उत्तराखंड में सिख समुदाय की वर्षों पुरानी मांग पूरी हो गई है। आनंद कारज एक्ट को मंजूरी मिल गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस एक्ट को प्रभावी करने के आदेश जारी कर दिए हैं। सीएम धामी ने बताया कि सिख समाज की ये मांग काफी समय से शासन में रुकी हुई थी। इस बारे में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह और मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू सहित अन्य सिख समाज के प्रतिनिधियों ने उनसे आग्रह किया था जिस पर ये फैसला लिया गया है। धामी ने कहा कि अब श्री गुरु ग्रंथ साहिब को हाजिर नाजिर मान कर किए गए विवाह को भी सरकार ने मान्यता दे दी है और इससे विवाह पंजीकरण में आसानी होगी। विवाह उपरांत सिख महिलाओ के हितों की भी रक्षा हो सकेगी।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के राष्ट्रीय सलाहकार सरदार गुरदीप सिंह सहोता ने उत्तराखंड सरकार द्वारा आनंद कारज एक्ट को लागू करने के निर्णंय का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और बीजेपी प्रदेश संगठन का धन्यवाद किया है। वर्ष 1909 में सिखों की शादियों के पंजीकरण हेतु आनंद मैरिज एक्ट पास किया गया था जोकि वर्ष 2012 में संशोधित आनंद कारज एक्ट के रूप में लोक सभा और राज्य सभा में पास हुआ। लेकिन तब से कई राज्यों ने न तो इसके नियम बनाये और न ही इसे लागू किया। सिख संगठनों इसकी मांग उठाते रहे हैं।
दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष स. इक़बाल सिंह लालपुरा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आनंद कारज एक्ट के नियम निर्धारित कर प्रदेश में लागू करने के लिए आग्रह किया था। वर्ष 2022 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भी प्रदेश सरकार को आनंद कारज एक्ट लागू करने के निर्देश दिए थे। जानकारी के मुताबिक इसमें प्रदेश सरकार ने दिल्ली, केरल, चंडीगढ़ आदि की नियमावली की जानकारी हासिल कर उत्तराखंड के लिए भी नियमावली तैयार की और इसे लागू किया। उत्तराखंड देश का दसवां राज्य है, जिसने यह एक्ट लागू किया है। इससे राज्य के युवाओं को विवाह के पंजीकरण में आसानी होगी और विवाह उपरांत भी इस एक्ट से खास तौर पर महिलाओ के हितों का संरक्षण हो सकेगा।
बीजेपी शासित असम और उत्तराखंड ने एक ही दिन 3 अगस्त 2023 को एकसाथ इस एक्ट को अपने अपने प्रदेश की कैबिनेट में पास किया है। सहोता ने बताया कि जब प्रदेश में यूनिफार्म सिविल कोड बाबत सुझाव मांगे गए तो सिख कोआर्डिनेशन कमेटी ने प्रदेश सरकार की एक्सपर्ट कमेटी के सदस्यों से भेंट वार्ता की और आग्रह किया की आनंद कारज एक्ट को यूनिफार्म सिविल कोड से बाहर रखा जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आनंज कारज एक्ट के लागू होने से सिख समुदाय की गुरुद्वारों में होने वाली शादियां अब इस एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत हो सकेंगी।