‘सभी चोर मोदी ही क्यों होते हैं’ वाले बयान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी (Congress Leader Rahul Gandhi) को बड़ी राहत दी है। इस आपराधिक मानहानि मामले में शीर्ष कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी। इसके साथ ही राहुल गाँधी को अयोग्य ठहराने वाले निर्णय पर भी रोक लग गई है। इस फैसले पर कॉन्ग्रेस ने खुशी जाहिर की है और कहा कि ‘यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है’।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत दंडनीय अपराध के लिए अधिकतम सजा दो साल की या जुर्माना या दोनों है। विद्वान ट्रायल जज ने अपने आदेश में अधिकतम दो साल की सजा सुनाई है। अवमानना की कार्यवाही में याचिकाकर्ता को चेतावनी के अलावा दो साल की अधिकतम सजा सुनाते समय विद्वान ट्रायल न्यायाधीश द्वारा कोई अन्य कारण नहीं बताया गया है।”
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की तीन-सदस्यीय पीठ ने आगे कहा, “यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि विद्वान ट्रायल जज द्वारा दी गई दो साल की अधिकतम सजा के कारण ही जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के प्रावधान लागू हुए। अगर एक दिन कम सजा होती तो ये प्रावधान लागू नहीं होते।”
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने ट्रायल कोर्ट को लेकर आगे कहा, “विशेष रूप से जब अपराध गैर-समझौता योग्य, जमानती और संज्ञेय था, तो विद्वान ट्रायल जज से कम-से-कम यह अपेक्षा की जाती थी कि वह अधिकतम सजा देने के लिए कारण बताए। हालाँकि, विद्वान अपीलीय अदालत और उच्च न्यायालय ने आवेदनों को खारिज करने में काफी पन्ने खर्च किए हैं, लेकिन इन पहलुओं पर विचार नहीं किया।”
'Modi' surname remark | Supreme Court says it wants to know why maximum sentence was given. Had the judge given a sentence of 1 year and 11 months, then he (Rahul Gandhi) would not have been disqualified, observes Supreme Court.
Mahesh Jethmalani says Supreme Court had earlier…
— ANI (@ANI) August 4, 2023
सुप्रीम कोर्ट ने कहा वह जानना चाहता है कि अधिकतम सज़ा क्यों दी गई। अगर जज ने 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो वह (राहुल गाँधी) अयोग्य नहीं ठहराए जाते। उधर, महेश जेठमलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी राहुल गाँधी को राफेल मामले में ‘चौकीदार चोर है’ कहने पर आगाह किया था, लेकिन उनके आचरण में कोई बदलाव नहीं आया है।
पीठ ने यह भी कहा कि धारा 8(3) के व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए न केवल याचिकाकर्ता के अधिकार, बल्कि निर्वाचन क्षेत्र में उसे निर्वाचित करने वाले मतदाताओं के अधिकार भी प्रभावित होते हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता राहुल गाँधी का बयान ठीक नहीं था और सार्वजनिक जीवन वाले एक व्यक्ति को भाषण देते समय अधिक सावधान रहना चाहिए।
राहुल गाँधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का मूल उपनाम ‘मोदी’ नहीं है और उन्होंने बाद में यह उपनाम अपनाया। उनका मूल उपनाम भुताला है। सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि राहुल गाँधी ने जिन लोगों का नाम लिया, उन्होंने केस नहीं किया। देखा जाए तो समस्या सिर्फ बीजेपी से जुड़े लोगों को ही हो रही है।