पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल-हक-काकर ने यह कहकर पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया है कि इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देश में जो दंगे भड़काए गए थे उसके पीछे तख्तापलट करने का इरादा था। अनवारुल हक ने जियो न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में यह ऐसा खुलासा किया है कि जहां एक तरफ इससे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश है तो दूसरी तरफ सेना को इस पार्टी की नकेल कसने का संकेत भी है।
पाकिस्तान में तख्तापलट वैसे कोई अजीब या असाधारण चीज नहीं है। पहले कई बार सेना या सियासी दल इस तरह की हरकतें कर चुके हैं। लेकिन अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री काकर का खुलकर ऐसा बयान देना बताता है कि इस्लामाबाद में शतरंज बिछी है और कई मोहरे अपनी अपनी चालें चल रहे हैं। इसके बीच देश गर्त में जा रहा है, जिसकी किसी को कोई परवाह नहीं है।
मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, कार्यवाहक प्रधानमंत्री काकर ने साफ कहा कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की अदालत के परिसर से गिरफ्तारी के बाद उनकी पार्टी ने जिस तरह से देश में हिंसा और आगजनी को अंजाम दिया वह और कुछ नहीं, तख्तापलट की एक साजिश थी, यह सिविल वॉर फैलाने की एक कोशिश थी। काकर ने यहां तक कहा कि उस उपद्रव के जरिए सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर आदि को निशाना बनाने की कोशिश हुई थी। पाकिस्तान के समाचार पत्रों में काकर का यह बयान प्रमुखता से छपा है। काकर का कहना था कि 9 मई 2023 को जिस तरह देश को दंगों के हवाले किया गया, सेना के घरों और दफ्तरों पर हमले बोले गए उसे पूरी दुनिया देख रही थी। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस घटना की खबरें छापी थीं। कार्यवाहक प्रधानमंत्री का कहना था कि कोई भी सरकार इस जैसी हरकतों को बर्दाश्त नहीं कर सकती। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा कुछ नहीं है कि 9 मई की घटना के दोषियों से बदले की कार्रवाई की जा रही है। लेकिन अगर कानून को यूं ठेंगा दिखाने वालों के विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी तो यह भी ठीक नहीं है, तब लोग कहेंगे पक्षपात किया गया है।
काकर ने सख्त लहजे में टेलीविजन स्क्रीन पर यह भी कहा किसी भी पार्टी को किसी दूसरी पार्टी पर कीचड़ उछालने, गाली देने या इमारतों को आग के हवाले करने का अधिकार नहीं है। काकर ने इस मौके पर यह भी कह डाला कि तहरीके तालिबान पाकिस्तान अथवा किसी और प्रतिबंधित गुट से निपटने के लिए सरकार बातचीत भी कर सकती है तो बल का प्रयोग भी करने में समर्थ है। ये कार्यवाहक प्रधानमंत्री काकर वही हैं जिन्हें शाहबाज शरीफ के इस्तीफे के बाद 14 अगस्त को शपथ दिलाई गई थी। ये पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सीनेटर रहे हैं और आगे होने वाले आम चुनाव तक पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहने वाले हैं।