मैथिलीशरण गुप्त की, जिनकी कृतियों में सरलता और नई दिशा देखने को मिलती है। 3 अगस्त को उनकी 137वीं जयंती मनाई जा रही है।
मैथिलीशरण गुप्त का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के चिरगांव में 3 अगस्त, 1886 में हुआ था। इनके पिता का नाम रामचरण और माता का नाम काशी देवी था। ये अपने माता पिता की तीसरी संतान थे। इनके पिता का व्यापार करते थे, इसी के साथ इनके पिता भी भक्ति-भाव की कविताएं लिखा करते थे। उनसे ही प्रेरित होकर मैथिलीशरण गुप्त भी कविताएं लिखने लगे थे। इनके गुरु महावीर प्रसाद द्विवेदी थे।
वे खड़ी बोली के पहले कवि माने जाते हैं। पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से मैथिलीशरण गुप्त ने खड़ी बोली में कविताएं लिखीं। उन्होंने अपनी कविता के जरिए खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के लिए बहुत प्रयास किया।
इनकी पहली प्रमुख कृति रंग में भंग वर्ष 1910 में प्रकाशित हुई थी। इनकी प्रमुख काव्यगत कृतियां हैं रंग में भंग, भारत-भारती, जयद्रथ वध, विकट भट, प्लासी का युद्ध, गुरुकुल, किसान, पंचवटी, सिद्धराज, साकेत, यशोधरा, अर्जुन-विसर्जन, काबा और कर्बला, जय भारत, द्वापर, नहुष, वैतालिक, कुणाल। गुप्त जी की कृति भारत भरती वर्ष 1912 में आई थी, जो एक राष्ट्रवादी कविता है, जिसमें भारतीय इतिहास, संस्कृति और परंपराओं को बड़े ही व्यापक रूप में लिखा गया है। इसके अलावा भारतीय समाज सेवकों के लिए भी आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि बाबा आम्टे को वर्ष 1985 में आज ही के दिन जनसेवा के लिए रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसी के साथ आज हिंदी कवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्मदिन भी है। देश दुनिया के इतिहास में 3 अगस्त की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं कुछ इस प्रकार से हैं।